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पूर्व सैनिकों को सरकारी विभागों में ही नहीं मिली नौकरी, डेटा है गवाह

पूर्व सैनिकों को सरकारी विभागों में ही नहीं मिली नौकरी, डेटा है गवाह

अग्निपथ से निकले अग्निवीरों के लिए सरकार तमाम तरह की रियायतों और नौकरियों में आरक्षण की घोषणा कर रही है। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में डेटा के जरिए बताया गया है कि पूर्व सैनिकों को आरक्षण के बावजूद सरकारी विभागों में ही नौकरियां नहीं मिलीं।

अग्निपथ योजना के विरोध के बीच यह तथ्य भी सामने आया है कि पूर्व सैनिकों को रिटायर होने के बाद तमाम सरकारी विभागों में आरक्षण के बावजूद नौकरियां नहीं मिलीं। तमाम सरकारी विभागों में पूर्व सैनिकों के लिए पहले से ही आरक्षण है। अगर सरकारी आंकड़ों को देखें, तो रिकॉर्ड बताते हैं कि सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों के रिजर्वेशन के मुकाबले उन्हें बहुत कम नौकरियां मिलती रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने सेना भर्ती में बदलाव करते हुए अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। केंद्र की इस घोषणा के बाद पूरे देश में विरोध शुरू हो गया। युवाओं की नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने अग्निवीरों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी की छूट देने की घोषणा की। इसके अनुसार सरकार सीआरपीएफ, पुलिस बल, रक्षा मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र में भर्ती के दौरान रिटायर्ड अग्निवीरों को 10 प्रतिशत का आरक्षण देगी।

रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग के तहत काम करने वाले पुनर्वास महानिदेशालय (DGR) के पास उपलब्ध नए आंकड़ों (30 जून, 2021 तक) के अनुसार, इसे ठीक से समझा जा सकता है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक डीजीआर के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप-सी में 10 फीसदी आरक्षण और ग्रुप-डी में 20 फीसदी आरक्षण पूर्व सैनिकों के लिए है। जिसमें केंद्र सरकार के 77 विभागों में से 34 विभाग शामिल हैं। ग्रुप-सी में कुल संख्या में से केवल 1.29 फीसदी और ग्रुप-डी में 2.66 फीसदी की ही भर्ती हुई है।

3 फीसदी रिटायर्ड सैनिकों की भर्ती केंद्र सरकार के 34 विभागों में की गई। 10,84,705 ग्रुप-सी भर्तियों में से केवल 13,976 पूर्व सैनिक हैं। वहीं ग्रुप डी के कुल 3,25,265 कर्मचारियों में से केवल 8,642 पूर्व सैनिकों को नौकरी दी गई है। 

10 फीसदी आरक्षण में से केवल 0.47 फीसदी से 2.2 प्रतिशत ही भर्ती हुए।सीएपीएफ/सीपीएमएफ (केंद्रीय अर्धसैनिक बलों) में सहायक कमांडेंट के स्तर तक सीधी भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए 10 फीसदी कोटा पहले से ही तय है, लेकिन 30 जून, 2021 को सीएपीएफ/सीपीएमएफ की कुल संख्या का, ग्रुप-सी में भूतपूर्व सैनिकों की संख्या केवल 0.47 फीसदी (कुल 8,81,397 में से 4,146) थी, जबकि ग्रुप-बी में 0.87 फीसदी (61,650 में से 539); और ग्रुप ए में केवल 2.20 फीसदी (76,681 में से 1,687) आरक्षित लोगों द्वारा काम पर रखा गया था।

ये हैं डीजीआर के आंकड़े वहीं अगर रेलवे की बात करें तो रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), असम राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), सीमा सुरक्षा बल और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) से डेटा प्राप्त हुआ, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) ने 15 मई, 2021 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की, जिसके कारण इसके नवीनतम आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

दूसरी ओर, रिटायर्ड सैनिकों को सरकारी बैंकों में कुछ राहत मिली है, जहां उन्हें नौकरी मिली है। केंद्र सरकार ने सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स में ग्रुप-सी के लिए 14.5 फीसदी और ग्रुप-डी के 24.5 फीसदी पदों पर भूतपूर्व सैनिकों के लिए कोटा तय किया है। लेकिन, डीजीआर की रिपोर्ट के अनुसार, भूतपूर्व सैनिकों ने ग्रुप-सी की ताकत का केवल 1.15 प्रतिशत (कुल 2,72,848 में से 3,138) और 170 सीपीएसयू में से 94 में ग्रुप-डी ताकत का 0.3 फीसदी इस्तेमाल किया। 8,848)। 34,733 में से केवल 404 का उपयोग किया गया था। 

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