सत्ताधारी दल ने वैक्सीन कंपनी से चंदा ले जनता की जान की बाज़ी लगायी: अखिलेश
जिन अखिलेश यादव ने बीजेपी की वैक्सीन पर भरोसा नहीं होने की बात कहकर टीका लगवाने से इनकार कर दिया था, उन्होंने अब कोविशील्ड के गंभीर दुष्प्रभाव की रिपोर्टों के बाद बीजेपी पर हमला किया है। अखिलेश ने कहा कि सत्ताधारी दल ने वैक्सीन बनानेवाली कंपनी से राजनीतिक चंदा वसूलकर जनता की जान की बाज़ी लगायी है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में सर्वोच्च स्तर पर न्यायिक जाँच हो।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है, 'ऐसी जानलेवा दवाइयों को अनुमति देना किसी की हत्या के षड्यंत्र के बराबर है और इसके लिए ज़िम्मेदार सभी पर आपराधिक मुक़दमा चलना चाहिए।'
एक व्यक्ति को 2 वैक्सीन के हिसाब से लगभग 80 करोड़ भारतीयों को कोविशील्ड वैक्सीन दी गयी है, जिसके बारे में उसका मूल फ़ार्मूला बनानेवाली कंपनी ने कहा है कि इससे हार्ट अटैक यानी हृदयघात का ख़तरा हो सकता है। जिन लोगों ने वैक्सीन के साइड एफ़ेक्ट के कारण अपनों को खोया है या जिन्हें…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 1, 2024
उन्होंने कहा, 'एक व्यक्ति को 2 वैक्सीन के हिसाब से लगभग 80 करोड़ भारतीयों को कोविशील्ड वैक्सीन दी गयी है, जिसके बारे में उसका मूल फ़ार्मूला बनानेवाली कंपनी ने कहा है कि इससे हार्ट अटैक यानी हृदयघात का ख़तरा हो सकता है। जिन लोगों ने वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट के कारण अपनों को खोया है या जिन्हें वैक्सीन के दुष्परिणामों की आशंका थी, अब उनका शक़ और डर सही साबित हुआ है।'
उनका यह बयान तब आया है जब भारत में कोविशील्ड नाम की जिस वैक्सीन से बड़े पैमाने पर टीकाकरण किया गया उसको बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने वैक्सीन के गंभीर दुष्प्रभावों की बात को स्वीकार किया है। कंपनी ने ब्रिटिश अदालत के सामने कबूल किया है कि इसके कारण होने वाले साइड इफेक्ट के रूप में खून के थक्के जम सकते हैं और प्लेटलेट की संख्या कम हो सकती है जिसके कारण हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ सकता है।
कोविड संक्रमण के काल में एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने एक वैक्सीन विकसित की। इस वैक्सीन को बनाने के लिए भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने क़रार किया और इसको भारत में कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बनाना शुरू किया। इस वैक्सीन को लेकर शुरू से ही ब्लड क्लॉटिंग के गंभीर मामले आने की शिकायतें आती रही हैं। यह रिपोर्ट आते ही भारत में भी तीखी प्रतिक्रिया हुई। इस पर अखिलेश का पुराना वीडियो फिर से समाने आया जिसमें उन्होंने वैक्सीन पर संदेह जताया।
हमारे नेता ने भाजपा की वैक्सीन लगाने से मना किया तो लोगों ने मजाक बनाया। आज उनकी बात सच साबित हुई। इस अपराध में शामिल सभी लोगों की गिरफ़्तारी होनी चाहिए।#ArrestNarendraModi pic.twitter.com/WgeswSnuqw
— Parmindar Ambar (@ParmindarAmbar) April 30, 2024
समाजवादी पार्टी से जुड़े परमिंदर अंबर नाम के यूज़र ने लिखा है, "हमारे नेता ने भाजपा की वैक्सीन लगाने से मना किया तो लोगों ने मजाक बनाया। आज उनकी बात सच साबित हुई। इस अपराध में शामिल सभी लोगों की गिरफ़्तारी होनी चाहिए।"
आरटीआई एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने लिखा है, 'अब समझ आया उसने कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी से एक ही दिन में 52 करोड़ का चंदा क्यों लिया? हार्ट अटैक से हुई लाखों मौतों का जिम्मेदार सिर्फ वही है।'
भारत में मौत पर सवाल
सवाल अब इसको लेकर उठाया जा रहा है कि जब एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन में ब्लड क्लॉटिंग के मामले आ रहे थे तो भारत में एहतियात क्यों नहीं बरती गई। तब भारत में भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट से मौत के मामले आए थे। मई 2021 में 18 वर्षीय रितिका ओमत्री को हैदराबाद के बाग अंबरपेट इलाके के एक केंद्र में कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक मिली। इसके पाँच दिन के अंदर उसको दिक्कतें होने लगीं। तेज बुखार आया, प्लेटलेट्स काफ़ी ख़तरनाक स्तर तक गिर गये। कुछ दिनों बाद उल्टी शुरू हो गई और चल भी नहीं सकती थी। एमआरआई स्कैन से पता चला कि दिमाग में कई ब्लड क्लॉट बन गए थे और इस वजह से ब्रेन हैमरेज हो गया। बचाया नहीं जा सका। वैक्सीनेशन के दो हफ्ते में ही उसकी मौत हो गई।
Vaccine Deaths :
— Gabbar (@Gabbar0099) May 1, 2024
Rithaika Sri Omtri took her first dosage of COVISHIELD in May 2021. Within 5 Days High fever.
11 Days later Vomit, can't walk. MRI SCAN showed her brain had several blood clots and a haemorrhage.
2 weeks after Vaccination Doctors declared her brain dead. 1/n pic.twitter.com/uU80c7wYzA
लेकिन ब्रिटेन में स्थिति अलग थी। वहाँ मई 2021 में एहतियात के तौर पर यूनाइटेड किंगडम सरकार ने वैकल्पिक टीका उपलब्ध होने पर 39 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए कोविशील्ड, या एस्ट्राजेनेका के उपयोग के खिलाफ सलाह दी थी। यही वजह थी कि वहाँ इस वैक्सीन को लगाने के लिए कंसेंट फॉर्म पर दस्तख़त करना होता था।
2021 में ही एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन पर यूरोपीय यूनियन के बड़े देशों- जर्मनी, इटली, फ्रांस जैसे कई देशों ने तात्कालिक तौर पर रोक लगा दी थी। 2022 में ही एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में कहा गया था कि फाइजर की तुलना में एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन से जुड़े मामलों में ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम ज़्यादा रहा है। इसमें कहा गया है कि यह 30 फ़ीसदी तक अधिक है।
ऐसे मामले भारत में भी आए थे। टीकाकरण के बाद विपरीत प्रभावों पर नज़र रखने वाले सरकारी पैनल ने कहा था कि कोविड वैक्सीन के बाद रक्तस्राव और थक्के जमने के मामले मामूली हैं और ये उपचार किए जाने के अपेक्षा के अनुरूप हैं।
वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट पर आ रही रिपोर्टों को लेकर तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मार्च 2021 में कहा था कि कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों पूरी तरह से सुरक्षित और प्रतिरक्षात्मक हैं और अब तक देश में इस्तेमाल किए जा रहे इन टीकों की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा था कि 'देश में कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाए गए लाभार्थियों की कुल संख्या में गंभीर साइड इफेक्ट की सूचना देने वालों का प्रतिशत 0.0002 है'।
AEFI - Adverse Event following immunization - Any health complication that results from a vaccine or a drug or the process of delivering either.
— RAHUL (@RahulSeeker) April 30, 2024
The system of reporting cases & collating data on AEFI is crucial to devising strategies to deal with them in future. 3/12 pic.twitter.com/ZlR3MbG3lf
द हिंदू ने 9 अप्रैल 2021 को रिपोर्ट दी थी, '31 मार्च को आयोजित एक बैठक के दौरान राष्ट्रीय एईएफआई समिति को दी गई एक प्रस्तुति के अनुसार, टीकाकरण के बाद 617 ख़तरनाक और गंभीर (मृत्यु सहित) प्रतिकूल घटनाएं हुई हैं। 29 मार्च तक देश भर में टीकाकरण के बाद कुल 180 मौतें दर्ज की गई हैं। केवल 236 मामलों के लिए पूर्ण दस्तावेज़ उपलब्ध हैं।'
इसके बाद वैक्सीन के साइड इफेक्ट से मरने वालों की संख्या का कोई रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। 2022 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के माध्यम से स्पष्ट किया था कि उन्हें कोविड-19 टीकों के कारण होने वाली मौतों के मुआवजे के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।
बहरहाल, कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने इस बात को तब स्वीकार किया है जब वह ब्रिटेन में इस वैक्सीन के कारण कुछ केस में मानव स्वास्थ्य को होने वाले गंभीर नुकसान और कई मौतों के आरोपों से जुड़े मुकदमों को झेल रही है। इसने पहली बार अदालती दस्तावेजों में माना है कि उसकी कोविड 19 वैक्सीन दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है।