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मुंबई: आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जाने का जोरदार विरोध

मुंबई: आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जाने का जोरदार विरोध

मुंबई में आरे काॅलाेनी में मेट्राे कार शेड के लिए पेड़ काटे जाने का जबरदस्त विरोध हो रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं। 

मुंबई में आरे काॅलाेनी में मेट्राे कार शेड के लिए पेड़ काटे जाने का जबरदस्त विरोध हो रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं। यह मामला मुंबई में बन रहे मेट्रो -3 प्रकल्प में कार शेड को बनाये जाने का है। सरकार चाहती है कि यह कार शेड आरे कॉलोनी क्षेत्र में बसी खाली ज़मीन पर बने। लेकिन पर्यावरण से जुडी संस्थाएं, बहुत से ग़ैर सरकारी संगठनों, फ़िल्मी हस्तियों ने इसका विरोध किया है। शुक्रवार को बाॅम्बे हाईकाेर्ट ने पेड़ों को काटे जाने से रोकने की याचिका को रद्द कर दिया था। इसके बाद शुक्रवार देर रात से 2700 पेड़ों को काटने का काम शुरू हो गया।

विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट साइट पर धारा 144 लागू कर दी गई है। पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहीं शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी को हिरासत में ले लिया गया है। अब तक 100 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। आरे जंगल के बाहर कई इलाक़ों में पुलिस ने बैरिकेड लगा दिये हैं और लोगों को प्रदर्शन नहीं करने दिया जा रहा है। 

शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने पेड़ काटे जाने की कार्रवाई को ग़लत बताया है। 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मामले पर कहा है कि विकास कार्यों के लिए कई बार मजबूरी में पेड़ काटने होते हैं लेकिन इसका भी ध्यान रखा जाता है बदले में नए पौधे लगाए जाएं ताकि पर्यावरण को नुक़सान न हो। जावड़ेकर ने कहा, ‘बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यह जंगल नहीं है। जब दिल्ली में पहला मेट्रो स्टेशन बनाया जाना था तो तब भी 20-25 पेड़ काटे जाने थे। लोगों ने तब भी विरोध किया था, लेकिन हर पेड़ के बदले पांच पौधे लगाए गए थे।'

पर्यावरण प्रेमियों के संगठन की तरफ़ से दायर याचिका में कहा गया है कि 'हमें मेट्रो नहीं चाहिए, यह हमारा पक्ष नहीं है। जनहित के लिए मेट्रो महत्वपूर्ण है लेकिन मेट्रो की तरह ही वृक्ष भी लोगों की ज़रूरत हैं। और इस बात पर बिना कोई विचार किये मुंबई महानगरपालिका (मनपा) के वृक्ष प्राधिकरण के विशेषज्ञों ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पूर्व ही 2,646 वृक्षों को हटाने की मंजूरी दे डाली।’  

सोमवार को इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि देश के अच्छे अर्थशास्त्रियों की फ़ौज़ को साथ रखकर भी  सरकार देश की ‘इकॉनमी’ को नहीं संवार पा रही है तो ‘इकोलॉजी’ को कैसे संभालेगी। 

आरे कॉलोनी की इस हरितपट्टी को मुंबई में फुप्फुस (lungs) कहा जाता है। इसे बचाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास चल रहे थे। इस मुद्दे पर शिवसेना ने भी विरोध जताया है लेकिन महानगरपालिका की सत्ता उसके हाथ में है, ऐसे में विरोध करने के बजाय शिवसेना पेड़ काटे जाने के प्रस्ताव पर ही रोक लगा सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। 

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