विदेश गए एअर इंडिया पायलटों को दिए गए घटिया प्रोटेक्टिव उपकरण?
अपनी जान जोखि़म में डाल कर दूसरों को सुरक्षित निकाल कर लाने वाले हवाई जहाज़ के कर्मचारी कितने सुरक्षित हैं? उनकी सेहत का कितना ख्याल रखा गया? ऐसे वक्त में उनकी हिफ़ाजत के लिए अच्छी क्वालिटी की पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट जैसी मामूली चीजें क्यों नही दी गयीं?
एअर इंडिया के पायलटों ने नगर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से शिकायत की है। उन्होंने ख़त लिखा है कि विदेश में फंसे लोगों को निकालने गए उन लोगों को उड़ान के दौरान घटिया किस्म के प्रोटेक्टिव उपकरण दिए गए थे।
मंत्री को लिखी चिट्ठी
एनडीटीवी के मुताबिक़ पायलटों ने इस चिठ्ठी में बेहतर किस्म के प्रोटेक्टिव उपकरण की माँग की है। प्रोटेक्टिव उपकरण में गाउन, कवरऑल, मास्क और दस्ताने शामिल हैं। इनका प्रयोग इसलिए किया जाता ताकि संक्रमण न फैले।
एनडीटीवी के अनुसार, पायलटों ने लिखा, 'हमारे पायलटों और केबिन क्रू सदस्यों को घटिया, बेहद पतले और शरीर में फिट न होने वाले प्रोटेक्टिव उपकरण दिए गए। वे उड़ान के दौरान ही फट गए।'
इस चिट्ठी में यह भी आरोप लगाया गया कि सैनिटाइज़र पर्याप्त मात्रा में नहीं दिए गए और डिसइनफेक्ट करने का तरीका बहुत अच्छा नहीं था। पायलटों ने मंत्री से कहा कि क्रू मेम्बरों के लिए डॉक्टर, एंबुलेन्स और दूसरी बुनियादी सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए ताकि ज़रूरत होने पर क्रू मेम्बरों को ये चीजें मिल सकें।
वेतन कटौती का विरोध
इसके साथ ही यह भी माँग की गई है कि इस तरह की उड़ानों पर जाने वाले पायलटों और केबिन क्रू के लोगों के लिए अलग बीमा सुविधा होनी चाहिए।पायलटों ने वेतन में कटौती का मुद्दा भी उठाया और कहा कि कोरोना संकट की इस घड़ी में वेतन में कटौती करना जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण फैलने के बाद से एअर इंडिया ने कई देशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए विशेष उड़ानें भेजीं और लोगों को स्वदेश ले आए।
इसके पहले पायलटों ने यह शिकायत भी की थी कि विदेश गए इन लोगों को उनके पड़ोसियों ने उनके ही आवासीय परिसर में घुसने से रोका था, कई मामलों में पुलिस तक बुला ली गई थी।