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गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें, गोहत्या पर प्रतिबंध लग जाएगाः कोर्ट

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें, गोहत्या पर प्रतिबंध लग जाएगाः कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस शमीम अहमद ने अपने एक फैसले में टिप्पणी करते हुए केंद्र से आग्रह किया है कि वो गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करे। इससे गोहत्या रुक जाएगी। जस्टिस शमीम ने और क्या कहा, पढ़िएः

केंद्र सरकार गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करे, ताकि गोहत्या पर प्रतिबंध लग सके। यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक फैसले में कही है।

पीटीआई के मुताबिक जस्टिस शमीम अहमद ने कहा, "हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं और सभी धर्मों के लिए सम्मान होना चाहिए। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि गाय दैवीय और प्राकृतिक भलाई की प्रतिनिधि है। इसलिए इसे संरक्षित और सम्मानित किया जाना चाहिए। अदालत ने यूपी गोवध निवारण अधिनियम, 1955 के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।

याचिकाकर्ता बाराबंकी निवासी मोहम्मद अब्दुल खालिक ने दलील दी थी कि पुलिस ने बिना किसी सबूत के उन पर मामला दर्ज किया है और इसलिए उनके खिलाफ अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में लंबित कार्यवाही को रद्द किया जाना चाहिए।

याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों से याचिकाकर्ता के खिलाफ पहली नजर में ही मामला बनता है। 

जस्टिस शमीम अहमद ने आदेश पारित करते हुए कहा- गाय को विभिन्न देवताओं से भी जोड़ा गया है, विशेष रूप से भगवान शिव (जिनका वाहन नंदी, एक बैल है) भगवान इंद्र (कामधेनु से निकटता से जुड़े), भगवान कृष्ण (अपनी युवावस्था में एक चरवाहे के तौर पर) गाय को प्यार करते पाए जाते हैं। यह भी किंवदंती है रि गाय समुद्र मंथन के समय दूध के सागर से निकली थी। उसे सात ऋषियों के सामने पेश किया गया था और समय के साथ ऋषि वशिष्ठ के पास में आ गई। जज ने आगे कहा कि गाय के पैर चार वेदों के प्रतीक हैं और उसका दूध चार "पुरुषार्थ" या मानवीय उद्देश्य कहें तो धर्म या धार्मिकता, "अर्थ" या भौतिक संपदा, "काम" या इच्छा और "मोक्ष" का प्रतीक है। उसके सींग देवताओं का प्रतीक हैं, उसका चेहरा सूर्य और चंद्रमा और उसके कंधे "अग्नि" (अग्नि के देवता) हैं।

अदालत ने कहा - गाय को अन्य रूपों में भी वर्णित किया गया है: नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमना। दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में भारत में प्रवेश करने वाले लोग पशुपालक थे। मवेशियों का बड़ा आर्थिक महत्व था जो उनके धर्म में दिखता था। दूध देने वाली गायों के वध पर तेजी से प्रतिबंध लगा दिया गया। महाभारत और "मनुस्मृति" में इसकी मनाही है। "पंचगव्य" (गाय का दूध, दही, मक्खन, मूत्र) से उपचार शुद्धि देता है। उसके गोबर का इस्तेमाल पूजा में होता है।

अदालत ने कहा- 

गाय की हत्या के खिलाफ कानून कई रियासतों में 20वीं सदी में बना। किंवदंतियों में यह भी कहा गया है कि ब्रह्मा ने पुजारियों और गायों को एक ही समय में जीवन दिया ताकि पुजारी धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकें, जबकि गाय के घी को अनुष्ठानों में प्रसाद के रूप में रख सकें। जो कोई भी गायों को मारता है या दूसरों को उन्हें मारने की अनुमति देता है, उसे कई वर्षों तक नरक में सड़ना होता है।


- जस्टिस शमीम अहमद, इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच, 14 फरवरी 2023

कोर्ट ने आगे कहा - इसी तरह, बैल को भगवान शिव के वाहन के रूप में दर्शाया गया है। बैल नर मवेशियों के सम्मान का प्रतीक है। महाभारत में, भीष्म ने कहा कि गाय जीवन भर के लिए मनुष्यों को दूध प्रदान करके एक सरोगेट मदर के रूप में कार्य करती है, इसलिए वह वास्तव में दुनिया की माता है। पुराणों में कहा गया है कि गायों के उपहार से ज्यादा धार्मिक कुछ भी नहीं है। भगवान राम को कई गायों का उपहार दिया गया था।

याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस शमीम अहमद ने कहा- यह बेंच उम्मीद और भरोसा करती है कि केंद्र सरकार देश में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और गायों को 'संरक्षित राष्ट्रीय पशु' घोषित करने के लिए उचित निर्णय लेगी।

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