इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरिंद्र कोली को 12 और मोनिंदर सिंह पंढेर को 2 मामले में बरी किया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को 2005-2006 में नोएडा में हुए निठारी कांड से जुड़े 12 मामलों में मुख्य संदिग्ध सुरिंदर कोली को बरी कर दिया है। उसे इन सभी 12 मामलों में ट्रायल कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी।
वहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस कांड से जुड़े एक और संदिग्ध मोनिंदर सिंह पंढेर को भी दो मामलों में बरी कर दिया है, इसमें उसे ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।
कानून से जुड़ी खबरों की वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने पिछले महीने ही इस मामलों में अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद पंढेर और कोली द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया था।
सुरिंदर कोली को पहले 12 मामलों में मौत की सजा दी गई थी। जबकि इससे पहले मोनिंदर सिंह पंढेर को भी ट्रायल कोर्ट ने 2 मामलों में मौत की सजा सुनाई थी।
निठारी कांड अपने समय का बेहद चर्चित कांड रहा है। कुख्यात निठारी हत्याकांड 2005 और 2006 के बीच हुआ था। यह कांड तब सामने आया था जब दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी में एक घर के पास नाले में कई सारे कंकाल पाए गए थे।
इसके बाद हुई जांच में पाया गया था कि मोनिंदर सिंह पांडेर उस घर का मालिक है और कोली उसका घरेलू सहायक था और इसलिए, दोनों को घटना का आरोपी बनाया गया था और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
2017 में सीबीआई कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने सितंबर में फैसला सुरक्षित रखने के बाद सोमवार को दोनों दोषियों द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया है। मोनिंदर पांडेर की ओर से वकील मनीषा भंडारी पेश हुईं वहीं सुरेंद्र कोली की ओर से अधिवक्ता पयोशी रॉय उपस्थित हुए।सीबीआई ने इस कांड की जांच में सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूतों को नष्ट करने सहित विभिन्न आरोपों में आरोपी बनाया गया था, जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर को अनैतिक तस्करी से संबंधित एक मामले में आरोपित किया गया था।
इस कांड में सुरिंदर कोली को अंततः विभिन्न लड़कियों के साथ कई बलात्कार और हत्या करने का दोषी ठहराया गया और 10 से अधिक मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी।
जुलाई 2017 में, न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी की अध्यक्षता वाले एक विशेष सीबीआई कोर्ट ने पंढेर और कोली को 20 वर्षीय महिला पिंकी सरकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
2015 में एक मामले में आजीवन कारावास में बदली थी सजा
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले, 2009 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुरिंदर कोली को दोषी ठहराया था। वहीं एक अन्य पीड़िता, 14 वर्षीय रिम्पा हलदर की हत्या और बलात्कार के लिए सबूतों की कमी के कारण पंढेर को बरी कर दिया था।इस फैसले के खिलाफ सुरिंदर कोली की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में ही खारिज कर दिया था। कोली की समीक्षा याचिका को भी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
बाद में 28 जनवरी 2015 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोली की दया याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी के कारण सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।