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अडानीः RBI ने बैंकों से सूचनाएं मांगी, सेबी भी कथित जांच में जुटा

अडानीः RBI ने बैंकों से सूचनाएं मांगी, सेबी भी कथित जांच में जुटा

भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से अडानी समूह के बारे में गुरुवार को सूचनाएं मांगी हैं। आरबीआई जानना चाहता है कि किन बैंकों ने अडानी कंपनियों में निवेश कर रखा है। सेबी भी कथित तौर पर जांच कर रहा है। सत्य हिन्दी पर अडानी की खबरों का अपडेट जानते रहिए।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय बैंकों से अडानी समूह की कंपनियों में उनके निवेश के बारे में विवरण मांगा है। सेबी भी कथित तौर पर जांच में जुट गई है। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी और सीएनबीसी ने यह खबर दी है।

आरबीआई और सेबी तभी जागे जब शेयर मार्केट में पिछले सप्ताह से अडानी समूह के शेयर डूब रहे हैं और इस ग्रुप को करीब $100 बिलियन का नुकसान अभी तक हो चुका है। दो अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट बैंकों सीटी ग्रुप वेल्थ और क्रेडिट सुइस ने अडानी समूह की सिक्योरिटीज पर रोक लगा दी है। सत्य हिन्दी पर पिछली खबर में इस पर विस्तार से जानकारी दी जा चुकी है। भारत सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से किसी जांच का आदेश नहीं दिया है या उसकी घोषणा नहीं की है।

गुरुवार को रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार और बैंकिंग सूत्रों ने सारे घटनाक्रम की पुष्टि की है। हालांकि रिजर्व बैंक ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

इस बीच, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी समूह के शेयरों में हालिया गिरावट की कथित जांच शुरू कर दी है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अलावा दोनों सरकारी रेगुलेटरों द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच इसकी कंपनियों पर दोहरी मार साबित हो सकती है।

अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों ने गुरुवार को शेयर बाजार में अपनी गिरावट जारी रखी, यहां तक ​​कि समूह के अरबपति मालिक गौतम अडानी ने निवेशकों को समझाने के लिए एक वीडियो बयान भी जारी किया। समूह की अधिकांश सूचीबद्ध कंपनियों ने अपने निचले सर्किट पर 5 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। अडानी एंटरप्राइजेज ने अपना एफपीओ पहले ही वापस ले लिया है और निवेशकों को पैसा लौटाने का वादा किया है।

गुरुवार को अडानी एंटरप्राइजेज 8 प्रतिशत से अधिक नीचे था, जबकि अदानी पोर्ट्स और एसईजेड 3 प्रतिशत से अधिक गिर गए। अन्य सभी लिस्टेड कंपनियां- अदानी विल्मर, अदानी पावर, अदानी ट्रांसमिशन, अदानी ग्रीन एनर्जी और अदानी टोटल गैस में लोअर सर्किट लग गया। एनडीटीवी पर भी शुरुआती कारोबार में लोअर सर्किट लगा। हालांकि, अडानी के स्वामित्व वाली अंबुजा और एसीसी ऐसी दो कंपनियां थीं जो अलबत्ता 1-5 प्रतिशत की सीमा में बढ़ रही थीं।   

अडानी समूह का संकट उस समय आया, जब पिछले हफ्ते अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म, हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक विस्फोटक रिपोर्ट पेश की। इसने अडानी समूह के बढ़ते कर्ज के बारे में चिंता जताई और स्टॉक में हेरफेर का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी समूह भारत को लूट रहा है। जबकि अडानी समूह ने कई बयान जारी किए और हिंडनबर्ग द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में 413 पेजों का बयान जारी किया। जिसमें हिंडनबर्ग के आरोपों को दोहराया गया। लेकिन अडानी की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में गिरावट जारी हो गई। 

उधर, भारत के विपक्षी दलों ने भी संसद में अडानी ग्रुप के मामले को उठाने की कोशिश की लेकिन बीजेपी शासित मोदी सरकार ने इस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी। विपक्ष अडानी के खिलाफ जांच की मांग कर रहा है। अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी और भारतीय पीएम मोदी के संबंधों के बारे में विपक्ष तमाम बातें कहता रहा है। कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार को अडानी और अंबानी चला रहे हैं। उन बयानों के संदर्भ में अब सारे मामले को देखा जा रहा है। यह सिर्फ अडानी समूह की बात नहीं है, मोदी सरकार और भारतीय बैंकों की साख दांव पर लग गई है।

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