अजित पवार और उनके चाचा व एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के साथ उनकी लड़ाई और भी बढ़ने की संभावना है। महाराष्ट्र के नवनियुक्त उप मुख्यमंत्री अजित पवार मंगलवार को मुंबई में मंत्रालय के सामने ए5 बंगले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के नए कार्यालय का उद्घाटन करेंगे। नये कार्यालय खोलने का साफ़ मतलब है कि वह एनसीपी पर दावा कर रहे हैं और उनके समर्थकों के पीछे हटने की संभावना नहीं है। उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद उन्होंने दावा भी किया था कि पूरी एनसीपी महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गई है।
लेकिन अजित पवार के इस दावे का शरद पवार ने खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि जल्द ही सच सामने आएगा। एक दिन पहले ही कुछ विधायक शरद पवार के खेमे में लौट आए हैं। अजित पवार के साथ कितने विधायक हैं, अभी तक उन्होंने यह साफ़ नहीं किया है। तो सवाल है कि अजित पवार का एनसीपी पर यह दावा किस आधार पर है और नये कार्यालय का मतलब क्या है?
वैसे, एनसीपी में लड़ाई एक अलग स्तर पर पहुँच गई है। अजित पवार ने दावा किया है कि वह किसी गुट का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और एक पार्टी के तौर पर एनसीपी महाराष्ट्र सरकार में शामिल है। उनके समूह ने एक दिन पहले ही पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख और शरद पवार के वफादार जयंत पाटिल को बर्खास्त कर दिया और रायगढ़ लोकसभा सांसद सुनील तटकरे को नया राज्य इकाई प्रमुख नियुक्त किया है।
बहरहाल, द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अजित खेमे ने नये पार्टी कार्यालय के लिए मंत्रालय के पास की जगह को चुना है। शरद पवार की एनसीपी बैलार्ड एस्टेट क्षेत्र में पार्टी मुख्यालय को नियंत्रित करती है।
दोनों खेमों ने दावा किया है कि वे असली एनसीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन उन्होंने उन्हें समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या नहीं बताई है। सभी की निगाहें 5 जुलाई पर हैं जब अजित पवार ने सभी विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है।
शरद पवार ने विद्रोहियों पर नकेल कसते हुए प्रफुल्ल पटेल जैसे वरिष्ठ नेताओं को रविवार को उस समारोह में शामिल होने के लिए बर्खास्त कर दिया, जिसके दौरान अजित पवार और आठ अन्य विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हुए थे।
शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को एक याचिका सौंपी है, जिसमें अजित पवार और उनके आठ वफादारों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है।
पार्टी ने चुनाव आयोग को भी पत्र लिखकर इस बात पर जोर दिया है कि एनसीपी के संस्थापक शरद पवार पार्टी के प्रमुख बने रहेंगे।
यह घटनाक्रम बिल्कुल उसी तरह का लग रहा है जैसा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शिवसेना से बगावत करने के दौरान हुआ था। शिंदे ने शिवसेना में विद्रोह किया था और यह दावा किया था कि उनकी शिवसेना असली है। शिंदे ने भी मंत्रालय के सामने एक सरकारी बंगले में पार्टी कार्यालय बनाया।
इस बीच, कांग्रेस ने भविष्य की योजनाओं पर चर्चा के लिए मंगलवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। पार्टी विधानसभा में विपक्ष के नेता पद पर दावा पेश करेगी। एनसीपी ने रविवार को जितेंद्र अवहाद को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया था। एनसीपी में इस सियासी घटनाक्रम के बाद आज शिवसेना (यूबीटी) की भी बैठक किए जाने की संभावना है।