अपनों ने धोखा दिया; कांग्रेस, एनसीपी मुश्किल में साथ रहीं: आदित्य
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने पार्टी के बागियों को लेकर कहा है कि उन्हें अपनों ने धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि मुश्किल वक़्त में कांग्रेस और एनसीपी उनके साथ खड़ी रहीं।
उन्होंने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में कहा, 'मेरे पिता सत्ता के भूखे नहीं हैं। जैसे ही बागियों ने झंडा उठाया, वे सीएम हाउस से बाहर चले गए। वह गरिमापूर्ण, शालीन, साफ़-सुथरा और अपनी बातों के प्रति वफादार हैं।' एनडीटीवी से बात करते हुए आदित्य ने कहा, 'हमें कुछ लोगों की महत्वाकांक्षाओं के बारे में पता था और इस नाटक के शुरू होने से ठीक एक महीने पहले उन्हें वे पद भी दिए गए थे जो वे चाहते थे।'
आदित्य का बयान तब आया जब महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार बन रही थी। शिंदे ने गुरुवार शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी के रूप में शपथ ली। शिवसेना ने अंत तक सुप्रीम कोर्ट में इस लड़ाई को लड़ा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि वो फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगाएगा। फ्लोर टेस्ट से पहले उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। सरकार बनाने को लेकर दिलचस्प मोड़ तब आया जब फडणवीस ने कहा कि वो सरकार में शामिल नहीं होंगे। शिंदे सीएम होंगे।
शिंदे ने बीजेपी के साथ गुरुवार को सरकार बनाने का दावा पेश किया। जिसे गवर्नर ने मान लिया और शाम को शपथ दिला दी गई।
इस बीच आदित्य ठाकरे अपनों द्वारा धोखा दिए जाने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, 'देशद्रोहियों ने उस स्थिति का फायदा उठाया जब मुख्यमंत्री एक सर्जरी से बाहर आए थे और आइसोलेशन में थे।' एमवीए गठबंधन के बारे में बात करते हुए आदित्य ने कहा कि यह वास्तव में लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है, जहां पार्टियाँ अपने वैचारिक मतभेदों को अलग रखते हुए विकास के एकमात्र उद्देश्य के लिए एक साथ आई थीं। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस, राकांपा इस कठिन समय में हमारे साथ खड़ी रहीं। कांग्रेस नेताओं ने हमसे मुलाक़ात की और पूरी तरह से प्रतिबद्धता जताई कि इस कठिन समय में जब हमारे साथ विश्वासघात किया गया है तो वे हमारे साथ खड़े रहेंगे।'
बीजेपी के साथ संभावित भविष्य के गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'वे अभी उन लोगों के साथ गठबंधन कर रहे हैं जिन्होंने हमें धोखा दिया।'
जब उनसे हिंदुत्व की मूल विचारधारा से हटने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हिंदुत्व का उनका विचार बालासाहेब ठाकरे या पार्टी अध्यक्ष के विचार से बहुत अलग है।' टूटने वालों में असंतोष पर आदित्य ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने सफलताओं का श्रेय अपने हर सहयोगी को दिया है। जिस शख्स ने बगावत शुरू की, उसे ऐसा विभाग दिया गया था, जो पिछले 33 सालों में किसी सीएम ने नहीं छोड़ा।'