मुंबई: आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जाने का जोरदार विरोध
मुंबई में आरे काॅलाेनी में मेट्राे कार शेड के लिए पेड़ काटे जाने का जबरदस्त विरोध हो रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं। यह मामला मुंबई में बन रहे मेट्रो -3 प्रकल्प में कार शेड को बनाये जाने का है। सरकार चाहती है कि यह कार शेड आरे कॉलोनी क्षेत्र में बसी खाली ज़मीन पर बने। लेकिन पर्यावरण से जुडी संस्थाएं, बहुत से ग़ैर सरकारी संगठनों, फ़िल्मी हस्तियों ने इसका विरोध किया है। शुक्रवार को बाॅम्बे हाईकाेर्ट ने पेड़ों को काटे जाने से रोकने की याचिका को रद्द कर दिया था। इसके बाद शुक्रवार देर रात से 2700 पेड़ों को काटने का काम शुरू हो गया।
विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट साइट पर धारा 144 लागू कर दी गई है। पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहीं शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी को हिरासत में ले लिया गया है। अब तक 100 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। आरे जंगल के बाहर कई इलाक़ों में पुलिस ने बैरिकेड लगा दिये हैं और लोगों को प्रदर्शन नहीं करने दिया जा रहा है।
#WATCH: Shiv Sena leader Priyanka Chaturvedi was detained today following protests in #AareyForest. pic.twitter.com/o83M10tZre
— ANI (@ANI) October 5, 2019
शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने पेड़ काटे जाने की कार्रवाई को ग़लत बताया है।
A project that should be executed with pride, the Metro 3, @MumbaiMetro3 has to do it in the cover of the night, with shame, slyness and heavy cop cover.
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) October 4, 2019
The project supposed to get Mumbai clean air, is hacking down a forest with a leopard, rusty spotted cat and more
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मामले पर कहा है कि विकास कार्यों के लिए कई बार मजबूरी में पेड़ काटने होते हैं लेकिन इसका भी ध्यान रखा जाता है बदले में नए पौधे लगाए जाएं ताकि पर्यावरण को नुक़सान न हो। जावड़ेकर ने कहा, ‘बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यह जंगल नहीं है। जब दिल्ली में पहला मेट्रो स्टेशन बनाया जाना था तो तब भी 20-25 पेड़ काटे जाने थे। लोगों ने तब भी विरोध किया था, लेकिन हर पेड़ के बदले पांच पौधे लगाए गए थे।'
Union Minister of Environment Prakash Javadekar on #AareyForest: In Delhi, 271 metro stations have been made and tree cover has also increased. This is development and preservation of nature. https://t.co/iiQn40PdZk
— ANI (@ANI) October 5, 2019
पर्यावरण प्रेमियों के संगठन की तरफ़ से दायर याचिका में कहा गया है कि 'हमें मेट्रो नहीं चाहिए, यह हमारा पक्ष नहीं है। जनहित के लिए मेट्रो महत्वपूर्ण है लेकिन मेट्रो की तरह ही वृक्ष भी लोगों की ज़रूरत हैं। और इस बात पर बिना कोई विचार किये मुंबई महानगरपालिका (मनपा) के वृक्ष प्राधिकरण के विशेषज्ञों ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पूर्व ही 2,646 वृक्षों को हटाने की मंजूरी दे डाली।’
सोमवार को इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि देश के अच्छे अर्थशास्त्रियों की फ़ौज़ को साथ रखकर भी सरकार देश की ‘इकॉनमी’ को नहीं संवार पा रही है तो ‘इकोलॉजी’ को कैसे संभालेगी।
आरे कॉलोनी की इस हरितपट्टी को मुंबई में फुप्फुस (lungs) कहा जाता है। इसे बचाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास चल रहे थे। इस मुद्दे पर शिवसेना ने भी विरोध जताया है लेकिन महानगरपालिका की सत्ता उसके हाथ में है, ऐसे में विरोध करने के बजाय शिवसेना पेड़ काटे जाने के प्रस्ताव पर ही रोक लगा सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।