वीडियो में खुलासा : एबीवीपी वालों ने ही पीटा था आईसा सदस्यों को
जिस वीडियो में यह दावा किया गया है कि वामपंथी छात्र संगठन एआईएसए यानी आईसा के छात्रों ने एबीवीपी के छात्रों को पीटा, वह साफ़ झूठ था। इस झूठ को सरकारी मीडिया 'प्रसार भारती' ने भी ट्वीट किया और जेएनयू के वाइस चांसलर ने भी उसको रीट्वीट किया। वीडियो, ख़बरों और इससे जुड़े तथ्यों की पड़ताल करने वाली वेबसाइट 'ऑल्ट न्यूज़' ने यह दावा किया है। इसके अनुसार इस वीडियो की सच्चाई यह है कि इसमें एबीवीपी के छात्र आईसा के छात्र को पिटाई करते दिखाई दे रहे हैं।
लेकिन सवाल यह है कि वीडियो में क्या था जिसके आधार पर 'प्रसार भारती' और जेएनयू के वाइस चांसलर ने उस वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और वह भी 'ग़लत' जानकारी के साथ दसअसल, इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक लाल स्वेटर/जैकेट में एक व्यक्ति हरे कपड़े पहने व्यक्ति को पीट रहा है। यह सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ। इसमें दावा किया गया है कि वामपंथी पार्टियों से जुड़े छात्रों ने एबीवीपी सदस्यों पर हमला किया और इसी से जेएनयू में रविवार रात को हिंसा भड़की। इस वीडियो को पहले पत्रकार सुमित कुमार सिंह ने यही दावा करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने यह भी लिखा कि वामपंथी छात्र जेएनयू में एडमिशन प्रक्रिया को रद्द करना चाहते हैं।
This triggered clashes in #JNU campus. Students associated with Left parties bashed up #ABVP members when they were facilitating admission process. Students from #Left parties wanted to cancel admission process in #JNU pic.twitter.com/H5dyMRYyig
— Sumit Kumar Singh (@invincibleidea) January 6, 2020
बाद में प्रसार भारती न्यूज़ सर्विसेज़ ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया। इसमें इसने लिखा, 'वीडियो जेएनयू वाइस चांसलर प्रो. एम. जगदेश कुमार के बयान का गवाह है कि जेएनयू के शीतकालीन सत्र के लिए पंजीकरण का विरोध करने वाले लोग हिंसा के पीछे हैं जो शैक्षणिक प्रक्रिया को रोकना चाहते हैं।'
Video bears witness to #JNU VC @mamidala90's statement that those opposing registration for Winter session of #JNU are behind violence to scuttle the academic process of varsity. pic.twitter.com/JWr4n81GbW
— Prasar Bharati News Services (@PBNS_India) January 6, 2020
इसके साथ ही इसने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। सभी ट्वीट का लब्बोलुआब यही था कि इस वीडियो में हिंसा करने वाले वे लोग हैं जो फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि वामपंथी छात्र संगठन ही दो महीने से ज़्यादा समय से फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं। हालाँकि 'प्रसार भारती' ने वामपंथी छात्रों के पिटे जाने का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन इस ट्वीट का अर्थ तो यही जाता है।
'प्रसार भारती' के ट्वीट को रीट्वीट जेएनयू वाइस चांसलर प्रो. एम. जगदेश कुमार ने किया है। हालाँकि इसके साथ उन्होंने कुछ कमेंट नहीं लिखा है। आमतौर पर रीट्वीट करने का मतलब यह है कि वह व्यक्ति इससे प्रभावित है। हालाँकि उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल पर लिखा है कि वह रीट्वीट को एंडोर्स नहीं करते।
इसके बाद 'प्रसार भारती' और पत्रकार सुमित कुमार सिंह के इन ट्वीट को बीजेपी, संघ समर्थकों और कुछ पत्रकारों ने भी रीट्वीट किया। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय भी इसमें शामिल हैं। पत्रकार अभिजीत मजुमदार, स्वाति गोयल शर्मा, आदित्य राज कौल और फ़िल्म मेकर अशोक पंडित ने भी इसे रीट्वीट किया। 'एबीपी न्यूज़' के विकास भदौरिया ने भी इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा, 'सावधान- वामपंथियों ने बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड में पहले अराजकता फैलाई, फिर कत्लेआम किया, पश्चिम बंगाल में ख़ूब कत्लेआम किया, साल 2010 में जनता ने अंतिम संस्कार कर दिया। #JNU आखिरी गढ़ बचा है अभी अराजकता फैलाई है कल कत्लेआम की कोशिश होगी। अभी नहीं जागे तो देर हो जाएगी।'
सावधान- वामपंथियों ने बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड में पहले अराजकता फैलाई, फिर कत्लेआम किया, पश्चिम बंगाल में खूब कत्लेआम किया, साल 2010 में जनता ने अंतिम संस्कार कर दिया #JNU आखिरी गढ़ बचा है अभी अराजकता फैलाई है कल कत्लेआम की कोशिश होगी। अभी नहीं जागे तो देर हो जाएगी।#JNUattack pic.twitter.com/ZJRpgpbQfg
— Vikas Bhadauria (ABP News) (@vikasbhaABP) January 6, 2020
हमलावर एबीवीपी का सदस्य
इस वीडियो, तसवीरों और दूसरे तथ्यों की पड़ताल कर 'ऑल्ट न्यूज़' ने लिखा है कि वीडियो में लाल जैकेट में दिखाई दे रहा हमलावर एबीवीपी का सदस्य शरवेंदर है। वह स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ यानी एसआईएस में वेस्ट आसियान स्टडीज़ के पीएचडी के छात्र हैं। उनकी पहचान की पुष्टि एसआईएस में पढ़ने वाले चार छात्रों ने भी 'ऑल्ट न्यूज़' से की। वेबसाइट ने उनकी पुरानी तसवीरों को वीडियो में दिखाई दे रहे चेहरे के साथ भी मिलान किया है।
एक तसवीर में शरवेंदर को जेएनयू के वाइस चांसलर एम. जगदेश कुमार और एसआईएस के डीन अश्विनी महापात्रा के साथ भी देखा जा सकता है।
जिसकी पिटाई हुई वह कौन
तो सवाल है कि जिसपर हमला किया गया वह कौन हैं दरअसल वीडियो में जो पिटते हुए दीख रहे हैं वह आईसा के सदस्य हैं। उनका नाम विवेक पाण्डेय है। इस बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस वीडियो को पोस्ट भी किया है। इसमें लिखा गया है, 'जेएनयू के स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ और स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज के आम छात्रों पर एबीवीपी का उपद्रव। एसआईएस और स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज के सामने ही एबीवीपी के गुंडों द्वारा जेएनयू के स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के छात्र विवेक पाण्डेय (डीयू के पूर्व छात्र) और दूसरों को बुरी तरह पीटा गया। प्यारी एबीवीपी, आपकी हर कोशिश के बावजूद हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। हम आपको फिर से याद दिला दें- किफायती शिक्षा के बिना कोई रजिस्ट्रेशन नहीं।'
'ऑल्ट न्यूज़' ने कई छात्रों से इसकी पुष्टि की कि विवेक पाण्डेय एमए के पहले साल के छात्र हैं। विवेक ने इस बात को खारिज कर दिया कि वह एबीवीपी के सदस्य हैं। उन्होंने कहा, 'वीडियो में जो छात्र लाल स्वेटर पहन रखा है, वह शरवेंदर है। वह वेस्ट एशिया की पढ़ाई कर रहा है...। आप देख सकते हैं कि मैंने हरी शर्ट पहन रखी है। लेकिन वे लोग वीडियो को उल्टी कहानी के साथ वीडियो को सर्कुलेट कर रहे हैं।' उन्होंने इसकी पुष्टि की कि वह आईसा के सदस्य हैं।
इस झड़प में जिस दूसरे छात्र पर हमला किया गया वह अभिषेक पाण्डेय हैं। वह जेएनयू के पूर्व छात्र हैं। वीडियो में अभिषेक ज़मीन पर गिरते हुए देखे जा सकते हैं जिन्हें बाद में कुछ छात्र उठा रहे हैं। वेबसाइट से बातचीत में अभिषेक ने दावा किया कि जब उन्हें पता चला कि जेएनयू कैंपस में हिंसा भड़की है तो वह छात्रों से मिलने गए थे। उन्होंने कहा, 'उन लोगों ने चाइनीज़ सेंटर से एक जूनियर का पीछा किया। छात्र नीचे गिर गया और हम उसे बचाने के लिए गए। लेकिन डीन सहित JNUTF के कुछ प्रोफ़ेसरों ने मुझे एक 'बाहरी व्यक्ति' के रूप में टारगेट किया। मैं केवल छात्र को बचाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझ पर हमला हो गया था और मेरे एक दोस्त ने मुझे बाहर निकालने की कोशिश की।' वेबसाइट ने कई छात्रों के हवाले से अभिषेक की पहचान की भी पुष्टि की।
ऐसे में सवाल यह है कि जब सच्चाई यह है तो ग़लत सूचना को क्यों फैलाया जा रहा है ग़लत सूचना को फैलाने वाले लोग कौन हैं सरकार में बड़े पदों पर बैठे लोग इस सूचना को क्यों सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं क्या इसका अंदाज़ा लगाना इतना मुश्किल है