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<div>अजित पवार को कैसे मिली क्लीनचिट? जानिए, क्या है फॉर्मूला</div>

अजित पवार को कैसे मिली क्लीनचिट? जानिए, क्या है फॉर्मूला

विपक्षी दल आरोप लगाते रहे हैं पहले जिन नेताओं के ख़िलाफ़ बीजेपी भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगाती रही थी, उन्हें बीजेपी में शामिल होने के बाद क्लीनचिट दी जा रही है? जानिए, इन आरोपों में कितना दम है।

जिन अजित पवार के ख़िलाफ़ बीजेपी के नेता पानी पी-पीकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे और जिनके बारे में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि 'अजित पवार चक्की पीसिंग और चक्की पीसिंग', अब उनको क्लीनचिट मिल गई है। अजित पवार अब महाराष्ट्र राज्य सहकारी यानी एमएससी बैंक में कथित करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी मामले में आरोपी नहीं रहेंगे। उनके साथ अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा और उनके भतीजे रोहित को भी क्लीनचिट दी गई है। ये कोई पहले ऐसे राजनेता नहीं है जिनपर बीजेपी ने ही भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगाए और बाद में उसकी पार्टी में शामिल होने के बाद या तो केस को बंद कर दिया गया या फिर ढंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

कथित भ्रष्टाचार के आरोप झेलने वाले ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले 25 बड़े राजनेता भाजपा में शामिल हुए हैं। ये नेता अलग-अलग दलों से हैं। इन 25 नेताओं में से 10 कांग्रेस से हैं, एनसीपी और शिवसेना से चार-चार, टीएमसी से तीन, टीडीपी से दो और एसपी व वाईएसआरसीपी से एक-एक नेता हैं। हाल ही में द इंडियन एक्सप्रेस ने पड़ताल कर कहा था कि इनमें से 23 मामलों में नेताओं को राहत मिल गई। 

क़रीब तीन हफ़्ते पहले आई अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार पाला बदलकर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं में से तीन के मामले बंद कर दिए गए, 20 अन्य के रुके हुए हैं या ठंडे बस्ते में हैं, यानी जांच एजेंसी की कार्रवाई निष्क्रिय रही है। इन 25 नेताओं की इस सूची में शामिल छह राजनेता इस आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले इसी साल भाजपा में शामिल हुए हैं। रिपोर्ट में तो यह भी कहा गया है कि कैसे ईडी और सीबीआई द्वारा की गई कार्रवाई में 95 प्रतिशत प्रमुख राजनेता विपक्ष से थे।

विपक्ष इसे वॉशिंग मशीन क़रार देता है। वह कहता है कि यह एक ऐसा तंत्र है जिसके द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी राजनेताओं को पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने पर कानूनी कार्रवाई से छूट दे दी जाती है। 

ताज़ा मामला तो अजित पवार का है। इनका गुट एनसीपी से अलग हो गया था और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गया। रिकॉर्ड बताते हैं कि एनसीपी गुट के दो शीर्ष नेताओं, अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल के मामलों को बाद में बंद कर दिया गया।

महाराष्ट्र राज्य सहकारी यानी एमएससी बैंक में कथित करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी में दायर अपनी दूसरी क्लोजर रिपोर्ट में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू ने कहा है कि प्राप्त जानकारी और उसके द्वारा दर्ज किए गए बयान सही नहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि ईओडब्ल्यू को रोहित पवार की बारामती एग्रो द्वारा सहकारी चीनी फैक्ट्री की खरीद के संबंध में ईडी द्वारा दी गई सामग्री में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है।

जांच के दौरान उठाया गया एक और मुद्दा एमएससी बैंक द्वारा जरंदेश्वर शुगर फैक्ट्री को गुरु कमोडिटी प्राइवेट लिमिटेड को 65 करोड़ रुपये में बेचने से संबंधित था। यह कथित तौर पर वास्तविक बाजार मूल्य से बहुत कम था। यह आरोप लगाया गया था कि गुरु कमोडिटी ने तुरंत फैक्ट्री को जरंदेश्वर शुगर मिल लिमिटेड को 12 लाख रुपये प्रति वर्ष पर किराए पर दे दिया, जिसके बदले में मेसर्स जय एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड से 20 करोड़ रुपये की धनराशि मिली। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के चाचा राजेंद्र घाडगे जरंदेश्वर शुगर मिल लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक थे और अजित की पत्नी सुनेत्रा पवार मेसर्स जय एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक थीं। बहरहाल, अब क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है। 

प्रफुल्ल पटेल

प्रफुल्ल पटेल के ख़िलाफ़ कथित भ्रष्टाचार के मामले को सीबीआई ने बंद कर दिया है। इसने कहा है कि गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला है। ये वही प्रफुल्ल पटेल हैं जो पिछले साल जुलाई में उन बागी एनसीपी नेताओं में शामिल थे जिन्होंने बीजेपी और शिवसेना- एकनाथ शिंदे खेमे के साथ महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए अजित पवार के एनसीपी गुट का साथ दिया था। प्रफुल्ल पटेल पर भ्रष्टाचार के आरोप यूपीए शासन में मंत्री पद पर रहने के दौरान लगे थे। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सीबीआई द्वारा केस बंद किए जाने की ख़बर आई है।

हिमंत बिस्व सरमा

सारदा चिटफंड घोटाला मामले के मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन के साथ कथित वित्तीय लेनदेन के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की 2014 और 2015 में सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की गई थी। सीबीआई ने 2014 में उनके घर और कार्यालय पर छापा मारा और उनसे पूछताछ की थी। उनका नाम जल परियोजना अनुबंधों के लिए कथित रिश्वत देने से जुड़े लुइस बर्जर मामले में भी सामने आया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वह 2015 में बीजेपी में शामिल हुए। 

सुवेंदु अधिकारी

सीबीआई 2019 से नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का इंतजार कर रही है। अधिकारी 2020 में टीएमसी से बीजेपी में चले गए। अधिकारी कथित अपराध के समय एक सांसद थे। बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके ख़िलाफ़ केस आगे नहीं बढ़ पाया है। 

ऐसे ही कई नेता हैं जो बीजेपी में शामिल हो गए और इसके बाद या तो उनके ख़िलाफ़ केस बंद कर दिया गया या फिर केस आगे नहीं बढ़ पाया।

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