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अडानी-हिंडनबर्ग विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सेबी के खिलाफ अवमानना ​​याचिका

अडानी-हिंडनबर्ग विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सेबी के खिलाफ अवमानना ​​याचिका

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर तय समय सीमा के भीतर अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच पूरी नहीं करने के लिए सेबी के खिलाफ अवमानना ​की ​कार्रवाई की मांग की गई है। 

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट को अर्जी के जरिए बताया गया है कि सेबी ने तय समय सीमा के भीतर अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच नहीं की है। यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। 

लाइव लॉ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को अपने आदेश में कहा था कि सेबी 14 अगस्त तक अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट पेश करे। सुप्रीम कोर्ट में ताजा अर्जी दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने लाइव लॉ को बताया कि सेबी ने अपनी रिपोर्ट अभी तक पेश नहीं की है। 

वकील विशाल तिवारी ने अपनी अर्जी में दो खास बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सेबी से यह स्पष्टीकरण मांगे कि उसने समयसीमा का पालन क्यों नहीं किया। उन्होंने अपनी अर्जी में 17 मई के आदेश का पालन नहीं करने के लिए सेबी के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

उन्होंने अपनी याचिका में संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट की जांच विशेषज्ञ समिति को सौंपने की भी मांग की। ताकि वो उसकी जांच कर सके। ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में अडानी पर स्टॉक में हेराफेरी का आरोप लगाया था।

अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस साल जनवरी में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि अडानी समूह अपने स्टॉक मूल्य को बढ़ाने के लिए स्टॉक की हेराफेरी और अन्य गतिविधियों में शामिल था। हालाँकि अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के दावों को सख्ती से खारिज कर दिया। अडानी समूह ने इस रिपोर्ट को भारत की छवि खराब करने की कोशिश से जोड़ दिया। लेकिन अडानी की तमाम सफाई बेकार रही। इस रिपोर्ट के कारण शेयर बाजार में अडानी कंपनियों के मूल्य में भारी गिरावट दर्ज हुई। पूरी दुनिया में सबसे अमीर लोगों की सूची में लगातार लुढ़कते चले गए।

इस रिपोर्ट के आने के बाद भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जो पहले से ही अडानी समूह और पीएम मोदी के रिश्तों पर सवाल उठा रहे थे, उन्होंने संसद में भी आरोप लगाए। इसके बाद आश्चर्यजनक ढंग से राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। राहुल को अदालत जाना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल की गई। इसी तरह आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी अडानी-मोदी रिश्तों पर निशाना साधा तो वो संसद से ही निष्कासित कर दिए गए हैं। अडानी समूह और पीएम मोदी पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कम हमला नहीं बोला था, वो भी तमाम तरह के आरोपों का सामना इस समय कर रही हैं। जिसमें उनकी लोकसभा सदस्यता जाने का भी खतरा है।


हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई। इसके अलावा, सेबी को अडानी समूह की कंपनियों के स्टॉक मूल्य में अनियमितताओं का पता लगाने के लिए मामले की जांच करने के लिए भी कहा गया। सेबी को मई में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी थी। हालाँकि, इसने छह महीने के विस्तार का अनुरोध करते हुए SC में एक आवेदन दायर किया था। अर्जी के जवाब में शीर्ष अदालत ने तारीख 14 अगस्त तक बढ़ा दी थी। लेकिन सेबी 14 अगस्त को भी रिपोर्ट नहीं दे सकी। 

अडानी समूह ने पूरी भारतीय राजनीति को प्रभावित किया है। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर अडानी समूह को खुला संरक्षण देने का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों का कहना है कि आखिर क्या वजह है कि सरकार इस समूह के खिलाफ तमाम जांच से भाग रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि अडानी समूह को संरक्षण देकर सरकार ने सभी उद्योगों की तरक्की का रास्ता रोक दिया है। यह उद्योग में एकाधिकार का मामला है। जिसकी छूट नहीं दी जा सकती।

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