हजारों अफ़ग़ान नागरिक आ रहे पाकिस्तान में, बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी
अफ़ग़ानिस्तान की हुकूमत पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां से अफ़ग़ान नागरिक भागकर दूसरे देशों की शरण ले रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान की बड़ी सीमा पाकिस्तान से लगती है और परेशान अफ़ग़ान पाकिस्तान में आने को मजबूर हैं लेकिन पाकिस्तान की इमरान सरकार ने उन्हें रोकने के लिए बॉर्डर पर सुरक्षा इंतजाम सख़्त कर दिए हैं।
पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित स्पिन बोल्डक या चमन बॉर्डर से हजारों अफ़ग़ान लगातार पाकिस्तान में आ रहे हैं। इनमें ऐसे भी लोग हैं जिन्हें इलाज, दवाओं की ज़रूरत है और ऐसे भी हैं जो अफ़ग़ानिस्तान की जेलों में बंद थे और अब उन्हें रिहा कर दिया गया है।
इससे पहले जब सोवियत संघ ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था और जब 2001 में अमेरिका ने हमला किया था, तब भी बड़ी संख्या में लोग अफ़ग़ानिस्तान से भागकर पाकिस्तान आ गए थे। पाकिस्तान में पहले से ही लगभग 30 लाख अफ़ग़ान प्रवासी रह रहे हैं।
कैंपों में रखे गए शरणार्थी
अल ज़ज़ीरा के मुताबिक़, ऐसे लोग जिनके पास अफ़ग़ानिस्तान का वैध पहचान पत्र है, उन्हें बतौर शरणार्थी पाकिस्तान में आने दिया जा रहा है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी टाइम मैगजीन से कहते हैं कि इमरान सरकार अस्थायी कैंपों में रह रहे शरणार्थियों के लिए रणनीति बना रही है जिससे बड़ी संख्या में लोगों को आने से रोका जा सके। इन लोगों को बॉर्डर के पास ही कैंपों में रखा गया है।
अल ज़ज़ीरा के मुताबिक़, पाकिस्तान आ रहे इन हज़ारों लोगों में से कई लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि उनके मुल्क़ में बदतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण भी उन्हें यहां आना पड़ रहा है।
बॉर्डर पर मौजूद सैकड़ों लोगों ने अल ज़ज़ीरा को बताया कि वे अफ़ग़ानिस्तान की जेलों से छूटकर आ रहे अपने परिजनों को लेने के लिए आए हैं। कई लोग कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान पर अब पूरी तरह तालिबान का कब्जा हो चुका है, अब वहां पर इसलामिक अमीरात की सरकार है और लड़ाई ख़त्म हो चुकी है।
सनाउल्लाह नाम के शख्स कहते हैं कि तालिबान ने जेल में बंद 7 हज़ार कैदियों को दो घंटे में छोड़ दिया।
तोरखाम बॉर्डर पर भी तैनाती
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने बॉर्डर पर अपने सैनिकों को तैनात कर दिया है। दूसरी ओर से तालिबानी लड़ाके भी बॉर्डर पर तैनात हैं। हर दिन लगभग 6 से 7 हज़ार लोग दोनों देशों के बीच आ-जा रहे हैं।पाकिस्तान के सुरक्षा अफ़सरों ने बीबीसी से कहा कि वे नहीं चाहते कि कोई आम नागरिक आतंकवादी के भेष में देश में न घुस आए, इसलिए उन्होंने सीमा पर जांच की प्रक्रिया को कड़ा कर दिया है। तोरखाम ऐसा ही बॉर्डर है और यहां से बड़ी संख्या में शरणार्थी पाकिस्तान में आते रहे हैं।