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‘अजित पवार भावी सीएम’
पोस्टर के पीछे कौन?

‘अजित पवार भावी सीएम’ पोस्टर के पीछे कौन?

अजित को भावी मुख्यमंत्री बताने वाले ये पोस्टर किसने और किस उद्देश्य से लगाए हैं, यह तो फिलहाल साफ़ नहीं हो पाया है। इन पोस्टरों के सहारे अजित ने मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए एक कदम और बढ़ा दिया है।

महाराष्ट्र की राजनीति में हर रोज कुछ न कुछ नया घट रहा है। एनसीपी नेता अजित पवार को राज्य का भावी मुख्यमंत्री बताते हुए धारशिव सहित कई जगहों पर पोस्टर लगे दिखाई दिये।

अजित को भावी मुख्यमंत्री बताने वाले ये पोस्टर किसने और किस उद्देश्य से लगाए हैं, यह तो फिलहाल साफ़ नहीं हो पाया है। इन पोस्टरों के सहारे अजित ने मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए एक कदम और बढ़ा दिया है। बीते शुक्रवार को ही अजित पवार ने कहा था कि मुख्यमंत्री बनने के लिए 2024 तक चुनाव का इंतजार क्यों करना, वे चाहें तो अभी तुरंत ही मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

उनके इस बयान और महत्वाकांक्षाओं के पीछे राज्य की सत्ता में काबिज बीजेपी है जिसने उन्हें समर्थन के बदले राज्य का मुख्यमंत्री का पद ऑफर किया है। सूत्रों के मुताबिक़  बीजेपी द्वारा अजित पवार को समर्थन दिये जाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह कि सुप्रीम कोर्ट शिवसेना बागी गुट के विधायकों की सदस्यता रद्द कर सकती है, जिससे शिंदे सरकार अल्पमत में आ सकती है। बीजेपी नहीं चाहती है कि राज्य में समय से पहले चुनाव कराए जाएं और लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की सत्ता से हाथ धोना पड़े। इसलिए वह हर तरह की जोड़ तोड़ की कोशिशों में लगी है।

एक तरफ अजित पवार को भावी मुख्यमंत्री बताने वाले पोस्टर लग रहे हैं, दूसरी तरफ राज्य में नए सिरे से चुनाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। चुनाव की अटकलों को हवा दे रहे हैं उद्धव ठाकरे, जो पार्टी में बगावत के बाद मुख्यमंत्री का पद पार्टी पर अपना अधिकार गंवा चुके हैं। उनके द्वारा दी जा रही इन अटकलों के पीछे का कारण शिवसेना के सदस्यों पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतिक्षित फैसला जिससे यह तय होगा की सदस्यों की सदस्यता रहेगी या जाएगी।

उद्धव की बातों को आगे बढ़ाते हुए शिवसेना(ठाकरे गुट) के प्रवक्ता संजय राउत ने जिन्होंने बीते सोमवार को दावा किया था कि अगले पंद्रह से बीस दिनों में शिंदे सरकार गिर जाएगी। इससे पहले उन्होंने दावा किया था कि अजित पवार को समर्थन देकर बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को बस्ता बांधने के लिए कह दिया है।

महाराष्ट्र की सियासत में सबसे दिलचस्प तो यह देखना होगा कि अजित पवार बीजेपी के साथ जाकर मुख्यमंत्री बनने की क्या कीमत चुकाते हैं। वे कुछ विधायकों को साथ लेकर जाते हैं या फिर पूरी पार्टी का ही विलय करते हैं। क्योंकि इस मसले पर अभी तक शरद पवार ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, और वे बार बार यही कह रहे हैं कि जिसे जो करना है सो करे, किसी को जबरदस्ती रोका तो नहीं जा सकता है। 

इस मसले पर बीजेपा का रुख भी अहम होगा, और देखना पड़ेगा कि वह बगावत करके आए एकनाथ शिंदे को कितना सम्मान देती है, क्योंकि वही हैं जिन्होंने बीजेपी की सत्ता में वापसी कराई है। अगर बीजेपी शिंदे को छोड़कर एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाती भी है तो फिर देखना होगा कि वह कितने दिन तक चल पाती है।

इन हालातों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तरफ बढ़ रहा है। उद्धव ठाकरे के अनुसार राज्य में कभी भी चुनाव कराये जा सकते हैं।

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