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पंजशिर के तालिबान विरोधी नेता अहमद मसूद बोले- आत्मसमर्पण नहीं करेंगे

पंजशिर के तालिबान विरोधी नेता अहमद मसूद बोले- आत्मसमर्पण नहीं करेंगे

तालिबान विरोधी ताक़तों के एक प्रमुख नेता अहमद मसूद ने कहा है कि वह अपने नियंत्रण वाले इलाके का तालिबान को आत्मसर्पण नहीं करेंगे।

ऐसे में जब सैकड़ों तालिबानी लड़ाके तालिबान विरोधी ताक़त के कब्जे वाली पंजशिर घाटी में गए हैं, इसी बीच तालिबान विरोधी ताक़तों के एक प्रमुख नेता अहमद मसूद ने कहा है कि वह झुकेंगे नहीं। अल अरबिया टीवी चैनल ने रविवार को मसूद के हवाले से कहा कि वह अपने नियंत्रण वाले इलाके का तालिबान को आत्मसर्पण नहीं करेंगे।

अहमद मसूद, अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। अहमद शाह मसूद तालिबान के ख़िलाफ़ बनी मिलिशिया के नेता थे। वह 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोधी समूह के प्रमुख नेताओं में से एक थे। अहमद शाह मसूद ने ही तालिबान के ख़िलाफ़ नॉर्दन एलायंस बनाया था। 11 सितंबर 2001 के हमले से दो दिन पहले ही अल क़ायदा ने अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी थी। इसके बाद अहमद मसूद ने मिलिशिया की कमान संभाली।

'रायटर्स' ने अल-अरबिया टीवी चैनल के हवाले से मसूद का यह बयान दिया है। टीवी चैनल ने कहा है कि अहमद मसूद ने तालिबान की भागीदारी के साथ देश पर शासन करने के लिए एक व्यापक सरकार का आह्वान किया है और कहा है कि अगर तालिबान वार्ता से इनकार करता है तो युद्ध 'अपरिहार्य' होगा। यानी युद्ध को टाला नहीं जा सकता है। 

मसूद ने कहा है कि तालिबान का विरोध करने वाले सरकारी बल विभिन्न प्रांतों से निकले और उसके गढ़ पंजशीर घाटी में जमा हो गए।

इससे पहले भी अहमद मसूद तालिबान से मुक़ाबला करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते रहे हैं। 

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पहले मसूद ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान में लोकतंत्र को बचाने, महिलाओं और आम लोगों के हक़ों की हिफ़ाजत के लिए लड़ेंगे। मसूद ने इस बार भी दुनिया के देशों से मदद मांगी है।

अहमद मसूद ने हाल ही में अमेरिकी अख़बार 'वाशिंगटन पोस्ट' में एक लेख में लिखा था, 'मैं पंजशिर घाटी में हूँ, अपने पिता के पदचिह्नों पर चलने को तैयार हूँ और मेरे साथ हैं मुजाहिदीन लड़ाके जो एक बार फिर तालिबान से लड़ने को तैयार हैं'। अहमद मसूद ने इसके आगे लिखा है था कि उनके पास 'बहुत बड़ी मात्रा में हथियार हैं, जो उन्होंने बहुत दिनों से जमा कर रखा है क्योंकि मुझे पता था कि एक दिन ऐसा होना ही है।'

एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार मसूद ने एक दिन पहले ही कहा है, 'अगर तालिबान इस रास्ते पर चलता रहा तो वह लंबे समय तक नहीं टिकेगा। हम अफ़ग़ानिस्तान की रक्षा के लिए तैयार हैं और हम रक्तपात की चेतावनी देते हैं।'

उनके इस बयान के बाद लगता है कि उनके लड़ाकों और तालिबान के लड़ाकों के बीच जबर्दस्त संघर्ष हो सकता है। इन दिनों पंजशिर में नॉर्दन एलायंस के झंडे लहराते दिखते हैं। 

अहमद मसूद के साथ ही अमरूल्लाह सालेह भी हैं जो तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। ख़ुद को अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरूल्लाह सालेह ने एलान किया है कि पंजशिर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रांत में ताजिक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। सालेह भी इसी समुदाय से आते हैं।

 - Satya Hindi

फ़ोटो साभार: ट्विटर/पंजशिर प्रोविंस/वीडियो ग्रैब

पंजशिर घाटी से मिल रही यह चुनौती अब तालिबान के लिए बड़ा सिरदर्द बन गयी है। यह अफ़ग़ानिस्तान के उन हिस्सों में से एक है जहाँ तालिबान अभी तक कब्जा नहीं कर पाया है। यह उसके लिए कितना बड़ा सिरदर्द है यह इससे समझा जा सकता है कि तालिबान ने रविवार को कहा है कि इसके सैकड़ों लड़ाके पंजशिर घाटी की ओर बढ़े हैं। सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो साझा किए गए हैं जिनमें दावे किये गये हैं कि तालिबान के सैकड़ों लड़ाके वाहनों में पंजशिर की ओर बढ़ रहे हैं।

यह पंजशिर घाटी लंबे समय से तालिबान विरोधी ताक़तों के गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है। अफ़ग़ानिस्तान का यही एक प्रांत है, जहाँ पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तक पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाए।

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