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मेरठ: कोरोना पॉजिटिव और क्वरेंटीन किये गये लोगों को साथ रखने का आरोप

मेरठ: कोरोना पॉजिटिव और क्वरेंटीन किये गये लोगों को साथ रखने का आरोप

मेरठ के एक शख्स ने आरोप लगाया है कि कोरोना पॉजिटिव दो मरीजों के साथ एक ही वार्ड में उन लोगों को भी रखा गया है, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।

मेरठ में कोरोना वायरस से संक्रमित दो व्यक्तियों के साथ इस वायरस के संदिग्ध मरीजों को रखे जाने के वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया है। वीडियो में आरोप लगाया गया है कि कोरोना पॉजिटिव दो मरीजों के साथ एक ही वार्ड में उन लोगों को भी रखा गया है, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने एक खाली बेड दिखाते हुए दावा किया है कि यह बेड उसी व्यक्ति का है जो कोरोना पॉजिटिव पाया गया लेकिन उसे शिफ्ट करने के बाद भी उसके बेड की चादर तक नहीं बदली गई। प्रशासन ने जहाँ इसे चूक माना है, वहीं अस्पताल प्रशासन ने इसे बदनाम करने की साजिश बताते हुए उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के लिए डीएम को पत्र लिखा है।

इन वीडियो को सोशल साइट्स पर शेयर करने वाले शख्स का आरोप है कि इस अस्पताल में मरीजों को घटिया क्वालिटी का भोजन दिया जा रहा है। यह स्पष्ट दिख रहा है कि वीडियो बनाने वाला शख्स क्वरेंटीन वार्ड में घूम कर वीडियो बना रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अस्पताल प्रशासन या उपस्थित स्टाफ़ ने इस व्यक्ति की रिपोर्ट क्यों नहीं की और ऐसा करने से रोकने की जगह वे वीडियो में मूकदर्शक बने तमाशा देखते हुए क्यों नज़र आ रहे हैं।

कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के संपर्क में आने वाला नासिर नाम का एक व्यक्ति अपनी पत्नी, साली और दो बच्चों को लेकर जांच के लिये लाला लाजपतराय मेडिकल कॉलेज पहुंचा था। यहां से उसके पूरे परिवार को जांच के लिए एक निजी मेडिकल कॉलेज में भेजा गया था, जहां उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई लेकिन दिशा-निर्देशों के आधार पर उसे क्वरेंटीन वार्ड में भर्ती कर किया गया। 

क्वरेंटीन किए गए इस मरीज का आरोप है कि उसे और उसके बच्चों को मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में 24 घंटे तक दो कोरोना पॉजिटिव रोगियों के साथ रखा गया। इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने वीडियो वायरल करने वाले व्यक्ति के आरोपों को निराधार बताया है। मेरठ मंडल की कमिश्नर ने मामले में जांच की बात कही है जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि वार्ड में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए पर्याप्त दूरी रखी गई है लेकिन फिर भी यह एक बड़ा खतरा हो सकता है।

मेरठ के नेशनल हाईवे 58 स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल में 29 मार्च, 2020 को कोरोना के 35 संदिग्ध मरीजों को एडमिट कराया गया था जिनमें से 32 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है और तीन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव। नेगेटिव रिपोर्ट वाले कुछ लोगों ने कई वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर इस निजी मेडिकल कॉलेज पर लापरवाही करने के आरोप लगाये हैं। इनका कहना है कि यहां भर्ती किये गये लोगों को सुबह से शाम तक खाना नहीं दिया जाता, वार्डों की सफाई नहीं की जाती। इनका कहना है कि उन लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के साथ रखा गया, जो बेहद ख़तरनाक है।

सुभारती मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से मेरठ के जिलाधिकारी को लिखे गये पत्र में आरोप लगाया गया है कि एक व्यक्ति ने स्वयं गंदगी फैलाकर वीडियो शूट किया और उसे वायरल कर दिया। मामले का संज्ञान लेते हुए मेरठ की कमिश्नर अनीता मेश्राम ने कहा कि प्रोटोकॉल के मुताबिक़ कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों को क्वरेंटीन किया जा रहा है लेकिन यदि कोई लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जायेगी। 

छत्रपति शिवाजी सुभारती हॉस्पिटल, सुभारती मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक का आरोप है कि क्वरेंटीन वार्ड में भर्ती कुछ लोग मनपसंद भोजन की मांग कर रहे थे जिसे उपलब्ध कराना संभव नहीं था। दूसरी तरफ वीडियो में दिखाई दे रहा है कि वार्ड के बाहर एक रैक में पॉलीथिन में भोजन के पैकेट रखे हैं। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस मामले में हुई लापरवाही को स्वीकार किया है और कहा है कि उसी वार्ड में दो लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद तत्काल रात में ही उन दोनों मरीजों को मेरठ मेडिकल कॉलेज में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर देना चाहिए था, जिसमें देरी हुई। उन्होंने कहा कि वार्ड में बेड सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों के मुताबिक़ ही लगे थे और उनके बीच में पार्टिशन भी लगाए गये हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुभारती प्रबंधन को आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं।

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