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अडानी का श्रीलंका प्रोजेक्टः राहुल गांधी ने कितना सच बोला?

अडानी का श्रीलंका प्रोजेक्टः राहुल गांधी ने कितना सच बोला?

अडानी मुद्दा गरम है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। राहुल ने आरोपों के दौरान अडानी के श्रीलंका प्रोजेक्ट का जिक्र किया था। आखिर क्या था वो प्रोजेक्ट, राहुल कितना सच बोले, जानिएः

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कल मंगलवार को संसद में अडानी मुद्दे पर बोलते हुए पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में अडानी की वजह से नीति प्रभावित होने का जिक्र किया था। राहुल ने जो तथ्य बताए, वो कितने सही हैं, इसको जानने की कोशिश सत्य हिन्दी ने की। राहुल ने संसद में मंगलवार को कहा था कि अडानी की वजह से भारतीय विदेश नीति प्रभावित हुई। देश की विदेश नीति अडानी के कारोबार की नीति बन गई। जून 2022 में, श्रीलंका के सीलोन बिजली बोर्ड के अध्यक्ष ने एक संसदीय सुनवाई की जानकारी दी कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने उन्हें बताया कि पीएम मोदी ने अडानी को पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) का ठेका देने के लिए उन पर "दबाव" डाला था।

क्या तथ्य हैं इस मामले के

श्रीलंका के प्रमुख मीडिया समूह न्यूज़ फर्स्ट ने ख़बर दी थी कि श्रीलंका के बिजली प्राधिकरण के प्रमुख ने एक संसदीय पैनल के सामने गवाही दी है कि उन्हें श्रीलंका के (पूर्व) राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने बताया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अडानी समूह को सीधे 500 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना देने पर जोर दिया था। जब इस बयान पर बवाल मचा तो अधिकारी ने यू-टर्न ले लिया। बाद में उसने नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया था।

न्यूज़ फर्स्ट मीडिया समूह के मुताबिक सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड यानी सीईबी के अध्यक्ष एम.एम.सी. फर्डिनेंडो ने एक संसदीय समिति को बताया कि उन्हें राष्ट्रपति द्वारा बताया गया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोर दे रहे थे कि ऊर्जा निवेश परियोजनाओं को अडानी समूह को दिया जाए। चेयरमैन श्रीलंका संसद में सार्वजनिक उद्यम समिति की सुनवाई में उपस्थित हुए थे। समिति के सामने सीईबी के अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक बैठक के बाद उन्हें राज्य के प्रमुख द्वारा बुलाया गया था और तभी अडानी समूह को लेकर वह बात कही गई थी।

अखबार के मुताबिक उन्होंने समिति को बताया था कि मैंने उनसे कहा कि यह मेरे या सीईबी से संबंधित मामला नहीं है और इसे इन्वेस्टमेंट बोर्ड को भेजा जाना चाहिए। सीईबी के अध्यक्ष ने कहा कि इसके बाद उन्होंने ट्रेजरी सचिव को लिखित रूप में सूचित किया, और उनसे यह कहते हुए अनुरोध किया कि वे यह ध्यान में रखते हुए इस मामले पर गौर करें कि श्रीलंका सरकार से भारत सरकार स्तर पर इसे करना ज़रूरी है।

इस घटनाक्रम के बाद तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को सफाई देनी पड़ी।

गोटाबाया राजपक्षे ने 11 जून 2022 को ट्वीट में कहा- मन्नार में विंड एनर्जी प्रोजेक्ट दिए जाने के संबंध में एक सार्वजनिक उद्यम समिति की सुनवाई में सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा दिए गए बयान के संबंध में जवाब। मैं इस परियोजना को किसी विशिष्ट व्यक्ति या संस्था को देने के लिए अधिकार देने को स्पष्ट रूप से खारिज करता हूं। मुझे विश्वास है कि इस संबंध में जिम्मेदाराना बयान देने का पालन किया जाएगा।

बहरहाल, इस पर श्रीलंका में काफी हंगामा हुआ। वहां के विपक्षी दलों ने मामले को उठाया। गोटाबाया के ट्वीट के बाद सीलोन बिजली बोर्ड के चेयरमैन की सफाई भी आ गई। न्यूज फर्स्ट' के मुताबिक सीईबी चेयरमैन एम.एम.सी. फर्डिनेंडो ने कहा कि सार्वजनिक उद्यम समिति के सत्र में उन पर आरोप लगाए जाने पर वह बहुत भावुक थे। उन्होंने कहा कि वह समिति के दबाव में थे और उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ग़लत बयान दिया। उन्होंने न्यूज़ फर्स्ट से कहा, 'मैंने उस बयान को वापस ले लिया है।' फर्डिनेंडो ने कहा कि उन्हें इस बात का अहसास तब हुआ कि उन्होंने ग़लती से ऐसी टिप्पणी की थी, जब मंत्री ने अगले दिन सुबह उनसे इस मामले के बारे में पूछताछ की।

श्रीलंका के विपक्ष ने संसद में आरोप लगाया था कि अडानी समूह की भागीदारी के साथ उत्तरी तट में 500 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र बनाने के लिए भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के एक 'अवांछित' समझौते की वजह से 1989 के अधिनियम में संशोधन किया गया। मुख्य विपक्षी दल एसजेबी चाहता था कि 10 मेगावाट क्षमता से अधिक की परियोजनाएं प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया से गुजरें, लेकिन सरकार के अधिकांश सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। रिपोर्ट के अनुसार बिजली और ऊर्जा मंत्री द्वारा 17 मई, 2022 को संसद में पेश किया गया वह विधेयक एक व्यक्ति को बिजली पैदा करने का लाइसेंस देने का अधिकार देता है।

अडानी की श्रीलंका यात्रा

गौतम अडानी 2021 में श्रीलंका गए थे और वहाँ के राष्ट्रपति से मिले थे। तब उन्होंने ट्वीट किया था, 'राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से मिलने का सौभाग्य मिला। कोलंबो पोर्ट के वेस्टर्न कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने के अलावा, अडानी ग्रुप अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनरशिप का पता लगाएगा। श्रीलंका के साथ भारत के मजबूत संबंध सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों से जुड़े हैं।'

यहां यह बताना जरूरी है कि आज बुधवार को जब गोटाबाया राजपक्षे गौतम अडानी के ट्वीट की जांच की गई तो दोनों ट्वीट ट्विटर पर यथावत मौजूद हैं। किसी भी पक्ष ने अपने ट्वीट नहीं हटाए हैं। श्रीलंका के न्यूज फर्स्ट मीडिया ने भी अपनी स्टोरी वापस नहीं ली है। उसकी खबर का लिंक शुरू में ही उसका संदर्भ आने पर दिया गया है। अब खबर है कि राहुल गांधी ने मंगलवार को अडानी समूह के बारे में जो कुछ भी कहा है उसे हटाने की मांग बीजेपी ने की है। अगर स्पीकर राहुल के सारे आरोपों को हटाने का आदेश देते हैं तो फिर राहुल का भाषण संसद के टीवी चैनल पर नहीं मिलेगा। लेकिन भारतीय मीडिया उनकी रिपोर्टिंग कर चुका है।

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