कौन है इस प्रदूषण का जिम्मेदार, दक्षिणपंथी इसकी आड़ में क्यों कर रहे हैं राजनीति
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मुद्दों पर भारत में सर्वे करने वाली संस्था लोकलसर्कल्स ने दिवाली से पहले दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद के निवासियों के बीच सर्वे किया था। उसे 9,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। करीब 32% परिवारों ने इस बार भी पटाखे फोड़ने की बात कही थी। इस सर्वे को मिंट अखबार ने प्रकाशित किया था। लेकिन रविवार को जब दिल्ली एनसीआर में दिवाली मनाई गई तो वायु प्रदूषण में 14 फीसदी का उछाल देखा गया। जाहिर है कि सिर्फ 32% नहीं, बल्कि लोगों ने बड़े पैमाने पर पटाखे छोड़कर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेशों का उल्लंघन किया।
इस सर्वे के मुताबिक लोगों ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, यूपी आदि में किसान पराली जला रहे हैं। 32 फीसदी परिवारों ने खुलकर कहा कि वो पटाखे छोड़ेंगे। लेकिन जिस तरह से अकेले दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण बढ़ा, उससे लगता है कि बहुत बड़े पैमाने पर लोगों ने पटाखे छोड़े। भाजपा नेताओं ने पटाखे को धार्मिक आस्था से यूं ही नहीं जोड़ा, उन्हें जनता के समर्थन का अंदाजा पहले से ही था। सोशल मीडिया पर जिस तरह दक्षिणपंथियों, उनसे जुड़े संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है, उससे लगता है कि जनता इस बढ़े हुए वायु प्रदूष के लिए ज्यादा जिम्मेदार है।वो पटाखे नहीं छुड़ाकर इस पर राजनीति करने वालों को जवाब दे सकती थी लेकिन उल्टा उसने ऐसी ओछी राजनीति करने वालों को समर्थन दे दिया।
दिल्ली की पर्यावरणविद भवरीन कंधारी ने बताया कि उनके आवासीय क्षेत्र डिफेंस कॉलोनी में भी खूब पटाखे फोड़े गए। डिफेंस कॉलोनी पुलिस स्टेशन में शिकायतें भी पहुंचीं लेकिन कोई बदलाव नहीं देखा गया। भवरीन कंधारी ने तो इसे जनता से आपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के रूप में देखा लेकिन उधर राजनीतिक दलों में जंग जारी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भाजपा नेताओं पर राजधानी में हवाई आपातकाल के बावजूद लोगों को पटाखे फोड़ने के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया।
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मीडिया से बातचीत में इस बात से इनकार किया कि दिल्ली में बड़ी संख्या में पटाखे फोड़े गए। सांसद तिवारी ने कहा- "बहुत कम पटाखे फोड़े गए। लेकिन कांग्रेस और अन्य दलों को लोगों द्वारा दिवाली मनाने से समस्या है। उनका दर्द है कि सनातन (धर्म) के लोगों को अपना त्योहार नहीं मनाना चाहिए। दो दिन पहले बारिश हुई थी। क्या हुआ था बारिश से पहले AQI, और अब कितना है? यह कम है।''
मंत्री गोपाल रॉय ने कहा कि भाजपा पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश और केंद्र में सत्ता में है। क्या किसी भाजपा नेता ने लोगों से पटाखे न जलाने की अपील की? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश (पटाखों पर प्रतिबंध) के बावजूद अपनी जिम्मेदारी कैसे नहीं निभाई। बीजेपी चाहती थी कि पटाखे फोड़े जाएं। नतीजा हमारे सामने है।"
सोशल मीडिया का मूडसोशल मीडिया पर लगता है कि दक्षिणपंथियों और उनके संगठनों ने पटाखे छोड़ने जाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जनता ने दिवाली पर पटाखे छोड़कर सुप्रीम कोर्ट को अपनी आस्था और भावनाएं बता दी हैं। ट्विटर यूजर अभिजीत साठे ने लिखा है- कई अध्ययनों और विश्लेषणों से बार-बार पता चला है कि दिवाली के पटाखे फोड़ने और हमारे शहरों में दीर्घकालिक प्रदूषण के बीच कोई संबंध नहीं है। फिर भी, एक के बाद एक सेलिब्रिटी, एक के बाद एक राज्य सरकारें पटाखों पर प्रतिबंध की वकालत करती हैं और दुख की बात है कि हमारी न्यायपालिका भी इससे सहमत है। हालांकि अभिजीत साठे ने किसी अध्ययन का लिंक वगैरह नहीं डाला।
Several studies and analyses have repeatedly shown that there is zero correlation between Diwali firecracker bursting and long-term pollution in our cities. Yet, celebrity after celebrity, state govt after state govt advocate ban on firecrackers and sadly our judiciary too agrees
— Abhijit Sathe (@AbhijitcanTweet) November 13, 2023
लर्नर नामक ट्विटर यूजर की प्रतिक्रिया है- ...क्योंकि यह कभी भी पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं था बल्कि हिंदू त्योहार पर प्रतिबंध लगाने के बारे में था। जब आप चुनाव जीतने के बाद पटाखे फोड़ते हैं तो सुप्रीम कोर्ट पटाखों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाता?
Bcz it was never about banning firecracker but to ban hindu festival. Why don't supreme Court ban firecracker when you brust it after election's win???
— Learner (@Kailash54189881) November 13, 2023
ध्वज नाम के शख्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है- पटाखों पर प्रतिबंध अवैज्ञानिक और हिंदू रीति-रिवाजों के खिलाफ है, प्रदूषण के अन्य स्रोतों जैसे पराली, ढीली धूल, अनियमित औद्योगिक अपशिष्ट आदि के बारे में बात करें।
Firecracker ban is unscientific and against the Hindu rituals, talk about other sources of pollution like parali, loose dust, unregulated industrial waste etc
— Dhwaj 🙏 (@guptamitej) November 13, 2023
सिद हिन्दुत्व ट्विटर यूजर ने लिखा है- पूरी दुनिया में पटाखों पर प्रतिबंध के लिए कोर्ट जाओ...हर कोई जो नए साल, शादी आदि में पटाखे फोड़ता है। लेकिन आपको केवल दिवाली में ही कहना होता है.. क्यों?
Go to court to ban of firecrackers at entire world...
— sidd_hindutava (@shivamkashy22) November 13, 2023
Everyone who crack firecracker in new year, wedding etc .
But you have to say only in dewali..
Why??? https://t.co/gF04PuTVSD
सोशल मीडिया पर दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष और विवादित बयानों के लिए चर्चि कपिल मिश्रा की टिप्पणी बता रही है कि भाजपा नेता पटाखा फोड़ने पर क्या राय रखते हैं। कपिल मिश्रा ने लिखा- आप पर गर्व है दिल्ली...ये प्रतिरोध की आवाज़ें हैं, आज़ादी और लोकतंत्र की आवाज़ें हैं लोग बहादुरी से अवैज्ञानिक, अतार्किक, तानाशाही प्रतिबंध का विरोध कर रहे हैं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Proud of You Delhi
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) November 12, 2023
These are voices of resistance , voices of freedom and democracy
People are bravely defying unscientific, illogical , dictatorial ban
Happy Diwali 🪔
भाजपा नेता और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोमवार को लिखा- इस बीच पंजाब में पराली जलाना लगातार जारी है। अरविंद केजरीवाल या भगवंत मान से कोई सवाल नहीं पूछा गया। अख़बार और टीवी चैनल पंजाब को खेतों की आग के लिए गर्म स्थान के रूप में नामित करने से भी कतरा रहे हैं। AAP सरकार के विज्ञापन राजस्व के लिए धन्यवाद। अगर बारिश न होती तो दिल्ली अब तक दम तोड़ चुकी होती। आस्था और हिंदू त्योहारों को निशाना बनाने की बजाय वास्तविक मुद्दे पर ध्यान दें।
Meanwhile, stubble burning continues unabated in Punjab. No questions asked to either Arvind Kejriwal or Bhagwant Mann. Newspapers and TV channels are shying away from even naming Punjab as the hot spot for farm fires (Thread Below). Thanks to the ad revenue from AAP Govts.
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 13, 2023
Had… https://t.co/lb0PjCv56j
सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथियों के बयानों से यह साफ हो गया कि ये लोग पटाखे फोड़े जाने के पक्ष में पूरी तरह से हैं। इन्होंने इसमें भी चुनावी गणित और हिन्दू ध्रुवीकरण देखा। इन लोगों को लोगों की सेहत से कोई मतलब नहीं, क्योंकि जनता खुद भी अपनी सेहत के लिए चिंतित नहीं है। देखना यह है कि सेहत से खिलवाड़ करने वाले ऐसे कथित हिन्दुत्ववादियों को जनता कब पहचानेगी।