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‘सीजेआई सुप्रीम कोर्ट नहीं हैं’, अवमानना नोटिस पर प्रशांत भूषण का जवाब 

‘सीजेआई सुप्रीम कोर्ट नहीं हैं’, अवमानना नोटिस पर प्रशांत भूषण का जवाब 

अपने हालिया दो ट्वीट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अवमानना नोटिस भेजे जाने का वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जवाब दिया है। 

अपने हालिया दो ट्वीट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अवमानना नोटिस भेजे जाने का वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जवाब दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके इन ट्वीट्स का स्वत: संज्ञान लिया था और उनके ख़िलाफ़ अवमानना का नोटिस जारी किया था। 

नोटिस में अदालत ने पूछा था कि न्यायपालिका के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाने वाले ट्वीट के लिए क्यों न उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए। अदालत की ओर से इस मामले में सुनवाई की तारीख़ 5 अगस्त तय की गई है। 

अपने 132 पेज के जवाबी एफ़िडेविट में प्रशांत भूषण ने कई केसों का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि पिछले चार सीजेआई के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक मूल्यों, नागरिकों के मौलिक अधिकारों और कानून के शासन की रक्षा के अपने कर्तव्य का पालन करने में विफल रहा है।

भूषण ने एफ़िडेविट में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों मदन बी. लोकुर और ए.पी. शाह के विचारों का भी जिक्र किया है। 

प्रशांत भूषण ने अपने दोनों ट्वीट्स का समर्थन करते हुए लिखा है कि उनके ये विचार पिछले छह सालों में हुई घटनाओं की अभिव्यक्ति हैं। भूषण ने लिखा, ‘यह अवमानना नहीं हो सकती। अगर सुप्रीम कोर्ट मेरे ट्वीट्स को अवमानना मानता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) पर बिना कारण का प्रतिबंध होगा और स्वतंत्र अभिव्यक्ति को भी रोकने की तरह होगा।’ भूषण ने कहा है कि सीजेआई सुप्रीम कोर्ट नहीं हैं। 

हालांकि भूषण ने सीजेआई के मोटरसाइकिल पर बैठे हुए जिस फ़ोटो को ट्वीट किया था, ट्वीट में कही गई बातों के एक हिस्से के लिए उन्होंने अफसोस जताया है। भूषण ने कहा है कि उन्होंने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि वह बाइक स्टैंड मोड में थी। 

जाने-माने अधिवक्ता भूषण ने लिखा है कि एक लोकतंत्र में बहुमत से चुनी गई सरकार को अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करते हुए काम करना चाहिए। उन्होंने लिखा है कि पिछले छह सालों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों को व्यवस्थित ढंग से ख़त्म किया गया है, उन्हें कम करके विशेषकर मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना दिया गया है। 

भूषण ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इसलामिया और जेएनयू पर हुए गंभीर हमलों को लेकर अपने कान बंद कर लिए और दिल्ली दंगों के दौरान मुसलमानों पर हुए हमलों पर भी वह मूकदर्शक बना रहा।

क्या कहा था ट्वीट्स में

भूषण ने एक ट्वीट में कहा था, ‘जब भविष्य के इतिहासकार पिछले 6 वर्षों को देखेंगे कि औपचारिक आपातकाल के बिना भी भारत में लोकतंत्र कैसे नष्ट कर दिया गया है तो वे विशेष रूप से इस विनाश में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को चिह्नित करेंगे और विशेष रूप से अंतिम 4 प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका।’

उनका दूसरा ट्वीट वर्तमान सीजेआई एस.ए. बोबडे को लेकर था जिसमें एक फ़ोटो में बोबडे नागपुर में हार्ले डेविडसन सुपरबाइक पर बैठे हुए दिखे थे। प्रशांत भूषण ने इस फ़ोटो को ट्वीट करते हुए कहा था, ‘ऐसे समय में 'जब नागरिकों को न्याय तक पहुंचने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हुए वह सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन मोड में रखते हैं, चीफ़ जस्टिस ने 50 लाख की बाइक चलाते वक़्त हेलमेट या फ़ेस मास्क तक नहीं पहना है।’

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