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मुल्ला बरादर काबुल में विरोधियों से मिले, कहा, समावेशी सरकार बनाएंगे

मुल्ला बरादर काबुल में विरोधियों से मिले, कहा, समावेशी सरकार बनाएंगे

तालिबान के सैन्य दस्ते के प्रमुख मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर अफ़ग़ानिस्तान पहुँच चुके हैं, उन्होंने अपने विरोधी गुलबुद्दीन हिक़मतयार समेत कई लोगों से बात की है और सरकार बनाने की दिशा में कदम उठाया है। 

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में तालिबान के संस्थापकों में एक मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर ने शनिवार को काबुल पहुँचते ही एलान किया कि वे एक समावेशी सरकार का गठन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने किसी ज़माने में अपने कट्टर विरोधी नेता गुलबुद्दीन हिक़मतयार से मुलाक़ात की। 

मुल्ला बरादर तालिबान के सैन्य दस्ते के प्रमुख हैं और अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ग़ान सेना को शिकस्त देकर बगैर किसी बड़े ख़ून-खराबे के राजधानी काबुल पर नियंत्रण करने के पीछे उनकी ही रणनीति रही है। 

लेकिन वे परदे के पीछे रहे, क़तर की राजधानी दोहा स्थित तालिबान मुख्यालय में रहे।

सरकार विहीन देश

तालिबान ने राजधानी काबुल पर नियंत्रण कर लेने के छह दिन बीत जाने के बाद भी सरकार गठित नहीं किया, न ही शीर्ष नेत़त्व के लोगों को अफ़ग़ानिस्तान में देखा गया। 

सिर्फ़ स्थानीय कमान्डर चीजों को नियंत्रित करते हुए दिखे और उनके लड़ाकों ने शहर पर नियंत्रण कर लिया। पर न तो सत्ता दिखी न ही सत्ता के शीर्ष पर कोई व्यक्ति। कुल मिला कर अफ़ग़ानिस्तान एक हफ़्ते से एक सरकार विहीन देश बना हुआ है। 

शनिवार को मुल्ला बरादर दोहा से काबुल पहुँचे।

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विरोधियों से मुलाक़ात

तालिबान काबुल पर नियंत्रण के बाद से ही यह छवि पेश करने की कोशिश में है कि 1996-2001 तक चली मुल्ला उमर की सरकार से मुल्ला बरादर की सरकार अलग होगी। 

इस कोशिश में ही अनस हक्क़ानी ने काबुल स्थित हामिद करज़ई के घर जाकर उनसे मुलाक़ात की थी।

इसी तरह मुल्ला बरादर ने अपने कट्टर विरोधी गुलबुद्दीन हिक़मतयार से मुलाकात की है।

इस सरकार में अनस के भाई सिराजुद्दीन हक्क़ानी के महत्वपूर्ण पद दिए जाने की पूरी संभावना है। हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेन्सी आएसआई का खड़ा किया हुआ आतंकवादी गुट है।

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गुलबुद्दीन हिक़मतयार

पाक की लॉबीइंग

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने जापान के विदेश मंत्री से मुलाक़ात कर तालिबान के लिए लॉबीइंग की है। 

पिछली सरकार में चीफ़ एग़्जक्यूटिव अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने शनिवार को काबुल के गवर्नर से मुलाक़ात की है।

पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के भाई हशमत ग़नी अहमदज़ई ने तालिबान के प्रति आस्था जताई है। यह अजीब लेकिन अहम इसलिए है कि तालिबान के काबुल पहुँचने पर अशरफ़ ग़नी को देश छोड़ कर भागना पड़ा था।

कौन बनेगा राष्ट्रपति?

अफ़ग़ान राष्ट्रपति के रूप में तीन लोगों के नामों पर विचार चल रहा है। ये हैं-मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर, सिराजुद्दीन हक्क़ानी और मुल्ला उमर के बेटे मौलवी याकूब।

सिराजुद्दीन हक्क़ानी को पाकिस्तान का समर्थन हासिल है तो मौलवी याकूब के साथ तालिबान का पुराना नेतृत्व है। याकूब के हाथ में कुछ दिनों के लिए तालिबान का नेतृत्व था, बाद में आईएसआई ने उन्हें हटा कर अपने एजेंट सिराजुद्दीन को फिट किया। 

मुल्ला बरादर के साथ बड़ी बात यह है कि पूरा सैन्य दस्ता उनके साथ है और अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा करने के श्रेय उन्हें ही है। 

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