जेल से आप सांसद संजय सिंह का पत्र- मैं मोदी सरकार के खिलाफ लड़ता रहूंगा
जय हिन्द साथियों, जेल की सलाखों के पीछे कई दिन बीत चुके है। हर दिन के साथ निरंकुश सत्ता से लड़ने की इच्छाशक्ति और मजबूत हो रही है। इन दिनो का सदुपयोग मैने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की "सत्य के प्रयोग", डा. राममनोहर लोहिया की "जाति प्रथा" और नेल्सन मंडेला की जीवनी पढ़ने से की। इन महापुरुषों के संघर्ष, राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को पढ़कर लगा कि हर दौर में जुर्म और तानाशाही के खिलाफ लड़ने वाले लोगों को हुकूमत ने अपने दमन का शिकार बनाया है लेकिन यह भी सच है कि "दमन जितना उग्र होता है विरोध और जन आक्रोश भी उतना ही तीव्र होता है।"
महान पुरुष नेल्सन मंडेला ने 67 साल तक अपने देश को आजाद करने की लड़ाई लड़ी, स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें 27 साल तक दक्षिण अफ्रीका की जेल में रखा गया। 21 साल के बाद वह अपनी पत्नी से मुलाकात कर सके। तमाम यातनाओं और जुर्म सहने के बाद पूरा देश उनके साथ खड़ा हुआ, दक्षिण अफ्रीका आजाद हुआ। उनको नेशनल शांति पुरस्कार, भारत रत्न सहित 695 अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले। बापू ने पहली जेल यात्रा दक्षिण अफ्रीका में हिंदुस्तानियों के अधिकारों के लिए की और भारत माता को आजाद करने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ पूरे देश को लामबंद किया।
गांधी जी ने भी देश को आजाद करने के लिए अनगिनत जेल यात्राएं की और यातनाएं झेली। पूरी दुनिया गांधी जी के अहिंसा के मंत्र का लोहा मानती है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे महापुरुषों ने भी जातिवाद का जहर मिटाने, गैर-बराबरी को खत्म करने के लिए लंबा संघर्ष किया। उपरोक्त उदाहरण देने का मकसद साफ है देश में बड़ा परिवर्तन लाना है, देश में चल रही तानाशाही के खिलाफ आवाज उठानी है तो हर प्रकार का जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना होगा। जेल, मुकदमा और लाठी तानाशाही सत्ता का हथियार है इसके आगे झुक गए तो तानाशाही बढ़ेगी अगर डट कर मुकाबला किया तो जनता आपके साथ खड़ी होगी और तानाशाही का अंत करेगी।
बात करते हैं आम आदमी पार्टी की, आंदोलन की कोख से जन्मी इस पार्टी ने भारतीय राजनीति में एक उम्मीद पैदा की, एक भरोसा पैदा किया! देश को नई दिशा देने का एक अनोखा प्रयास किया। अरविंद केजरीवाल जी की अगुवाई और उनके कुशल नेतृत्व में मात्र 10 वर्षों में आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन गई। तीन बार दिल्ली में AAP की सरकार बनी, पंजाब में भी प्रचंड बहुमत से सरकार बनी, गुजरात के गढ़ को भेदने में भी केजरीवाल जी को सफलता मिली। आजादी के बाद देशभर में तमाम सरकारे बनी लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जैसा सराहनीय कार्य केजरीवाल सरकार ने किया वह देश और दुनिया में एक उदाहरण बन गया। पंजाब की भगवंत मान सरकार भी एक-एक कर अपना वादा पूरा करने में जुट गई।
अरविंद केजरीवाल का काम मोदी सरकार की आंखों की किरकिरी बन गया। बीजेपी को लगा अगर देश की जनता शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी पर वोट देने लगी तो हमारा क्या होगा? आम आदमी पार्टी ना तो जातिवाद फैलाती, न ही धर्म के नाम पर समाज को बांटने का काम करती है। यह तो काम की राजनीति कर रही है। इनका मुकाबला कैसे करें? मोदी और बीजेपी के लिए यह बड़ी कठिनाई बन गई। इसी कारण इन्होंने दमन का रास्ता अपनाया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दफ्तर पर सी.बी.आई का छापा मारा गया, शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री समेत 49 से अधिक विधायकों पर फर्जी मुकदमे लिखे गए, कमेटी बनाकर 400 फाइलों की जांच कराई गई। स्कूल के कमरे निर्माण करने के नाम पर घोटाले का झूठा आरोप लगाया गया। ..... डेढ़ साल से तथाकथित शराब घोटाले की जांच ED, CBI से कराई जा रही है। इतना ही नहीं नफरत की हद यह है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की खंडपीठ ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिया तो 8 दिन में अध्यादेश लाकर उस फैसले को बदल दिया गया। मोदी सरकार ने हर वह प्रयास कर लिया जिसमें आम आदमी पार्टी खत्म हो जाए। उसके नेता टूट जाए, विधायक मंत्री उनसे डरने लगे और दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली - पंजाब में भी तोड़फोड़ हो जाए, लेकिन इस पार्टी ने मोदी के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
मोदी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल और पार्टी के तमाम नेता चट्टान की तरह खड़े हैं। पहले भी आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं पर लगे सारे आरोप झूठे साबित हुए हैं आगे भी मनगढ़ंत लगाए गए आरोप झूठे ही साबित होंगे। एक बात जो पूरा देश देख रहा है कि मोदी जी देश के लिए काम करने के बजाय दुश्मनी निभाने में जुट गए हैं। बड़े से बड़ा भ्रष्टाचारी मोदी के शरण में जाते ही 'राजा हरिश्चंद्र' हो जाता है। पूरब से लेकर पश्चिम तक उत्तर से लेकर दक्षिण तक देश के सारे सारे बड़े भ्रष्टाचारी भाजपा के साथ हैं। मोदी सरकार की कार्यप्रणाली बिल्कुल साफ है ई.डी - सी.बी.आई से जांच कराओ, डराओ धमकाओं, दूसरे पार्टियों को तोड़ो, जब बेईमान बीजेपी में शामिल हो जाए तो जांच बंद कर दो।
असम के वाटर घोटाले में क्या हुआ? बंगाल के नारदा-शारदा स्कैम में क्या हुआ? मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में क्या हुआ? कर्नाटक के माइनिंग घोटाले में क्या हुआ? महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले में क्या हुआ? जिन नेताओं पर आरोप प्रधानमंत्री जी ने स्वयं हजारों लाखों करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, उन्हीं को माला फूल पहना कर बीजेपी में शामिल कर लिया। प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के इस भ्रष्टाचार से आज पूरा देश वाकिफ है।
मेरी गिरफ्तारी भी मुझे खामोश करने की एक कोशिश है। पूरा देश जानता है, मैंने हमेशा मोदी सरकार के अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाई है। न डरा, न झुका । किसानों के खिलाफ बनाए काले क़ानून पर संसद में आवाज उठाई तो मुझे सस्पेंड कर दिया, गुजरात में जहरीली शराब से हुई मौत का मुद्दा उठाया तो मुझे सस्पेंड कर दिया गया, मणिपुर में कारगिल योद्धा की पत्नी के साथ हुई दरिंदगी का मुद्दा उठाया तो मुझे कई महीनो से सस्पेंड किया हुआ है। क्या मणिपुर की हिंसा पर आवाज उठाना जुर्म है ?
देश के बैंकों में आम आदमी की मेहनत की पूंजी जमा है। क्या आपको पता है मोदी सरकार ने चंद पूंजीपतियों का 13 लाख करोड रुपए माफ कर दिया। आपको 13 हजार का भी कर्ज न देने पर हवालात में बंद कर दिया जाता है। जरा कल्पना कीजिए जो मोदी सरकार आपके शिक्षा और स्वास्थ्य पर मात्र 2% बजट खर्च करती है वह अपने दोस्तों का 13 लाख करोड़ माफ कर देती है। यह लोग आपको 5 किलो राशन देकर खुश रहने को कहते हैं। फिर चाहे आप महंगाई की मार झेले, बेरोजगारी के कारण दर-दर की ठोकरे खाए या फिर फसल का दाम न मिलने पर आत्महत्या करें। मोदी सरकार को देश की नहीं दोस्तों की चिंता है।
मोदी जी अगर यह लाखों-करोड़ शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और किसानी जैसी देश की जरूरत पर खर्च करें तो भारत दुनिया का नं. 1 देश बन सकता है। आपको तो बीजेपी कहती है 5 किलो राशन लो और चुप रहो । मैंने यह तमाम तीखे सवाल सत्ता की आंखों में आंख डालकर निर्भीकता से पूछे लेकिन जो बात मोदी जी को सबसे ज्यादा बुरी लगी, वह था अडानी पर सवाल उठाना। आपको याद होगा मैंनें अडानी पर भ्रष्टाचार के आरोपों की सीरीज चलाई थी। इसके तमाम सच और प्रमाण मैंनें सामने रखे थे। मैंनें मोदी सरकार से इन आरोपों की जांच करने की मांग की। ED CBI को चिट्ठी लिखी, संसद में मामला उठाया।
इस बीच सरकार मुझे जेल में डालने की तैयारी तो कर रही थी लेकिन उनको सफलता देर से मिली। आपको याद होगा ED ने मेरा नाम पहले भी चार्जशीट में डाला था। उनकी कोशिश उस वक्त भी झूठा फसाने की थी लेकिन जब मैनें ED को लीगल नोटिस भेजा तो ED ने मुझसे माफी मांगी। शायद यह ED के इतिहास में पहली घटना है कि ई.डी ने लिखित में गलती मानी और कहा " चार्जशीट में लिखना था राहुल सिंह लिख दिया संजय सिंह "। अब यह तर्क भी अपने आप में कितना हास्यास्पद है आप समझ सकते हैं।
ED नें 8 सालों में 3 हजार छापे मारी की और मात्र 0.5 % लोगों पर आरोप सिद्ध हुआ। दिनेश अरोड़ा जो खुद ED और CBI के FIR में आरोपी है। उसको पहले CBI ने गिरफ्तार किया फिर सरकारी गवाह बनाया। CBI ने एक नहीं कई बयान दिनेश अरोड़ा के दर्ज किये। दिनेश अरोड़ा ने मेरे ऊपर कोई आरोप नहीं लगाया। ED ने भी दिनेश अरोड़ा से पूछताछ की, ED में भी दिनेश अरोड़ा के कई बयान दर्ज हुए। उसने मेरे खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। अचानक एक दिन सीबीआई के सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा को ED के द्वारा गिरफ्तार किया जाता है, उसको जेल में रखा जाता और दिनेश अरोड़ा से मेरे खिलाफ झूठा, बेबुनियाद, निराधार आरोपों का बयान लेती है। उसके बाद दिनेश अरोड़ा को आसानी से जमानत मिल जाती है। जो दिनेश अरोड़ा 13 बार ईडी, सीबीआई में लगभग 1 साल तक बार-बार बयान देता है और मेरे ऊपर कोई आरोप नहीं लगाता, वह दिनेश अरोड़ा अचानक ED के सामने बेबुनियाद आरोप कैसे लगाता है? उसको जेल में क्यों डाला गया और अचानक जमानत कैसे मिल गई? उसकी जमानत का विरोध ईडी ने क्यों नहीं किया? यह बात हर कोई आसानी से समझ सकता है।
ED अचानक 4 अक्टूबर को मेरे घर आती है, 14 घंटे तक छापेमारी करती है, घर का कोना-कोना छान मरती है, उनको न तो कोई साक्ष्य मिलता है न संपत्ति का कागज, न कोई सोना। उनको मेरे घर पर मेरे बूढ़े मां-बाप मिलते हैं, पिताजी टीचर थे उनको पेंशन मिलती है, मां टीचर थी उनको भी पेंशन मिलती है। उनकी बैंक डिटेल्स भी ED नोट करती है और मुझे ED के अधिकारी कहते हैं पंचनामा तैयार करके हम चले जाएंगे अचानक ऊपर से कोई फोन आता है मुझसे कहा जाता है आपको गिरफ्तार किया जाता है। मैंने कहा, "अभी तो आप जा रहे थे यह ऊपर से किसका फोन आया" ED अधिकारी कुछ नहीं बोलते। हैरान करनें वाली बात ये है कि इन डेढ़ सालों की जांच में ED ने न तो मुझे कभी समन दिया न नोटिस दिया न ही किसी प्रक्रिया का पालन किया अचानक गिरफ्तार कर लिया गया। पूरी जांच में मैं अकेला व्यक्ति हूं जिसको बिना समन या नोटिस का गिरफ्तार कर लिया गया।
अगर मैं इतना खतरनाक व्यक्ति हूं तो मुझे पहले कभी नोटिस या समन क्यों नहीं दिया गया। अगर मैं इतना बड़ा अपराधी हूं तो मुझे पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। मतलब साफ है भारी दबाव था। Ed ने आठ दिनों तक अपनी कस्टडी में रखा मात्र 3 घंटे कुल आठ दिनों में पूछताछ की।
मैं सच्चाई के रास्ते पर हूं। पूरा जीवन देश और समाज की सेवा का संकल्प लिया है। रक्तदान श्रमदान से लेकर राष्ट्रीय आपदाओं तक में अपनी भूमिका निभाई। मैं हर लड़ाई लड़ने को तैयार हूं, आप भी अपनी आवाज बुलंद कीजिए, जय हिंद!
( संजय सिंह की चिठ्ठी का संपादित अंश)