ऐसी पाठ्यपुस्तकों से जुड़े होने पर शर्मिंदगी: NCERT के सलाहकार
एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों में कटौती पर इसके सलाहकारों ने आपत्ति जताई है। कक्षा 9 से 12 के लिए राजनीति विज्ञान की किताबों के मुख्य सलाहकार सुहास पलशिकर और योगेंद्र यादव ने आग्रह किया है कि एनसीईआरटी उनके नाम सलाहकार के रूप में हटा दे। उनकी आपत्ति एनसीईआरटी द्वारा हाल ही में किए गए 'असंख्य और तर्कहीन कटौती और पाठ हटाए जाने' पर है। उन्होंने कहा है कि ऐसे में उनके नाम जुड़े होने पर उन्हें शर्मिंदगी होती है।
एनसीईआरटी स्कूल की पाठ्यपुस्तकों पर विवाद हो रहा है क्योंकि हाल में पाठ्यक्रमों में जो बदलाव किए गए हैं उसकी शिक्षाविदों और राजनेताओं ने आलोचना की है।
Prof @PalshikarSuhas and I have dissociated ourselves from the six NCERT textbooks that we had the honour to put together but that have now been mutilated beyond recognition. We have asked NCERT to remove our names from these books.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) June 9, 2023
Our letter (attached here) says:
"we fail to… pic.twitter.com/d8cGg3tFge
कुछ दिन पहले ही ख़बर आई है कि कक्षा 10 के छात्र अब एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से लोकतंत्र और विविधता, जन संघर्ष और आंदोलन, राजनीतिक दल, लोकतंत्र की चुनौतियाँ आदि के बारे में नहीं सीख पाएँगे। दरअसल, एनसीईआरटी ने कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तकों से इनसे जुड़े पूरे अध्यायों को हटा दिया है।
एनसीईआरटी द्वारा जारी की गई नई पाठ्यपुस्तकों में आवर्त सारणी पर एक अध्याय सहित और भी ऐसे अध्यायों को हटाए जाने का पता चला है। विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से हटाए गए विषयों में पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा के स्रोत पर अध्याय भी शामिल हैं। ताज़ा संशोधन के बाद कक्षा 10 के छात्रों के लिए लोकतंत्र और विविधता, लोकतंत्र की चुनौतियाँ और राजनीतिक दल पर पूरे अध्याय भी हटा दिए गए हैं।
एनसीईआरटी ने जो यह क़दम उठाया है, उसने छात्रों पर भार कम करने और पाठ्यपुस्तकों को तार्किक बनाने की बात कहकर इसको लागू किया। इसे कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान लागू किया गया था और तर्क दिया गया था कि क्योंकि बच्चों ने स्कूलों में पढ़ाई नहीं की है इसलिए छात्रों की सहूलियत के लिए इसे लागू किया गया। लेकिन सवाल है कि अब कोरोना महामारी और लॉकडाउन के ख़त्म होने के बाद यह फ़ैसला क्यों? इसी को लेकर विवाद बढ़ रहे हैं।
पिछले कुछ समय से एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में होने वाले बदलाओं को लेकर लगातार विवाद होता रहा है।
इससे पहले कक्षा 9 और कक्षा 10 की विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से चार्ल्स डार्विन के इवॉल्यूशन के सिद्धांत को हटाने के एनसीईआरटी के फ़ैसले की आलोचना हुई थी।
हाल में जो बदलाव किए गए हैं इनमें 2002 के गुजरात दंगों के सभी संदर्भों को हटाना, मुगल युग और जाति व्यवस्था से संबंधित सामग्री को कम करना और विरोध और सामाजिक आंदोलनों पर अध्यायों को हटाना भी शामिल है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तर्कसंगत करने की इस प्रक्रिया पर चिंता का हवाला देते हुए योगेंद्र यादव और पलशिकर ने शुक्रवार को एनसीईआरटी के निदेशक डीएस सकलानी को लिखे एक पत्र में कहा, '...हम यहां किसी भी शैक्षणिक तर्क को समझ नहीं पा रहे हैं। हमें लगता है कि पाठ को पहचान से परे विकृत कर दिया गया है... इस प्रकार बनाए गए अंतराल को भरने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।'
रिपोर्ट के अनुसार पत्र में आगे कहा गया है, 'हम मानते हैं कि किसी भी पाठ में एक आंतरिक तर्क होता है और इस तरह के मनमाने कट और विलोपन पाठ की भावना का उल्लंघन करते हैं। ऐसा लगता है कि सत्ता को खुश करने के अलावा बार-बार और क्रमिक विलोपन का कोई तर्क नहीं है।'
योगेंद्र यादव और पलशिकर ने सकलानी से कहा है कि मौजूदा स्वरूप में पाठ्यपुस्तकें राजनीति विज्ञान में छात्रों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य को पूरा नहीं करती हैं और वे 'कटे-फटे और अकादमिक रूप से बेकार' किताबों के साथ अपना नाम जोड़ने से शर्मिंदा हैं। उन्होंने आग्रह किया है कि कक्षा 9 से 12 की सभी राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों की सॉफ्ट कॉपी और साथ ही भविष्य के सभी प्रिंट संस्करण से उनके नाम हटा दिए जाएँ।