अफ़ग़ानिस्तान : सैनिक नहीं, सैन्य सहायता भेजे भारत
ऐसे समय जब अफ़ग़ानिस्तान के बड़े हिस्से पर तालिबान ने क़ब्ज़ा कर लिया है और अमेरिकी सेना अपने देश लौट रही है, आतंकवाद से जूझ रहे इस देश ने भारत से सैन्य सहायता की गुहार लगाई है।
भारत में अफ़ग़ान राजदूत फ़रीद मामंदज़ई ने कहा है कि यदि तालिबान से चल रही बातचीत टूट ही गई और अमेरिका की सेना लौट गई तो उनका देश भारत से सैनिक सहायता मांगेगा। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि भारत अपनी सेना ही अफ़ग़ानिस्तान भेज दे।
उन्होंने मंगलवार को कहा, 'यदि ऐसी स्थिति आ गई कि तालिबान से बातचीत टूट गई तो हम भारत से सैनिक सहायता की मांगेगे। हम उम्मीद करेंगे कि भारत आने वाले कुछ साल तक हमे पहले से अधिक सैन्य सहायता दे।'
सैनिक नहीं, सैन्य प्रशिक्षण
लेकिन उन्होंने इसके साथ ही कहा, 'हम भारत की मदद इस रूप में नहीं माँग रहे हैं कि वह अपनी सेना भेजे, तालिबान से लड़ने में हमें भारतीय सेना की मदद इस समय नहीं चाहिए।'
उन्होंने कहा कि भारत सैनिकों को प्रशिक्षण और अफ़ग़ान सेना के कैडेट्स को स्कॉलरशिप दे सकता है।
राजदूत ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति बहुत ही बुरी है, अफ़ग़ान सैनिक देश के 376 में से 150 ज़िलों में तालिबान से लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2017 से अब तक दो लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं।
बता दें कि भारत सरकार ने तालिबान से अनौपचारिक बातचीत की है। तालिबान ने भारत को यह आश्वस्त किया है कि वह जम्मू-कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
लेकिन सवाल यह है कि यदि भारत के सैनिक अफ़ग़ानिस्तान जाकर वहाँ के सैनिकों को प्रशिक्षण देंगे तो तालिबान का क्या रवैया होगा।
भारतीय सैनिक सीधे तालिबान से न टकराएं, यह तो ठीक है, पर तालिबान से लड़ने वाली अफ़ग़ान सेना को प्रशिक्षण देने पर तालिबान का रुख कड़ा हो सकता है। वह भारत को निशाने पर ले सकता है, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
विदेश मंत्रियों की बातचीत
अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत का यह बयान ऐसे समय आया है जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अफ़ग़ान विदेश मंत्री मुहम्मद हनीफ़ अत्मार के बीच बातचीत हुई और अत्मार ने उम्मीद जताई है कि भारत उन्हें अधिक सैन्य सहायता देगा।
अत्मार और जयशंकर के बीच टेलीफ़ोन पर बातचीत हुई है। उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और उम्मीद जताई कि तालिबान युद्ध विराम और राजनीतिक समझौते को लागू करने के लिए वे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ बनाएंगे।
A great pleasure to talk to my friend Indian EAM HE @DrSJaishankar. We discussed resumption of #AfghanPeaceTalks in Doha & garnering regional and intl support for a ceasefire leading to a political settlement in AFG. Congrats excellency on Covid vaccine roll out in India. pic.twitter.com/tDK2eP7p9M
— Mohammed Haneef Atmar محمد حنیف اتمر (@MHaneefAtmar) January 8, 2021
इस साल जनवरी में जब यह तय हो गया कि अमेरिकी सेना अफ़ग़ानिस्तान से लौट जाएगी और तालिबान से बातचीत की जाने लगी तो भारत ने साफ कहा कि वहाँ कोई भी समझौता ऐसा होना चाहिए जिसके केंद्र में अफ़ग़ानिस्तान हो, जिस अफ़ग़ानिस्तान संचालित करे और उसका ही नियंत्रण हो।
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में तीन अरब डॉलर से ज़्यादा का निवेश कर वहां ढाँचागत संरचनाएं विकसित की हैं।