+
जब एनसीपी पर हक जता रहे तो रिसॉर्ट पालिटिक्स क्यों?

जब एनसीपी पर हक जता रहे तो रिसॉर्ट पालिटिक्स क्यों?

जब अजित पवार और शरद पवार दोनों ही एनसीपी पर दावा जता रहे हैं और पार्टी उनकी है तो फिर विधायकों को होटलों में क्यों ठहराया गया है?

अजित पवार खेमे ने भले ही एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन का दावा कर दिया है, लेकिन क्या इतने विधायक उनके पास हैं? यदि इस बारे में वह इतने पक्के हैं तो फिर सवाल है कि रिसॉर्ट पालिटिक्स क्यों? एक सवाल यह भी है कि शरद पवार भी कई विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं तो क्या बैठक में उनके साथ इतने विधायक हैं?

ज़रूरी समर्थन हासिल करने के लिए अजित पवार के गुट के सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि हालाँकि उनके हस्ताक्षरित हलफनामे चुनाव आयोग को सौंप दिए गए हैं, लेकिन विधायक तब तक होटल में रहेंगे जब तक कि गुट 5-6 अतिरिक्त विधायकों का समर्थन नहीं जुटा लेता। चुनाव आयोग को भेजे गए एक पत्र में बागियों ने सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने के उनके अप्रत्याशित कदम से कुछ दिन पहले 30 जून को अजित पवार को पार्टी अध्यक्ष के रूप में नामित किया था।

एक दिन पहले दोनों खेमों ने बैठक बुलाकर शक्ति प्रदर्शन किया था। इसमें अजित पवार खेमे में ज़्यादा विधायक जुटे थे। एनसीपी के कुल 53 विधायकों में से 29 अजित द्वारा बुलाई गई बागी खेमे की बैठक में मौजूद थे, जबकि शरद पवार खेमे के पास 17 विधायक थे। 

अजित पवार ने अपने चाचा के मुकाबले ज्यादा विधायक जुटाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया है लेकिन दो तिहाई विधायकों का बहुमत अभी भी उनके पास नहीं है। एनसीपी पर दावा जताने के लिए दो-तिहाई का आँकड़ा यानी 36 विधायक उनके साथ होने चाहिए। हालाँकि, बागी खेमा का दावा है कि उसके पास 40 विधायकों का समर्थन है।

चुनाव आयोग को दिए गए बागियों के पत्र के अनुसार उन्होंने 30 जून को अजित पवार को पार्टी अध्यक्ष के रूप में नामित किया था। उस ख़त में दावा किया गया है कि उस दिन लगभग 40 विधायकों, सांसदों और एमएलसी ने विद्रोहियों के समर्थन में हलफनामों पर हस्ताक्षर किए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 जून को हस्ताक्षर किया गया ख़त बुधवार को आयोग को मिला।

अजित पवार ने 40 विधायकों, एमएलसी और सांसदों के समर्थन के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए चुनाव आयोग के सामने दावा पेश कर दिया है। कहा जा रहा है कि जिनके हस्ताक्षर उस पर किए गए हैं उन्हीं नेताओं को होटल में रखा गया है।

रिपोर्टों के अनुसार 30 जून को ही अजित पवार गुट की तरफ़ से चुनाव आयोग को लिखे गए उस पत्र में कहा गया था कि शरद पवार अब पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं और अजित पवार ही नए पार्टी अध्यक्ष नामित किए गए हैं।

हालाँकि, आयोग को शरद पवार के वफादार जयंत पाटिल का एक पत्र भी मिला है, जिसमें उन्हें कुछ सांसदों और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही के बारे में कहा गया है।

इधर, शरद पवार ने गुरुवार को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। यह साफ नहीं है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का एजेंडा क्या है, लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी अजित पवार की कथित बैठक को अवैध घोषित कर शरद पवार को फिर से अपना अध्यक्ष घोषित कर सकती है या मुहर लगा सकती है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें