नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में चल रहे प्रदर्शनों को लेकर केंद्र सरकार की मुश्किलें पहले से बढ़ी हुई हैं और इसमें अब और इज़ाफा हो गया है। सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख़्त ने भी इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे मुसलिम संगठनों को समर्थन देने का एलान किया है। गुरुवार को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़फरूल इस्लाम ख़ान ने इस मुद्दे पर अकाल तख़्त के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाक़ात की थी। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि सिख समुदाय इस आंदोलन के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को पूरा समर्थन देगा। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि देश के अल्पसंख्यकों में भय का माहौल है और सिखों को पीड़ित लोगों के साथ खड़े होना चाहिए।
ज़फरूल इस्लाम ख़ान के साथ बैठक के बाद ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘सिख पीड़ितों और अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े होने के अपने सिद्धांतों से बंधे हुए हैं। अल्पसंख्यकों में भय की भावना का होना देश के लिये अच्छा नहीं है। उन्होंने मुसलिम नेताओं से कहा कि वे हिंदू संगठनों का भी इस मुद्दे पर समर्थन लें।’
केंद्र सरकार की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई हैं क्योंकि उसके सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने भी इस मुद्दे पर तीख़े तेवर अपना लिये हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सबसे बुजुर्ग नेता और दिग्गज अकाली सियासतदान पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी नागरिकता क़ानून को लेकर हाल ही में हुई एक रैली में बीजेपी, आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुलकर घेरा था।
बादल ने नाम लिए बग़ैर केंद्र सरकार और बीजेपी पर बड़ा हमला बोला था और कहा था कि यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है कि देश की मौजूदा स्थिति लगातार ख़राब हो रही है। बादल ने कहा था, ‘अगर आपको सरकार चलाने में कामयाब होना है तो अल्पसंख्यकों और अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलना ही होगा। सभी देशवासी ख़ुद को एक परिवार का हिस्सा मानते हैं और सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए, जोकि नहीं हो रहा है।’