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'मैं अल जज़ीरा से वाएल दाहदोह'...और तभी रिपोर्टर का परिवार ग़ज़ा में मारा गया

'मैं अल जज़ीरा से वाएल दाहदोह'...और तभी रिपोर्टर का परिवार ग़ज़ा में मारा गया

गजा में इजराइली बमबारी से अब तक 21 पत्रकार मारे जा चुके हैं लेकिन अल जजीरा के ब्यूरो चीफ दाहदोह का पूरा परिवार उस समय इजराइली गोलीबारी में मारा गया जब दाहदोह खुद रिपोर्टिंग कर रहे थे। गजा में खबरें भेजने वाले पत्रकारों की जिन्दगी काफी जोखिम भरी होती जा रही है। 

गाजा में अल जजीरा अरबी के ब्यूरो प्रमुख वाएल दाहदौह की पत्नी, बेटा, बेटी और पोते इजराइली हवाई हमले में मारे गए हैं। वाएल दाहदोह इस घटना के समय खुद यरमौक से ऐसी ही घटना की रिपोर्टिंग कर रहे थे। इज़राइली हमले में उस समय यरमौक पर भयानक बमबारी हो रही थी। लेकिन वाएल दाहदोह को खुद पता नहीं था कि नुसीरात रिफ्यूजी कैंप में उनका परिवार मारा जा चुका है। अल जजीरा ने इस घटना पर गहरा अफसोस जताते हुए इसकी निन्दा की और पत्रकारिता के उच्च आदर्शों के लिए प्रतिबद्धता दोहराई है। गजा में ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए लोग अल जजीरा पर ही निर्भर हैं।

अल जजीरा ने जो फुटेज दिखाया है, उसमें दाहदोह को अपनी मृत पत्नी, बेटे और बेटी को मोर्चरी में देखने के लिए बुधवार को अल-अक्सा शहीद अस्पताल में जाते हुए दिखाया गया है। वो झुककर अपने 15 वर्षीय बेटे महमूद के चेहरे को छू रहे थे, जो अपने पिता की तरह पत्रकार बनना चाहता था। फ़ुटेज में वो अपनी सात वर्षीय बेटी शाम का कफन में ढका हुआ शव हाथ में लिए हुए है। वो उसके खून से सने चेहरे को देखते हुए उससे कुछ बातें कर रहे हैं।

दाहदोह ने अस्पताल से बाहर निकलते समय अल जज़ीरा से कहा-  “जो हुआ वह साफ है। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को लगातार टारगेट किया जा रहा है। मैं ऐसे ही एक हमले के बारे में यरमौक से रिपोर्टिंग कर रहा था, तभी यह मनहूस खबर आई। हमें पहले से ही शक था कि इज़राइली इन लोगों को दंडित किए बिना जाने नहीं देगा। और दुख की बात है कि वही हुआ। हालांकि यह 'सुरक्षित' क्षेत्र है जिसके बारे में इजराइली सेना ने भी बताया था।“ दाहदोह के पोते एडम को दो घंटे बाद मृत घोषित कर दिया गया। दाहदोह के परिवार के कुछ सदस्य, जिनमें एक छोटी पोती भी शामिल है, गजा के दक्षिण में नुसीरत शरणार्थी शिविर में उस घर पर हुए हमले में बच गए, जिसमें वे रह रहे थे।

अल जजीरा मीडिया नेटवर्क ने एक बयान में कहा, "इजराइली सेना के अंधाधुंध हमले के नतीजे में दाहदोह की पत्नी, बेटे और बेटी की दुखद मौत हो गई, जबकि उनका बाकी परिवार मलबे में दब गया है। उनके घर को गजा के केंद्र में नुसीरत रिफ्यूजी कैंप में निशाना बनाया गया था, जहां उन्होंने अपने पड़ोस में शुरुआती बमबारी से विस्थापित होने के बाद शरण मांगी थी। अल जज़ीरा गजा में अपने सहयोगियों की सुरक्षा के बारे में बहुत चिंतित है और उनकी सुरक्षा के लिए इजराइली अधिकारियों को जिम्मेदार मानता है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने और नागरिकों पर इन हमलों को रोकने का आग्रह करते हैं, जिससे निर्दोष लोगों की जान सुरक्षित हो सके।

गजा से अल जज़ीरा की रिपोर्टर युमना एलसैयद ने कहा: “वाएल के परिवार के बारे में रिपोर्टिंग करना और यह देखना कि वो लोग कितने टूट गए हैं, हृदयविदारक है। इतने दुख के बावजूद वो परिवार के सभी को शांत करा रहे हैं। वह हमसे सिर्फ एक ब्यूरो चीफ नहीं, बल्कि एक बड़े भाई की तरह बात करते हैं। उन्होंने गजा शहर नहीं छोड़ा। तमाम धमकियों और चेतावनियों के बावजूद वो रुके रहे और लगातार 19 दिनों से रिपोर्टिंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे इन लोगों के बारे में रिपोर्ट करने के लिए यहां गजा शहर में हर समय होना चाहिए, जिन पर हर दिन बमबारी हो रही है। मैं गजा के लोगों का साथ नहीं छोड़ सकता। दाहदोह गजा नहीं छोड़ना नहीं चाहते हैं।”

अल जजीरा में कार्यरत दाहदोह के सहयोगियों ने उन्हें पूरे समर्थन और सहयोग की बात कही है। अल जज़ीरा अरबी के एंकर तामेर अलमिशाल ने कहा कि दाहदोह के परिवार के सदस्यों की हत्या फ़िलिस्तीनी पत्रकारों को टारगेट करने का हिस्सा है। अलमिशाल ने दाहदोह को गजा की आवाज कहा। इसलिए उनके परिवार को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा- “वाएल दाहदोह पत्रकारिता की दुनिया और गजा में एक स्तंभ हैं। उन्होंने वर्षों से गजा पर इजराइली हमलों, युद्धों, पत्रकारों को निशाना बनाने और महिलाओं और बच्चों की हत्या को कवर किया है।

21 पत्रकार मारे गए

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) और फिलिस्तीनी जर्नलिस्ट सिंडिकेट (पीजेएस) ने कहा है कि गजा पट्टी में कम से कम 21 फिलिस्तीनी पत्रकार मारे गए हैं, कई घायल और लापता हैं। फेडरेशन ने पत्रकारों की हत्याओं और उन पर जारी हमलों की निंदा की है। आईएफजे ने उनकी मौत की फौरन जांच की मांग की है। आईएफजे ने गजा के पत्रकारों से अपील की है कि पत्रकार बिना सुरक्षा कहीं नहीं जाएं। जब तक उनका संस्थान सुरक्षा की गारंटी नहीं लेता, तब तक उन्हें असुरक्षित इलाकों में नहीं जाना चाहिए। 

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