केजरीवाल कैसे पूरे करेंगे चुनावी वादे?
आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव तो जीत गई पर इसके वादों का क्या होगा पार्टी की धमाकेदार जीत पर कहा जा रहा है कि पार्टी के विकास मॉडल और मुफ़्त वाली योजनाओं पर लोगों ने वोट दिया है। यानी लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं और आम आदमी पार्टी यानी आप ने चुनाव से पहले ऐसी कई घोषणाएँ और वादे कर लोगों की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। लेकिन ऐसे में जब दिल्ली ही नहीं, पूरे देश की अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है, पार्टी इन वादों को कैसे पूरा करेगी पैसे कहाँ से जुटाएगी क्या इन वादों को पूरा करने के लिए दिल्ली पर क़र्ज़ लादेगी कहीं पार्टी इनसे मुकर तो नहीं जाएगी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले से ही यह कहते रहे हैं कि आप जो दावा करती है उसे पूरा करती है। वह चुनाव प्रचार के दौरान भी यही दावे करते रहे कि स्कूलों और हॉस्पिटलों की स्थिति सुधारने से लेकर सीसीटीवी लगाने और फ़्री वाई-फ़ाई की सुविधा देने के वादे पर आप सरकार खरी उतरी है। हालाँकि बीजेपी इन दावों को खारिज करती रही और कहा कि 2015 में चुनाव से पहले किए गए चुनावी वादों को पूरे करने में केजरीवाल सरकार विफल साबित हुई है। बीजेपी तो केजरीवाल सरकार की मुफ़्त वाली योजनाओं को लेकर हमेशा निशाने पर लेती रही। लेकिन केजरीवाल ने अपने वादों को पूरा करने को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा और वह जीत भी गए। जीत भी धमाकेदार है। यह जीत उस माहौल में हुई है जब बीजेपी ने पूरी ताक़त दिल्ली में आप को रोकने में लगा दी। लेकिन इसके बावजूद दिल्ली के लोगों ने केजरीवाल की योजनाओं पर मुहर लगा दी।
अब केजरीवाल और आप सरकार के सामने चुनौती बढ़ गई है। यह इसलिए कि 2015 के चुनाव में जिन योजनाओं की घोषणा की थी यानी जो योजनाएँ शुरू कर दी गई हैं उन्हें तो आगे बढ़ाना ही है, अब 2020 के चुनाव में भी आप ने कई घोषणाएँ कर दी हैं।
अभी क्या दे रही रही है आप सरकार
- दिल्ली की बसों में महिलाओं के लिए मुफ़्त यात्रा
- 200 यूनिट से कम बिजली तक खपत मुफ़्त
- 400 यूनिट से कम बिजली खपत पर सब्सिडी
- पिछले 5 साल में बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं
- प्रति महीने 20 हज़ार लीटर से कम पानी का इस्तेमाल मुफ़्त
- मनमाने तरीक़े से बढ़ाई गई फ़ीस को निजी स्कूलों को लौटाना पड़ा
- निजी स्कूल अब 25 फ़ीसदी सीट वंचित तबक़े को देते हैं
- स्कूल न छोड़ना पड़े इसलिए सरकार 10 लाख क़र्ज़ भी देती है
- ग़रीब परिवार के बच्चों की फ़ीस पूरी तरह माफ़ भी करती है
- 200 मोहल्ला क्लिनिकों में मुफ़्त इलाज, दवाइयाँ और जाँच देती है
- कुछ तय हॉस्पिटलों में मुफ़्त सर्जरी की सुविधा भी है
- सड़क हादसों में घायल और आग में जले लोगों का मुफ़्त इलाज
- कर्मचारियों का न्यूनतम मेहनताना 9500 से बढ़ाकर 14 हज़ार किया
2020 के चुनाव में क्या किए हैं वादे
चुनाव से पहले जारी किए गए घोषणा पत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल के गारंटी कार्ड का ज़िक्र किया। गारंटी कार्ड में दस बातों का वादा किया गया है। इसके तहत आप सरकार गारंटी लेगी कि हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सके, हर व्यक्ति के पीने के शुद्ध पानी की गारंटी, हर व्यक्ति के इलाज की गारंटी, 24 घंटे घरों में बिजली आने और 200 यूनिट तक के बिजली के बिल शून्य रहें और दिल्ली की कॉलोनियों में बिछे तारों के जंजाल से लोगों को मुक्ति दिलाने की गांरटी आम आदमी पार्टी की सरकार लेगी।
‘आप’ सरकार की ओर से 2015 में दिल्ली जनलोकपाल बिल पारित किया था और यह पिछले 4 सालों से केंद्र सरकार के पास लंबित है, इसे पारित करने के लिए संघर्ष करने का वादा किया गया है।
इस बार की क्या हैं बड़ी घोषणाएँ
- हर घर को सीधे राशन पहुँचाने की योजना
- 10 लाख बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराएगी सरकार
- हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की तर्ज पर देशभक्ति पाठ्यक्रम
- स्कूलिंग पूरी कर चुके युवाओं के लिये इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स
- ड्यूटी पर सीवर कर्मचारी की मौत पर एक करोड़ मुआवजा
- बाज़ारों, औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए पैसे की व्यवस्था
- 24 घंटे बाज़ार खोलने के लिए प्रायोगिक परियोजना
- दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का प्रयास
- रेहड़ी-पटरी वालों के उत्पीड़न को रोकने पर काम करने का वादा
- दुनिया में मेट्रो का सबसे बड़ा नेटवर्क बनाने का प्रयास
- केंद्र के साथ मिलकर यमुना रिवरसाइड का विकास
- दिल्ली की सड़कों को शानदार, सुरक्षित बनाने की योजना
तो सवाल है कि आम आदमी पार्टी इन योजनाओं को लागू करने में ख़र्च कैसे वहन करगी, क्योंकि सरकार पहले से ही शिक्षा और स्वास्थ्य पर काफ़ी ज़्यादा ख़र्च कर रही है।
इन दोनों मामलों में दिल्ली सरकार देश भर के औसत से कहीं ज़्यादा ख़र्च करती है। दिल्ली सरकार हाल के बजट का क़रीब 25 फ़ीसदी शिक्षा पर तो 12.5 फ़ीसदी स्वास्थ्य पर। आप के सत्ता में आने के बाद से यह लगातार बढ़ता ही रहा है। इसे ग्राफ़िक्स से समझें।
सवाल यह है कि इससे दिल्ली की आर्थिक स्थिति पर कैसा असर पड़ा है आप सरकार दावा करती रही है कि दिल्ली के राजस्व पर ज़्यादा असर डाले बिना दिल्ली के लोगों के लिए ये सुविधाएँ दी जा रही हैं। यह कुछ हद तक सही भी है। क्योंकि दिल्ली राजस्व के मामले में बेहतर स्थिति में है। इस मामले में दिल्ली सरकार का रिकॉर्ड देश के औसत से बढ़िया है। रेवेन्यू बैलेंस प्लस में है और यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 0.6 फ़ीसदी है। 2015-16 में आप के सत्ता में आने के बाद से यह कभी नकारात्मक नहीं हुआ है जबकि राष्ट्रीय स्तर नकारात्मक रहा है। 2018-19 में तो रेवेन्यू बैलेंस का राष्ट्रीय औसत जीडीपी का -0.35 फ़ीसदी था। हालाँकि आप सरकार के कार्यकाल में रेवेन्यू बैलेंस कम हुआ है और 2015-16 में यह राज्य के जीडीपी का 1.6 से घटकर 2019-20 में 0.6 फ़ीसदी रह गया है।
यह भी क़ाफ़ी महत्वपूर्ण है कि दिल्ली का राजस्व घाटा पूरे देश के औसत राजस्व घाटे से काफ़ी कम है। राजस्व घाटा का मतलब है कि राज्य या देश को जितनी ज़्यादा आमदनी हो उससे ज़्यादा ख़र्च हो जाए। इसकी पूर्ति सरकारें बाज़ार से क़र्ज़ उठाकर करती हैं। हालाँकि यह ग़ौर करने वाली बात है कि हाल के वर्षों में दिल्ली का राजस्व घाटा बढ़ा है, लेकिन राष्ट्रीय औसत से यह काफ़ी कम है। इस मामले में देश का राजस्व घाटा जहाँ जीडीपी का 2.6 फ़ीसदी है वहीं दिल्ली का राज्य के जीडीपी का 0.7 फ़ीसदी रही है। यह राष्ट्रीय स्तर से काफ़ी कम है।
ऐसे में केजरीवाल सरकार के लिए सिर्फ़ योजनाओं को लागू करने की चुनौतियाँ ही नहीं हैं, आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ी चुनौती यह है कि वह हाल के दिनों में बढ़ रहे राजकोषीय और राजस्व घाटे को कैसे पाटती है।