फिर से शुरू हुए किसान मोर्चा के फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट्स
कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसान एकता मोर्चा की सोशल मीडिया टीम का आरोप है कि उनके फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट को रविवार को अचानक ब्लॉक कर दिया गया। उनका कहना है कि किसान आन्दोलन को लेकर सोशल मीडिया पर उनके एक लाइव ब्रॉडकास्ट के बाद उसके फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया।
बता दें कि दिल्ली से लगने वाली हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में हज़ारों किसान डेरा डाले हुए हैं। वे संसद से पारित तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और इसके लिए आन्दोलन कर रहे हैं।
सरकार से उनकी कई दौर की बातचीत हुई है। किसान कृषि क़ानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार क़ानून रद्द करने से साफ इनकार कर रही है।
क्यों किया ब्लॉक?
'किसान एकता मोर्चा' के फ़ेसबुक पेज के संचालकों ने एनडीटीवी से कहा कि फ़ेसबुक ने उनके पेज को यह कह कर ब्लॉक कर दिया कि वह स्पैम के नियमों का उल्लंघन करता है। इस पेज के सात लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर हैं।
इस पेज का इंस्टाग्राम अकाउंट भी ब्लॉक कर दिया गया है। इंस्टग्राम दरअसल फ़ेसबुक की ही सोशल मीडिया साइट है।
किसान एकता मंच ने रविवार को अपना यूट्यूब चैनल शुरू करते हुए दावा किया था कि वह 25 दिसंबर तक सब्सक्राइबरों की तादाद एक करोड़ से ज़्यादा कर दिखा देगा। उसके बाद ही उसके फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया गया।
बता दें कि कृषि मंत्री ने दावा किया था कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन में एक लाख से ज़्यादा किसान नहीं है। इसके बाद ही 'किसान एकता मोर्चा' ने दावा किया कि वह यह साबित कर देगा कि आन्दोलन कितना लोकप्रिय है।
भूख हडताल का एलान
प्रदर्शनकारियों के अनुसार, आन्दोलन में शामिल स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव के भाषण के लाइव प्रसारण के बाद ही उसे ब्ल़ॉक किया गया। उन्होंने एलान किया कि किसान सोमवार से बेमियादी भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।यादव ने लोगों से यह अपील भी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगली बार अपना रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' करें तो वे प्लेट पीट-पीट कर अपना विरोध प्रकट करें। प्रधानमंत्री अगले रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में बोल सकते हैं। यादव ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री किसानों की बात कब करेंगे।
याद दिला दें कि प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के एलान के बाद लोगों से अपील की थी कि वे थालियाँ बजा कर कोरोना के इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति कृतज्ञता जताएं। अब यादव लोगों से कह रहे हैं वे थालियां पीट कर नरेंद्र मोदी से अपना विरोध जताएं।
विवादों में फ़ेसबुक
याद दिला दें कि फ़ेसबुक पहले भी विवादों में रह चुका है। उस पर यह आरोप लग चुका है कि उसने तेलंगाना के बीजेपी विधायक द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ़ कही गई नफ़रत फैलाने वाली बातों को पेज से नहीं हटाया, न ही उस विधायक को ब्लॉक किया, हालांकि फ़ेसबुक की आतंरिक कमेटी ने उसे ऐसा करने को कहा था।लेकिन फ़ेसबुक इंडिया की तत्कालीन पब्लिक पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने इसका यह कह कर विरोध किया था कि इससे भारत सरकार के साथ कंपनी के रिश्ते खराब होंगे।
कुछ दिन पहले 'वाल स्ट्रीट जर्नल' ने यह ख़बर दी थी कि फ़ेसबुक ने बजरंग दल के नफ़रत फैलाने वाले कंटेट को नहीं हटाया क्योंकि उसे डर था कि ऐसा करने से उसके कर्मचारियों पर ख़तरा बढ़ सकता है और भारत में उसके निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है।
सरकार की पहुँच!
दूसरी ओर, सरकार ने आईआरसीटीसी यानी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूअरिज्म कॉरपोरेशन के ज़रिए चुनिंदा सिखों को मैसेज भेजे, जिसमें यह बताया गया है कि प्रधानमंत्री और सरकार सिखों के हितों को लेकर कितनी चिंतित है और उन्होंने कितना कुछ किया है।किसान आन्दोलन को क्या सरकार कम आँक रही है? देखे, यह वीडियो।
सरकार के मंत्रियों ने किसान आन्दोलन को बदनाम करने की कोशिशें भी कीं और उन्हें सोशल मीडिया साइट पर खूब प्रचारित किया गया। सरकार के नुमाइंदों ने कहा कि किसान आन्दोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है, इसे खालिस्तानी तत्व चला रहे हैं, इसमें माओवादी घुस चुके हैं और विपक्ष किसानों को बरगला रहा है। इस तरह के कंटेट को सोशल मीडिया साइटों पर खूब प्रचारित किया गया है।