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कोरोना: अखिलेश यादव ने रद्द किए चुनावी कार्यक्रम

कोरोना: अखिलेश यादव ने रद्द किए चुनावी कार्यक्रम

गोंडा और बस्ती में भी 7 और 8 जनवरी को अखिलेश यादव की चुनावी रैलियां थीं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने इन सभी चुनावी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है। 

तेज रफ्तार से बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपने आने वाले कुछ दिनों के चुनावी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है। अखिलेश यादव को 9 जनवरी को अयोध्या में समाजवादी पार्टी की विजय रथ यात्रा लेकर पहुंचना था। इस कार्यक्रम के अलावा गोंडा और बस्ती में भी 7 और 8 जनवरी को उनकी चुनावी रैलियां थीं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने इन सभी चुनावी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है। 

इससे पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कहा था कि वह कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बड़ी राजनीतिक रैलियों का आयोजन नहीं करेगी। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के अलावा बाकी चुनावी राज्यों में भी बड़ी रैलियां न करने की बात कही है। 

बता दें कि बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 90,928 नए मामले सामने आए हैं। कल कोरोना के 58,097 नए मामले सामने आए थे। इससे साफ पता चलता है कि संक्रमण बेहद तेज रफ्तार के साथ फैल रहा है। 

चुनाव आयोग के सामने चुनौती

ऐसे वक्त में जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव बिलकुल सामने आ गए हैं, कोरोना के मामले भी बेहद तेज रफ्तार के साथ बढ़ रहे हैं। दूसरी ओर चुनाव आयोग बहुत जल्द ही चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है और माना जा रहा है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आयोग बड़ी राजनीतिक रैलियों और चुनाव को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। 

इस बारे में लगातार मांग की जा रही है कि ओमिक्रॉन के तेज संक्रमण को देखते हुए बड़ी चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाया जाए। तमाम विशेषज्ञ इस बात को कह चुके हैं कि कोरोना की लहर इस महीने चरम पर होगी। 

ऐसे में बड़ी चुनावी रैलियों के जरिए निश्चित रूप से संक्रमण बहुत ज्यादा फैल सकता है और इसीलिए कांग्रेस के बाद अखिलेश यादव ने भी अपने कुछ चुनावी कार्यक्रमों को रद्द करने का फैसला किया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरुवार को नोएडा में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करनी थी लेकिन वह भी इस कार्यक्रम में अब नहीं आ रहे हैं। 

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग के सामने पांच राज्यों के चुनाव को कराना बहुत बड़ी चुनौती है। बीते साल जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी तब भी कई राज्यों में चुनाव हुए थे और उत्तर प्रदेश में भी पंचायत चुनाव हुए थे। 

उस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी। ऐसे में चुनाव आयोग को बेहद सावधानी और समझदारी से काम करना होगा।

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