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हार के लिए सिर्फ नेतृत्व जिम्मेदार नहीं, आलोचना से नहीं निकलेगा हल: चौधरी 

हार के लिए सिर्फ नेतृत्व जिम्मेदार नहीं, आलोचना से नहीं निकलेगा हल: चौधरी 

लगातार मिल रही चुनावी हार के बाद कांग्रेस के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है। पार्टी को अपने नेताओं की बयानबाज़ी के अलावा क्षेत्रीय दलों की चुनौती से भी निपटना है। 

पांच राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर फिर से उथल-पुथल का माहौल है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 से बातचीत कर सुलह की कोशिशें तेज की हैं। लेकिन पार्टी के सामने बड़ा संकट राज्यों में मिल रही हार और क्षेत्रीय दलों से मिल रही चुनौती है। 

ऐसे ही तमाम मसलों पर लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत की।

इस सवाल के जवाब में कि G-23  गुट के नेताओं ने सामूहिक व समावेशी नेतृत्व की बात कही है, चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पहले दिन से समावेशी और सामूहिक नेतृत्व वाले मॉडल का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी लगातार आंतरिक चुनाव करा रही है और कोई भी इसमें भाग ले सकता है।

उन्होंने कहा कि G-23  गुट के नेता अगर किसी फैसले को या नेतृत्व के द्वारा उठाए गए कदम को पसंद नहीं करते तो क्या वे सोनिया गांधी तक नहीं पहुंच सकते। 

‘सोनिया से क्यों नहीं मिलते?’

उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी से हर कोई बात कर सकता है तो ऐसे में G-23  गुट के नेता मीडिया के जरिए के बातचीत क्यों करते हैं, इससे उन्हें हैरानी होती है।

पश्चिम बंगाल से आने वाले अधीर ने कहा कि उनका मानना है कि पार्टी के संबंध में कोई भी विचार रखने से पहले G-23 गुट के नेताओं को सोनिया गांधी से मिलना चाहिए और चर्चा करनी चाहिए। ऐसा करके किसी भी विवाद को टाला जा सकता है।

उन्होंने सवाल उठाया कि पार्टी को मजबूत करने के लिए क्या इस तरह का कोई G-23 गुट बनाना जरूरी है।

पार्टी को लगातार मिल रही हार के कारण क्या बदलाव की जरूरत है?, इस सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि यह सही है कि कांग्रेस को लगातार चुनावी हार मिल रही है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इसके लिए सिर्फ नेतृत्व ही जिम्मेदार है। इसका विश्लेषण किया जाना चाहिए और नए रास्ते खोजे जाने चाहिए। 

 - Satya Hindi

चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के क्षेत्रीय क्षत्रपों की जगह पर क्षेत्रीय पार्टियां आ गई हैं। उन्होंने G-23 गुट के नेताओं पर सवाल उठाया कि वे बदलाव की बात कर रहे हैं लेकिन क्या उन्होंने कोई एक्शन प्लान तैयार किया है, सिर्फ नेतृत्व की आलोचना करने के बजाए हम लोग साथ बैठें और चुनौतियों का सामना करें।

बीजेपी जैसा लहजा

चौधरी ने कहा कि नेतृत्व लगातार रास्ते तलाश रहा है और नियमित अंतराल पर सीडब्ल्यूसी की बैठक भी हो रही है। उन्होंने कहा कि केवल नेतृत्व की आलोचना करना हल नहीं है। इससे बीजेपी और क्षेत्रीय पार्टियों के द्वारा कांग्रेस के खिलाफ लगाई गई आग और भड़कती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कांग्रेस को खत्म करने पर आमादा है। ऐसे हालात में अगर हम नेतृत्व पर लगातार हमलावर रहते हैं तो बीजेपी का लहजा और तेवर कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं के जैसा ही दिखाई देता है। 

इस सवाल पर कि कांग्रेस को क्या करना चाहिए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभी नेताओं को साथ बैठना चाहिए चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल अब कांग्रेस की कीमत पर अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

‘मोलभाव की ताकत हासिल करनी होगी’

अधीर ने कहा कि मोलभाव की ताकत हासिल किए बिना हम क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत नहीं कर सकते और हमें यह ताकत हासिल करनी ही होगी। उन्होंने क्षेत्रीय दलों के साथ चुनावी गठबंधन पर जोर दिया लेकिन मोलभाव की ताकत हासिल करने को अहम बताया।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर हम यह सोचते हैं कि क्षेत्रीय दल हमें सत्ता हासिल करने देंगे तो मुझे ऐसा लगता है कि हम लोग मूर्खों के स्वर्ग में रह रहे हैं और ऐसा किसी दयालुता की वजह से नहीं बल्कि मजबूत होने से होगा। 

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