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आंदोलन शुरू होने के बाद से आ रहे हैं पाक से हथियार: अमरिंदर

आंदोलन शुरू होने के बाद से आ रहे हैं पाक से हथियार: अमरिंदर

किसान आंदोलन में कुछ लोगों के ग़ुस्से का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा किए जाने की आशंका जताते रहे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि आंदोलन शुरू होने के बाद से पाकिस्तान के हथियार पंजाब में आ रहे हैं। 

किसान आंदोलन में कुछ लोगों के ग़ुस्से का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा किए जाने की आशंका जताते रहे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि आंदोलन शुरू होने के बाद से पाकिस्तान के हथियार पंजाब में आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ड्रोन के माध्यम से ऐसा किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी चेताया है कि वो नये लड़के इस चंगुल में फँस सकते हैं जो आंदोलन में शामिल हैं और ग़ुस्से में हैं।

अमरिंदर सिंह ने यह ताज़ा बयान ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में दिया है। इससे पहले वह किसान आंदोलन की शुरुआत में इसके प्रति इशारों में सचेत करते रहे थे। लेकिन इस साल जनवरी के आख़िर आते-आते सीधे केंद्र सरकार को पाकिस्तान की साज़िशों को लेकर आगाह कर दिया। तब अमरिंदर सिंह ने कहा था कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ अक्टूबर में जबसे किसानों का आंदोलन शुरू हुआ है तब से पाकिस्तान से अवैध तौर पर आने वाले हथियारों में इज़ाफ़ा हुआ है। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान पंजाब में अशांति फैलाना चाहता है। 

अमरिंदर सिंह की ऐसी चेतावनी तब आई है जब सरकार किसान आंदोलन में खालिस्तान का हाथ होने का आरोप लगा रही है। इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप तब और बढ़ गए जब पर्यावरण पर काम करने वाली एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने एक टूलकिट ट्वीट किया था। इसके बाद भारत में पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को गिरफ़्तार किया गया। इसमें पुलिस की ओर से खालिस्तानी लिंक की बात भी कही गई। गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा को लेकर भी ऐसे ही खालिस्तानी लिंक का हवाला दिया गया।

खालिस्तानी लिंक को लेकर सवाल के जवाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘आपको याद होगा: एक अशांत पंजाब पाकिस्तान के अनुकूल है। उनके पास अशांत कश्मीर है; अब अशांत पंजाब इसलिए वे हमारे साथ एक या दूसरे तरीक़े से लड़ सकते हैं। अब, ख़तरा चीन और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ सहयोग में भी है। और यह उन्हें यहाँ कुछ करने के लिए उपयुक्त होगा।’

अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान से हथियार आपूर्ति का ज़िक्र करते हुए कहा की हमारे पास जानकारी है कि किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से, निश्चित रूप से अक्टूबर से पंजाब में बहुत सारे हथियार आ रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'अब पंजाब में स्लीपर सेल के पास इन हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए लड़के नहीं हैं। तो आप नए लड़ाके कहाँ से लाएँगे? आपको वे लोग मिलेंगे जो आंदोलन कर रहे हैं और ग़ुस्से में हैं। हमें सोचना चाहिए कि इन लोगों द्वारा (आंदोलन के दौरान) इन युवाओं में से कितने को इस्तेमाल किया जा सकता है? कुछ तो होंगे। यह लड़कों को जोड़ने का ज़रिया हो सकता है। इसका उद्देश्य पंजाब में अशांत परिस्थितियाँ पैदा करना है।'

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ड्रोन से हथियार सप्लाई किए जाने के मामले को केंद्र को जानकारी दिया है या नहीं, इस सवाल के जवाब में अमरिंदर सिंह कहते हैं कि उन्होंने केंद्र को बताया है। 

उन्होंने कहा, 'पहले, सुरंगों को खोदकर हथियार सीमा से होकर आते थे। अब वे ड्रोन के ज़रिए डिलीवरी कर रहे हैं। यदि हम दो ड्रोन पकड़ते हैं, तो उन्होंने कितने लॉन्च किए होंगे? कहाँ पहुँचाया, कितनी संख्या में पहुँचाया इसको कोई नहीं जानता। इसीलिए मैंने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाक़ात की। लोगों को लगा कि मैं किसानों की तरफ़ से बात करने गया हूँ, लेकिन ऐसा नहीं था। उस दिन हमें छह या सात ड्रोन मिले थे।'

वह आगे कहते हैं, 'हमारे पास बीएसएफ़ और वायु सेना है लेकिन उनके पास इससे निपटने की क्षमता नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि वे इस पर ग़ौर कर रहे हैं... आख़िरकार यह मेरा राज्य है जो पीड़ित है। और यह ड्रोन सप्लाई जारी है और यही मेरी चिंता है। हमें उड़ान भरने वाले लोअर फ्लाइंग ड्रोन के लिए रडार और उनको तबाह करने की क्षमता हासिल करने की ज़रूरत है। कई देशों में यह क्षमता है।'

इससे पहले पिछले महीने न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में भी अमरिंदर सिंह ने कहा था, ‘मैं यह कह रहा हूँ कि जब यह आंदोलन शुरू हुआ तो ड्रोन डिलिवरी में तेज़ी क्यों आई? हथियार, पैसा और हेरोइन क्यों आ रहे हैं?’

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तब किसान आंदोलन में ‘खालिस्तानी’ तत्वों की मौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर, अमरिंदर सिंह ने कहा था, ‘मैं नहीं कह सकता है कि वे खालिस्तानी हैं। खालिस्तान, नक्सल और अर्बन नक्सल सिर्फ़ नाम हैं। ये अलग-अलग विचारधारा वाले लोग हैं।’

तब उन्होंने लाल क़िला घटना पर कहा था, ‘इस पर किसी भारतीय को गर्व नहीं हो सकता। लाल किला हमारी स्वतंत्रता और लोकतंत्र का प्रतीक है। 17 अगस्त 1947 से वहां तिरंगा लहरा रहा है। वह दुखद दिन था जब मैंने देखा क्या हुआ।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसानों ने साफ़ कर दिया है कि वे हिंसा में विश्वास नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा था कि ‘मुझे नहीं लगता है कि किसान इस हिंसा में शामिल थे। मुझे लगता है कि ये वो लोग थे, जो आंदोलन को ख़राब करना चाहते थे।’

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