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दिल्ली हिंसा: कमान एनएसए डोभाल को, सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक आज

दिल्ली हिंसा: कमान एनएसए डोभाल को, सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक आज

दिल्ली हिंसा में एक पुलिसकर्मी सहित 18 लोगों की मौत और 250 से ज़्यादा लोगों के घायल होने के बाद अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को स्थिति काबू में करने की ज़िम्मेदारी दी गई है।

दिल्ली हिंसा में एक पुलिसकर्मी सहित 18 लोगों की मौत और 250 से ज़्यादा लोगों के घायल होने के बाद अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को स्थिति काबू में करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। वह सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक में शामिल होंगे। इसके साथ ही वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट को स्थिति के बारे में जानकारी देंगे। सरकारी सूत्रों के हवाले से 'एएनआई' ने यह ख़बर दी है। सूत्रों के अनुसार अजीत डोभाल को दिल्ली हिंसा से निपटने का टास्क दिया गया है और इसके बाद डोभाल ने साफ़ कह दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी में अराजकता की स्थिति नहीं होने दी जाएगी।

रिपोर्ट के अनुसार, डोभाल ने कहा है कि पर्याप्त संख्या में पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है और उन्हें स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पूरी छूट दी गई है। 

इससे पहले अजीत डोभाल मंगलवार रात को हिंसा प्रभावित उत्तर-पूर्वी दिल्ली में स्थिति का जायजा लिया था। वह रात को ही दिल्ली पुलिस के मुखिया अमुल्य पटनायक के साथ सीलमपुर में डीसीपी वेद प्रकाश के कार्यालय पहुँचे थे, बैठक की थी और फिर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया था। माना जा रहा है कि डोभाल की यह यात्रा आज दिल्ली हिंसा पर मंत्रालयों में होने वाले मंथन को लेकर थी। 

इस हिंसा को नियंत्रित करने को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार काफ़ी देर से सक्रिय हुए हैं। हिंसा तीन दिन से जारी है लेकिन उन्होंने स्थिति का जायजा मंगलवार रात तब लिया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भारत से वापस चले गए। 

बता दें कि ट्रंप भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए थे और मंगलवार रात क़रीब 10 बजे भारत से वापस चले गए। लेकिन जाने से पहले उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पूछे गए सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में हो रही हिंसा के बारे में सुना है लेकिन यह भारत का आंतरिक मामला है।

तो अजीत डोभाल ने मामले में हस्तक्षेप करने में देरी क्यों की? शायद उन्हें लग रहा हो कि ट्रंप की यात्रा के दौरान यदि उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप किया तो इसका संदेश पूरी दुनिया में जाएगा कि सरकार हिंसा को रोक नहीं पा रही है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसी कारण अब हिंसा पर कुछ नहीं बोला है क्योंकि यह बड़ी ख़बर बनती और दुनिया भर में यह ख़बर प्रमुखता से छपती।

जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा से निपटने की ज़िम्मेदारी अब अजीत डोभाल को दी गई है तो क्या अब तक जो घटना हुई उसमें उनकी ज़िम्मेदारी कुछ नहीं बनती? क्या उन्होंने कार्रवाई करने में देरी नहीं की? दिल्ली हिंसा को काबू करने में हर स्तर पर विफलता नज़र आती है। पहले तो नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने मोर्चा खोला और 'भड़काऊ' भाषण दिया। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने कोई सावधानी भी नहीं बरती। स्थिति बिगड़ी और हिंसा हुई तो भी ढिलाई बरती गई। गृह मंत्रालय और अमित शाह ने भी जल्दी सक्रियता नहीं दिखाई। ख़ैर, प्रधानमंत्री मोदी ने तो एक शब्द तक नहीं बोला। 

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