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केजरीवाल बोले- गुजरात की जनता चुनेगी आप का सीएम चेहरा

केजरीवाल बोले- गुजरात की जनता चुनेगी आप का सीएम चेहरा

गुजरात में चुनावी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होती रही है। लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में आने के बाद मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है। क्या वाकई ऐसा है?

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि गुजरात की जनता ही इस बात को तय करेगी कि उसकी ओर से विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा कौन होगा। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका एलान किया।

बताना होगा कि पंजाब के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने इसी तरह का अभियान चलाया था और लोगों से पूछा था कि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का सीएम उम्मीदवार कौन होना चाहिए। बड़ी संख्या में लोगों ने भगवंत मान के नाम पर मुहर लगाई थी और आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को ही चेहरा बनाया था। पंजाब में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली थी। 

केजरीवाल ने कहा है कि गुजरात के लोग मोबाइल नंबर पर 6357 000 360 फोन करके, एसएमएस करके, वॉट्स एप संदेश के जरिए या वॉइस मैसेज या फिर aapnocm@gmail.com पर ईमेल करके अपनी राय दे सकते हैं।

केजरीवाल ने कहा कि गुजरात की जनता 3 नवंबर को शाम 5 बजे तक अपने सुझाव भेज सकती है और 4 नवंबर को इसके नतीजों का एलान किया जाएगा। 

इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात की जनता किसी भी नेता का नाम बता सकती है। उन्होंने कहा कि जनता या तो आम आदमी पार्टी के किसी नेता का नाम बता दे या किसी बड़े समाजसेवी का नाम बताए तो हम उसे आम आदमी पार्टी में लाकर सीएम का उम्मीदवार बना देंगे। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी में कोई भी नेता मुख्यमंत्री के पद के लिए नहीं आया है। 

केजरीवाल ने कहा कि जनतंत्र में जनता तय करती है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा जबकि बीजेपी के लोग दिल्ली में बैठकर मुख्यमंत्री बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। केजरीवाल ने सवाल पूछा कि बीजेपी ने ऐसा क्यों किया क्या विजय रुपाणी भ्रष्ट थे?

गुजरात में इशुदान गढ़वी और गोपाल इटालिया आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता हैं। गोपाल इटालिया गुजरात में पार्टी के संयोजक हैं जबकि इशुदान गढ़वी गुजराती न्यूज़ चैनल VTV के संपादक रहे हैं और पिछले साल वह आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। 

बताना होगा कि दिल्ली और पंजाब में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने के बाद केजरीवाल की नजर गुजरात पर है। मार्च में पंजाब में सरकार बनाने के बाद से ही केजरीवाल गुजरात के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं।

केजरीवाल ने आईबी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने जा रही है। बीते दिनों दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के वीडियो को लेकर बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूरे गुजरात में पोस्टर लगा दिए थे लेकिन केजरीवाल ने डैमेज कंट्रोल करते हुए भारतीय नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर छापे जाने की मांग बीजेपी और केंद्र सरकार से की है। 

आम आदमी पार्टी लगातार बीजेपी के नेताओं से पूछ रही है कि वह इस मांग के समर्थन में है या नहीं। 

त्रिकोणीय मुक़ाबला?

गुजरात में चुनावी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होती रही है। 182 सीटों वाली गुजरात की विधानसभा में मुश्किल से पांच-छह सीटों को छोड़कर बाकी सीटें इन्हीं दो राजनीतिक दलों की झोली में जाती हैं। लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में आने के बाद मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है। 

क्या बीजेपी को टक्कर दे रही है आप?

गुजरात में बीजेपी साल 1997 से लगातार सत्ता में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जैसे पार्टी के बड़े और ताकतवर नेता इसी राज्य से आते हैं। 

पिछले दिनों गुजरात में हुई चुनावी सभाओं में जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्बन नक्सल कहकर अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमला बोला है, उससे ऐसा जरूर लगता है कि बीजेपी को आम आदमी पार्टी के द्वारा उसके वोटों में सेंध लगने का डर है। 

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सूरत नगर निगम की जीत

आम आदमी पार्टी को पिछले साल गुजरात में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में शहरी इलाकों विशेषकर सूरत में अच्छी जीत मिली थी। सूरत नगर निगम की 120 में से 27 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी। गुजरात चुनाव को लेकर अगर सोशल मीडिया और टीवी पर नजर दौड़ाएं, तो ऐसा लगता है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चुनावी लड़ाई है। लेकिन राज्य में कांग्रेस भी एक बड़ी सियासी ताकत है। हार के बावजूद कांग्रेस को हर विधानसभा चुनाव में 40 फीसद के आसपास वोट मिलते रहे हैं।

  

2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा-खासा जोर लगाना पड़ा था लेकिन तब भी बीजेपी की सीटें कम हुई थी। 2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर बीजेपी 2012 में मिली 115 सीटों के मुक़ाबले 2017 में 99 सीटों पर आ गयी थी। 

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आम आदमी पार्टी ने साल 2017 में भी गुजरात का विधानसभा चुनाव लड़ा था हालांकि तब पार्टी ने सिर्फ 30 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे और अधिकतर सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। 

यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि आम आदमी पार्टी ने साल 2012 में अपनी स्थापना के बाद 10 सालों के भीतर ही दिल्ली और पंजाब में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बना ली है। दिल्ली में वह लगातार तीसरी बार सत्ता में आ चुकी है।

हालांकि आम आदमी पार्टी ने साल 2022 के फरवरी-मार्च में हुए पांच राज्यों के चुनाव में पंजाब के साथ ही गोवा और उत्तराखंड में भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा था। लेकिन गोवा में उसे सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि उत्तराखंड में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी अधिकतर सीटों पर उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। 

क्या वाकई आम आदमी पार्टी गुजरात में इस बार कुछ कमाल कर सकती है, इसका पता चुनाव नतीजे आने के बाद ही चलेगा। 

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