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मंदिर ट्रस्ट की बहानेबाजी के बावजूद आडवाणी अयोध्या आना चाहते हैं

मंदिर ट्रस्ट की बहानेबाजी के बावजूद आडवाणी अयोध्या आना चाहते हैं

राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय ने साफ शब्दों में कहा था कि राम मंदिर आंदोलन शुरू करने वाले लालकृष्ण आडवाणी को निमंत्रण दिया गया है, लेकिन उनकी उम्र की वजह से उन्हें और डॉ मुरली मनोहर जोशी को आने से मना किया गया है। हालांकि आडवाणी ने अब कहा है कि वो अयोध्या आना चाहते हैं। ट्रस्ट और विहिप के निमंत्रण पत्र आलोचना के घेरे में हैं। एक तरफ आडवाणी, जोशी, उमा भारती हाशिए पर कर दिए गए लेकिन फिल्म स्टारों, क्रिकेटरों को बुलाया गया है। शंकराचार्यों को लेकर विवाद चल ही रहा है।

1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वो केवल रथ के सारथी रहे लेकिन ये भाग्य का फ़ैसला है कि एक दिन राम मंदिर हक़ीक़त बन जाएगा।

राष्ट्रधर्म' पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है। ‘श्री राम मंदिर: एक दिव्‍य स्वप्‍न की पूर्ति’ नाम का ये लेख, 76 साल पुरानी इस पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपने वाला है। इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, "मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्‍या में श्रीराम का मंदिर अवश्‍य बनेगा। पत्रिका का ये अंक 22 तारीख को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी लोगों को दिया जाएगा।

उन्होंने लिखा, "रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था. रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।

उन्होंने यात्रा में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में लिखा कि मोदी उस वक्त अधिक चर्चित नहीं थे और वो यात्रा के समय उनके साथ थे। उन्होंने लिखा, "जब प्रधानमंत्री मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वो भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा।

अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह विवाद में आ गया है। पुरी और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्यों ने खुलकर इस कार्यक्रम को राजनीतिक बनाने की आलोचना की है। उनका कहना है कि संतों, धर्माचार्यों को दरकिनार कर दिया गया है। सनातन मूल्यों का पालन नहीं किया जा रहा है। अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। कई अन्य संतों ने कहा है कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा तो वहां मूर्तियां स्थापित करते समय ही हो गई थी। 

इस कार्यक्रम को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय ने बयान दिया था कि आडवाणी और जोशी को न्यौता भेजा गया है लेकिन उन दोनों से उनकी उम्र के कारण आने से मना किया गया है। चंपत राय के इस बयान की काफी आलोचना हुई, क्योंकि आडवाणी को आरएसएस के राम मंदिर प्रोजेक्ट का प्रमुख सूत्रधार माना जाता है। उनकी रथ यात्रा के बाद ही राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम में विपक्षी दलों के नेताओं को भी बुलाया गया। लेकिन कांग्रेस ने कहा कि यह राजनीतिक कार्यक्रम बन गया है, इसलिए इसमें वो शामिल नहीं होगी। इन्हीं बातों को ममता बनर्जी की टीएमसी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम आदि ने भी कहा है। कार्यक्रम में बॉलीवुड के फिल्मी सितारों और क्रिकेटरों को बुलाया गया है। आम जनता से कहा गया है कि वो फिलहाल 22 जनवरी को नहीं आए। बाद में जरूर आए। भाजपा ने भक्तों के लिए 23 मार्च तक ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम किया है। 

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