चीनी विदेश मंत्री से आज बात करेंगे अजित डोभाल, पैंगोंग त्सो हो सकता है मुद्दा
गलवान घाटी के ज़्यादातर इलाक़े से चीन और भारत की सेनाओं के पीछे हटने के बाद उच्च स्तर की राजनीतिक बातचीत फिर शुरू हो रही है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बात करेंगे।
पहले की यथास्थिति
यह बातचीत किन विशेष मुद्दों पर होगी, यह साफ़ तौर पर पता नहीं चला है, पर समझा जाता है कि सेना के हटने के बाद से जिन इलाक़ों में भारतीय सेना गश्त नहीं कर रही है, वहाँ फिर से गश्त शुरू करने और दूसरे मुद्दे पर बात हो सकती है। समझा जाता है कि यह बातचीत इस मुद्दे पर होगी कि संकट के शुरू होने के पहले की स्थिति फिर से बहाल की जाए।पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह बातचीत बेहद मुश्किल और पेचीदगी भरी हो सकती है, इसमें बहुत समय लग सकता है। यह मुमकिन है कि शुक्रवार को ही बातचीत का कोई ठोस नतीजा न निकले। पर शुक्रवार को बातचीत की शुरुआत तो हो सकती है।
उम्मीद पर टिकी है बातचीत!
एनडीटीवी ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा है, ‘हम सावधानी भरे आशावाद के साथ आगे बढ़ेंगे और ज़मीन पर हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे।’ताज़ा सरकारी रिपोर्टों से पता चलता है कि गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्रस से दोनों सेनाएं पीछे हट चुकी हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, ‘यह मुश्किल स्थिति थी, हमारे पास देने को बहुत कुछ नहीं था। पर भारत अपनी जगह अड़ा रहा और अच्छी ख़बर यह है कि चीन ने बात मान ली।’
पैंगोंग खाली करेगा चीन?
मीडिया की ख़बरों के मुताबिक़ चीनी सेना पैंगोंग त्सो के फ़िंगर फ़ोर इलाक़े से भी पीछे हट रही है, पर इसकी रफ़्तार बहुत ही कम है। इस इलाक़े में चीनी सेना ने बंकर और निगरानी करने की जगह बना रखी हैं।पैंगोंग त्सो इलाक़े में सीमा का निर्धारण नहीं होने की वजह से भारतीय सैनिक फिंगर 8 तक गश्त लगाया करते थे। एनडीटीवी ने एक आला अफ़सर के हवाले से कहा है, ‘फ़िलहाल गश्त रुकी हुई है, पर जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी और यह पहले की तरह होने लगेगा। हम हर बिन्दु पर जाकर मुआयना करेंगे।’
क्या हैं 8 फिंगर्स?
दरअसल पैंगोंग त्सो झील के किनारे जगह जगह ऊँची चोटियाँ हैं जो ऊपर से देखने पर 8 अंगुलियों की तरह लगती हैं। इसलिए इस इलाके को 8 फिंगर्स कहते हैं।पहले चीनी और भारतीय सैनिक इस इलाक़े की गश्त लगा कर लौट जाया करते थे। पर इस बार चीनी सैनिक वहीं जम गए, ऊँची चोटियों पर कब्जा कर लिया, जिससे उन्हें रणनीतिक मजबूती मिल गई। इसके बाद उन्होंने भारत के बार बार कहने पर भी वहाँ से हटने से इनकार कर दिया।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि 8 फिंगर के पूरे इलाक़े से सैनिकों को हटाने के लिए चीन को राज़ी कराना बहुत मुश्किल होगा। चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन चोटियों को शायद ही खाली करे।
लेकिन यदि फिंगर 4 से चीनी सैनिकों के पीछे हटने की ख़बर सही है तो उम्मीद की किरण दिखती है। आगे की बातचीत यदि पहले की यथास्थिति को बहाल करने पर है तो इस पूरे पैंगोंग त्सो इलाक़े को ख़ाली कराना ही होगा।
सीमा मसले पर आला स्तर पर बातचीत के लिए 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत करने पर सहमति हुई थी ताकि इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। इस बातचीत के लिए भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चीन के स्टेट काउंसलर नामजद किए गए थे। इस व्यवस्था के तहत अब तक 22 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं जिसमें चीन की ओर से जो शर्तें रखी जा रही हैं, वे भारत को कतई मान्य नहीं हो सकतीं।