एजीवीए के पीएम केयर्स वाले वेंटिलेटर में गड़बड़ी के आरोप क्यों?
जैसा विवाद पीएम केयर्स फंड को लेकर होता रहा है वैसा ही विवाद अब विवादित नयी कंपनी एजीवीए (AgVa) हेल्थकेयर द्वारा पीएम केयर्स फंड के लिए बनाए गए वेंटिलेटर को लेकर हुआ है। पहले मुंबई के दो अस्पतालों से एजीवीए के वेंटिलेटर के ख़राब प्रदर्शन को लेकर शिकायत आई और फिर एजीवीए के दो पूर्व कर्मचारियों ने गड़बड़ी की बात कही और हफपोस्ट इंडिया ने इस पर एक लंबी चौड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की। बाद में जब एजीवीए के वेंटिलेटर पर छपी इस रिपोर्ट को कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने उठाया तो हंगामा हुआ। इस पर अब एजीवीए ने 'एएनआई' पर लंबी-चौड़ी सफ़ाई जारी की है और गड़बड़ी के आरोपों को नकार दिया है। तो मामला क्या है, क्या वेंटिलेटर में गड़बड़ी है या फिर यूँ ही मामले को तूल दिया जा रहा है?
एजीवीए के वेंटिलेटर पर प्रकाशित रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए राहुल गाँधी ने लिखा, 'पीएम केयर्स की अपारदर्शिता है:1. भारतीयों कि ज़िंदगियों को ख़तरे में डालना। 2. सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक पैसे का इस्तेमाल ख़राब उत्पादों को खरीदने में किया जाए।'
#PMCares opacity is:
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 5, 2020
1. Putting Indian lives at risk.
2. Ensuring public money is used to buy sub-standard products.#BJPfailsCoronaFighthttps://t.co/6lIAPH0SJL
जिस 'हफपोस्ट इंडिया' की रिपोर्ट आधार पर राहुल गाँधी ने यह लिखा है उसमें मुख्य रूप से दो अस्पतालों की शिकायतों और एजीवीए के दो कर्मचारियों की रिपोर्ट का आधार बनाया गया है। मुंबई के प्रसिद्ध जेजे हॉस्पिटल में डॉक्टरों द्वारा एजीवीए वेंटिलेटर के वास्तविक प्रदर्शन और डिवाइस पर दर्शाए जा रहे प्रदर्शन के बीच अंतर देखा गया। 'मुंबई मिरर' की एक रिपोर्ट के अनुसार, दान के रूप में मिले 39 एजीवीए वेंटिलेटर का जेजे अस्पताल द्वारा मूल्यांकन किया गया। जे जे अस्पताल से जुड़े और समर्पित कोविड-19 अस्पताल, सेंट जॉर्ज अस्पताल को 42 एजीवीए वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे। 'मुंबई मिरर' के अनुसार, पाँच अनुभवी डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा लिखी गई अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया है, 'प्रदर्शित FiO2 का अधिकतम स्तर वास्तविक वितरित FiO2 का संकेत नहीं देता है क्योंकि रोगी ने मल्टीपारा मॉनिटर पर 86% तक के डिसैचुरेशन के संकेत दिखाए थे।'
FiO2 यानी प्रेरित ऑक्सीजन का अंश का मतलब है- एक मरीज के फेफड़े में कितना प्रतिशत ऑक्सीजन पंप होती है। यह 21% से लेकर 100% तक हो सकता है। वायुमंडल में स्वाभाविक रूप से ऑक्सीजन 21 प्रतिशत मौजूद होता है।
पूर्व कर्मचारियों के आरोप क्या?
हफ़पोस्ट इंडिया की रिपोर्ट में एजीवीए के दो पूर्व कर्मचारियों ने भी FiO2 को लेकर गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। हफ़पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व कर्मचारियों ने कहा कि जब वे कंपनी में काम कर रहे थे तब वेंटिलेटरों की टेस्टिंग के दौरान FiO2 90% तक भी नहीं पहुँच रहा था तो उन्होंने तकनीकी टीम को इसकी जानकारी दी। हफ़पोस्ट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक पूर्व कर्मचारी ने कहा, 'उन्होंने कुछ आसान कोड की मदद से सिर्फ़ 10 मिनट में पाँच उपकरणों में FiO2 को ठीक कर दिया।'
एजीवीए के पूर्व कार्यकारी अधिकारी अश्विनी कुमार ने हफ़पोस्ट इंडिया को बताया कि उन्होंने एजीवीए वेंटिलेटर को देखा था कि वे 80% FiO2 (80% ऑक्सीजन) पर तब भी पहुँच रहे थे, जब उपकरण ऑक्सीजन के स्रोत से जुड़े ही नहीं थे।
बिना ऑक्सिजन स्रोत से जुड़े हुए किसी भी वेंटिलेटर में ऑक्सीजन 21% से ज़्यादा का आँकड़ा डिस्प्ले पर नहीं आना चाहिए। वातावरण में 21% से ज़्यादा ऑक्सीजन नहीं होती है इसलिए इससे ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
ऑक्सीजन में गड़बड़ी के आरोपों पर एजीवीए के सह संस्थापक दिवाकर वैश ने कहा, 'हर वेंटिलेटर में ऑक्सीजन सेंटर बना होता है जिसकी धीरे-धीरे एफिसिएंसी कम होती जाती है। जो कि धीमे-धीमे पावर कम होती जाती है... तो उसको कैलिबरेट करना पड़ता है। हर वेंटिलेटर के अंदर यह ऑपशन होता है। तो कई बार 100 ऑक्सीजन होता है तो भी यह कई बार 90% दिखाता है तो कई बार 85% दिखाता है। तब इसे कैलिबरेट करना पड़ता है। दुनिया के हर एनेस्थेटिस्ट को यह बात पता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'अब बकुछ कर्मचारी ने, कुछ पूर्व कर्मचारी ने जिनको यह बात पता नहीं थी और जो मार्केटिंग डिपार्टमेंट से थे उन्होंने बोला- ऐसा-ऐसा किया 80% था और 100% पहुँच गया। ...अब राहुल गाँधी जी को शायद यह बात पता नहीं होगी तो उन्होंने रीट्वीट कर दिया...।'
There was no pressure. We were given an order after due verification by (Health) Ministry. Ventilators were tested on various patients. Complete analysis was done by ministry: Prof D.Vaish, Co-founder AgVa Healthcare, on if there was pressure to manufacture more to meet demand pic.twitter.com/VNu82aoo4E
— ANI (@ANI) July 7, 2020
हफ़पोस्ट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जेजे अस्पताल की रिपोर्ट जैसी ही दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अनुभवी डॉक्टरों के एक पैनल ने भी चिंताएँ जताई थीं। उन्होंने मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर एजीवीए वेंटिलेटर का मूल्यांकन किया था। जेजे अस्पताल और आरएमएल अस्पताल की रिपोर्ट में इसी तरह की कमियों को चिह्नित किया गया था: 'मूल्यांकन किए गए एजीवीए वेंटिलेटर विफल होने की ओर अग्रसर थे, जो काम कर भी रहे थे वे महत्वपूर्ण मापदंडों को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे थे, वेंटिलेटर उच्च FiO2 प्रतिशत देने के लिए संघर्ष कर रहे थे, और आईसीयू में गंभीर रूप से बीमार रोगियों की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकते थे।'
'मुंबई मिरर' की रिपोर्ट के अनुसार, जेजे अस्पताल की रिपोर्ट ने भी कहा है, एक एजीवीए वेंटिलेटर परीक्षण मशीन में प्लग किए जाने के पाँच मिनट के भीतर विफल हो गया।
पिछले महीने हफ़पोस्ट इंडिया ने रिपोर्ट की थी कि आरएमएल अस्पताल के पैनल ने शुरुआत में एजीवीए के वेंटिलेटर को अस्वीकार कर दिया था। मंत्रालय ने तब वेंटिलेटर को डॉक्टरों के एक दूसरे पैनल में पुनर्मूल्यांकन के लिए भेजा, जिन्होंने वेंटिलेटर को कैविट से पारित किया था कि एजीवीए के वेंटिलेटर को गंभीर स्थिति में, आईसीयू-ग्रेड वेंटिलेटर के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाए और केवल उन मामलों में इसका उपयोग किया जाना चाहिए जहाँ एक बैकअप वेंटिलेटर उपलब्ध हो। जैसा कि हफ़पोस्ट इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अब मुंबई के डॉक्टरों ने एजीवीए के वेंटिलेटर की गुणवत्ता और प्रदर्शन को लेकर चिंता जताई है।