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'100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी' बयान देने वाले वारिस पठान पर शिकायत दर्ज

'100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी' बयान देने वाले वारिस पठान पर शिकायत दर्ज

एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रवक्ता वारिस पठान ने फिर विवादित बयान दिया है। नागिरकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा कि 100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी पड़ेंगे। 

एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रवक्ता वारिस पठान ने एक विवादित बयान दिया है। नागिरकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा कि 100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी पड़ेंगे। उनके इस बयान को धार्मिक अलगाव पैदा करने वाला बताया गया। चौतरफ़ा आलोचना के बावजूद उन्होंने माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया है और कहा है कि उनका बयान संविधान के दायरे में है। इधर पुणे के एक बीजेपी कार्यकर्ता ने दक्कन पुलिस थाने में पठान के ख़िलाफ़ लिखित में शिकायत दर्ज कराई है।

मामला कर्नाटक के कलबुर्गी का है। वारिस पठान 15 फ़रवरी को एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि '100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी पड़ेंगे।' हालाँकि उन्होंने अपने संबोधन में किसी धर्म का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि वह साफ़ तौर पर हिंदू और मुसलिम का ज़िक्र कर रहे थे।

अपने संबोधन में पठान ने कहा था, 'ईंट का जवाब पत्‍थर से देना हमने सीख लिया है लेकिन इकट्ठा होकर चलना होगा। अगर आज़ादी दी नहीं जाती तो हमें छीननी पड़ेगी। वे कहते हैं कि हमने औरतों को आगे रखा है... अभी तो केवल शेरनियाँ बाहर निकली हैं तो तुम्‍हारे पसीने छूट गए। तुम समझ सकते हो कि अगर हम सब एक साथ आ गए तो क्‍या होगा। 15 करोड़ हैं लेकिन 100 करोड़ के ऊपर भारी हैं। यह याद रख लेना।'

उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। राजनीतिक विश्लेषक सलमान निज़ामी ने वारिस पठान की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया, 'ये वारिस पठान कौन है, वह आदमी जिसने महाराष्ट्र विधानसभा में अपनी सीट भी नहीं बचा पाया। क्या वह 20 करोड़ मुसलिमों का प्रतिनिधित्व करते हैं? नहीं। वह बीजेपी-एमआईएम के गुप्त समझौते का हिस्सा हैं, बिहार चुनाव में ध्रुवीकरण करना पहला प्रयास था। वे झारखंड में असफल रहे, अब बिहार उन्हें सबक़ सिखाएगा।'

सोशल मीडिया पर वारिस पठान के बयान को लेकर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वारिस पठान ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं। लोगों ने पठान के बयान को धार्मिक आधार पर विभाजन करने वाला बताया है। लोगों ने इसको लेकर भी सवाल उठाए कि वह नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के नाम पर लोगों को भड़का रहे हैं। बता दें कि नागरिकता क़ानून को धार्मिक आधार पर बाँटने वाला बताया गया है क्योंकि यह क़ानून पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई धर्म के लोगों को भारत में नागरिकता देने की बात करता है। इसी कारण देश भर में इस क़ानून का विरोध हो रहा है। 

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