स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव से पहले आप पार्षद भाजपा में शामिल
शुक्रवार (24 फरवरी) को दिल्ली MCD स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चुनाव हो रहे हैं। दिल्ली नगर निगम हाउस की स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के चुनाव के लिए होने वाली वोटिंग से कुछ समय पहले बवाना से आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद पवन सहरावत भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए।
भाजपा में शामिल होने से पहले सहरावत ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि, “अरविंद केजरीवाल की सरकार में जो भ्रष्टाचार होते रहे हैं उन्हें देखकर मेरा इस पार्टी में दम घुटने लगा है। चुनाव होने के बाद से ही हमारे ऊपर पूरा दबाव बना रहा कि आप पूरे हाउस में हंगामा मचा कर रखो ताकि अभी चुनाव नहीं हों। मेयर तो हमारा ही बनना है आप पूरा हल्ला मचा कर रखो।”
सहरावत ने विधायक आतिशी मार्लेना के खिलाफ भी आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी चुनाव नहीं जीते तो दूसरी पार्टी की सरकार नहीं बनने देंगे? आज ये MCD में कर रहे हैं और किसी राज्य में कर सकते हैं और सदन में भी कर सकते हैं। लोकतंत्र में जनता का जनादेश सिर आंखों पर होना चाहिए।
एमसीडी की स्थाई समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं, जिनमें 6 सदस्य पार्षदों के द्वारा चुने जाते हैं तो 12 सदस्य एमसीडी के अलग-अलग जोन से चुने जाते हैं। केंद्र सरकार ने सुचारू कामकाज के लिए एमसीडी को 12 प्रशासनिक जोन में बांटा हुआ है, जिसमें दिल्ली के सेंट्रल, सिटी-एसपी (सदर पहाड़गंज), सिविल लाइंस करोल बाग, केशव पुरम, नजफगढ़, नरेला, नॉर्थ शाहदरा, रोहिणी, साउथ शाहदरा, साउथ और वेस्ट शामिल हैं।
पवन सहरावत के भाजपा में शामिल होने पर दिल्ली भापजा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “केजरीवाल को लगा बड़ा झटका, AAP की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार से परेशान, बवाना वार्ड-30 से आम आदमी पार्टी के पार्षद श्री पवन सहरावत ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।” भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बवाना के पूर्व AAP पार्षद पवन सहरावत ने कहा कि वह आप की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं।
इससे पहले 22 फरवरी को आम आदमी पार्टी का शैली ओबेरॉय को दिल्ली का मेयर चुन लिया गया था। दूसरे सत्र में दरअसल स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव होना था। एमसीडी में सबसे पावरफुल स्टैंडिंग कमेटी ही होती है। मेयर इस कमेटी की मंजूरी के बिना कोई फैसला नहीं ले सकता। इसलिए इस कमेटी पर कब्जे के लिए बीजेपी और आप पार्षद आपस में लड़ाई करने लगे। सदन की बैठक रातभर चलती रही और स्थगित होती रही और इस दौरान अराजक दृश्य सामने आते रहे।
स्टैंडिंग कमेटी में छह सदस्यों को चुना जाना है। आप और बीजेपी के पार्षदों के बीच गुरुवार सुबह 4 बजे तक सत्र चलने के साथ शारीरिक और मौखिक शब्दों का आदान-प्रदान हुआ। बात इतनी बढ़ गई कि एक समय पर, नवनिर्वाचित मेयर शैली ओबेरॉय ने आरोप लगाया कि बीजेपी पार्षदों ने उन पर हमला करने का प्रयास किया था। शैली ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, जब मैं स्थायी समिति का चुनाव करा रही थी, तब बीजेपी पार्षदों ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की! यह बीजेपी की गुंडागर्दी की हद है कि वे एक महिला मेयर पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं।
स्टैंडिंग कमेटी में छह सदस्यों को चुना जाना है। आप और बीजेपी के पार्षदों के बीच गुरुवार सुबह 4 बजे तक सत्र चलने के साथ शारीरिक और मौखिक शब्दों का आदान-प्रदान हुआ।
बीजेपी सदस्यों ने भी आरोप लगाया कि उनके पार्षदों को चोटें आई हैं। मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा ने कहा- हमारे कई नेताओं को मामूली चोटें आई हैं। उन्होंने हमारे नेताओं को बोतल, सेब और जूते से मारा। प्रमोद गुप्ता को थप्पड़ मारा गया। वीडियो में आप और बीजेपी पार्षद एक-दूसरे पर पानी की बोतलें और फल फेंकते, धक्का-मुक्की करते साफ देखे जा सकते हैं।
दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने के करीब दो महीने बाद 22 फरवरी को कोर्ट के हस्तक्षेप से दिल्ली के मेयर पद पर चुनाव कराया जा सका। उससे पहले तीन बार मेयर चुनने की कवायद हुई लेकिन चुनाव नहीं कराए जा सके। इसका कारण भाजपा की वह मांग थी कि दिल्ली के मेयर के चुनाव में नामित 10 सदस्यों को भी वोट देने का अधिकार मिले, दिल्ली के उपराज्यपाल भी इसके लिए सहमत थे।
भाजपा की मांग थी कि दिल्ली के मेयर के चुनाव में नामित 10 सदस्यों को भी वोट देने का अधिकार मिले, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना इसके लिए सहमत थे।
दिल्ली नगर के संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि नामित सदस्य सदन की कार्रवाइयों में मतदान नहीं कर सकते हैं, उसके बाद भी भाजपा इसके लिए अड़ी हुई थी। इसके पीछे भाजपा अपना मेयर बनाना चाहती थी। पिछले पंद्रह सालों से दिल्ली नगर निगम में भाजपा का ही कब्जा बना हुआ था। पहली बार आम आदमी पार्टी ने उसके निगम की सत्ता से बाहर कर दिया था।