हिंडनबर्ग के ख़िलाफ़ अडानी ने महंगी लॉ फर्म वाकटेल को लगाया: रिपोर्ट
गौतम अडानी ने शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अपनी लड़ाई में अमेरिका की सबसे महंगी क़ानूनी फर्मों में से एक वाकटेल को काम पर रखा है। वाकटेल को क़ानूनी रूप से बचाव करने वाली फ़र्मों में सबसे आक्रामक माना जाता है। हाल में एलन मस्क ने इसी फर्म को ट्विटर सौदे के लिए काम पर रखा था। समझा जाता है कि अडानी समूह क़ानूनी लड़ाई लड़कर अपने निवेशकों को समूह के स्वास्थ्य के बारे में आश्वस्त करना चाहता है।
अडानी ग्रुप और वाकटेल के बारे में फाइनेंशियल टाइम्स ने यह ख़बर दी है। इसकी एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने न्यूयॉर्क वाकटेल, लिप्टन, रोसेन और काट्ज़ में वरिष्ठ वकीलों की सेवाएँ ली हैं। ऐसा इसलिए कि यह समूह हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से उभरे संकट को दूर करने के लिए जुट रहा है।
हिंडनबर्ग अमेरिका स्थित निवेश रिसर्च फर्म है जिसे एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में महारत हासिल है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।
रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से अडानी कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें धड़ाम गिरी हैं और इससे समूह का मूल्य क़रीब आधा ही रह गया है।
हिंडनबर्ग की यह रिपोर्ट अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई थी।
समूह का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ 31 जनवरी को बंद हो गया। हालाँकि तय समय में यह पूरी तरह सब्सक्राइब्ड हो गया था, लेकिन इस बीच समूह ने शेयर बाज़ार में उथल-पुथल के बीच अपने एफ़पीओ को वापस लेने यानी रद्द करने की घोषणा कर दी है।
एफ़पीओ रद्द किए जाने के बाद भी अडानी की कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें गिरनी जारी रहीं। विवादों में घिरे अरबपति गौतम अडानी ने गुरुवार को जोर देकर कहा है कि उनके समूह के फंडामेंटल मजबूत थे। लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा पिछले सप्ताह किए गए दावों के बाद अडानी के साम्राज्य को बड़ा नुक़सान हुआ है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को खारिज करते हुए अडानी समूह ने चेताया था कि वह उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ेगा। इन सबके बावजूद अडानी समूह को अंतरराष्ट्रीय स्तर एक के बाद एक कई झटके लगते रहे और उनकी कंपनियों के शेयर गोते लगाते रहे।