पंजाब से सटे हिमाचल में अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी आप?
पंजाब के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश पर है। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को मंडी इलाके में बड़ा रोड शो किया और जनता से एक मौका देने की बात कही।
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में तीसरे विकल्प की ठोस संभावना अब तक नहीं दिखाई दी है। यहां बीजेपी और कांग्रेस ही सत्ता संभालते रहे हैं। हालांकि 1998 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई थी और कुछ असर पैदा किया था। लेकिन 2004 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था।
पड़ोसी राज्य पंजाब में जीत हासिल करने के बाद हिमाचल प्रदेश को लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता उत्साहित हैं। तो क्या केजरीवाल यहां भी पंजाब जैसा कोई करिश्मा कर पाएंगे?
हिमाचल में नवंबर 2022 में चुनाव होने हैं यानी चुनाव में 7 महीने का वक्त बचा है।
हिमाचल प्रदेश की बड़ी सीमा पंजाब से लगती है और दोनों राज्यों के लोगों का व्यवसाय या पर्यटन के लिहाज से एक दूसरे के राज्य में आना जाना भी है। इसलिए क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत का असर हिमाचल की सियासत पर हो सकता है यह एक बड़ा सवाल है।
हालांकि पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सियासत पूरी तरह अलग है। पंजाब में सिख सियासत हावी रही है जबकि हिमाचल में 97 फ़ीसदी हिंदू आबादी है।
उपचुनाव में हार
68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 44 सीटों पर जीत हासिल की थी और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बीते साल 3 सीटों के विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार ने बीजेपी के तमाम समीकरणों को उथल-पुथल कर दिया है। कांग्रेस यहां लंबे वक्त तक सत्ता में रही है और इस बार फिर से वापसी का सपना देख रही है लेकिन कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही गुटबाजी से जूझ रहे हैं।
हिमाचल में आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े चेहरे आने वाले दिनों में उनकी पार्टी में शामिल होंगे।
धूमल-नड्डा के गुट
हिमाचल बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के खेमों में सियासी अदावत होने की बात सामने आती रही है। धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं और उनकी भी ख़्वाहिश राज्य का मुख्यमंत्री बनने की है। बीते साल हुए उपचुनाव में जब बीजेपी को हार मिली तो राज्य इकाई में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई थी।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जेपी नड्डा का करीबी माना जाता है और उपचुनाव में हार के बाद जब जयराम ठाकुर को बदलने की चर्चाएं तेज हुई थीं तो नड्डा के कारण ही वह मुख्यमंत्री बने रहे थे।
बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के भी अपने-अपने गुट हैं। कांग्रेस राज्य में संगठनात्मक बदलाव करना चाहती है लेकिन नेताओं की गुटबाजी की वजह से ऐसा होने में देर हो रही है।
कांग्रेस को होगा नुक़सान?
यह कहा जाता है कि जिन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी सीधे मुकाबले में हैं वहां आम आदमी पार्टी के आने से कांग्रेस को नुकसान होता है। यह फीडबैक कांग्रेस हाईकमान के पास भी है और इसलिए पार्टी हिमाचल को लेकर बेहद सतर्क है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पंजाब में आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत से यह संदेश नहीं जाता कि वह बाकी राज्यों में भी ऐसा कुछ कर पाएगी क्योंकि पंजाब के साथ ही गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी चुनाव हुए लेकिन पंजाब को छोड़कर इन राज्यों में आम आदमी पार्टी पस्त हो गई। हालांकि गोवा में उसने 2 सीटें जीती हैं।
पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस हिमाचल और गुजरात में जीत हासिल करना चाहती है जबकि आम आदमी पार्टी इन दोनों ही राज्यों में मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए जोर लगा रही है। देखना होगा कि आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश में कितनी सफल होती है।