‘ए थर्सडे’ जैसी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का नाम ‘ज़ख़्मी औरत’ होता तो...?
डिज़्नी हॉटस्टार पर यामी गौतम की फ़िल्म का नाम ए थर्सडे की जगह अगर ज़ख़्मी औरत होता तो शायद फ़िल्म के लिए बेहतर होता। हालाँकि इसी नाम से डिम्पल कपाड़िया की एक फ़िल्म पहले आ चुकी है और यामी गौतम की फ़िल्म का अंत भी ठेठ मसाला सिनेमा के उसी फॉर्मूलावादी ढर्रे पर होता है लेकिन कम से कम शीर्षक, कहानी और ट्रीटमेंट के आधार पर नसीरुद्दीन शाह की चर्चित फिल्म ए वेडनसडे से तुलना से बच जाते।
लेखक निर्देशक को लगा होगा कि कैलेंडर के हिसाब से वेडनसडे यानी बुधवार के बाद थर्सडे यानी गुरुवार ही आता है तो व्यवस्था के ख़िलाफ़ आम आदमी के प्रतिरोध के फिल्मी फ़ार्मूले को सस्पेंस थ्रिलर के ढाँचे में आगे बढ़ाने के लिए यह ठीक रहेगा।
यूँ तो वेडनसडे भी अपने समग्र प्रभाव में एक अधिनायकवादी विचार और न्याय व्यवस्था में भरोसे की जगह ठोकशाही को ही पुख़्ता करती है लेकिन ए थर्सडे उस रास्ते पर चलते हुए भी बचकाने ट्रीटमेंट की वजह से उस जैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाती।
इसमें दोष अभिनेताओं का क़तई नहीं है। क़ुसूर लेखक निर्देशक बहज़ाद खंबाता का है। एक बढ़िया सी लगती सस्पेंस थ्रिलर क्लाइमैक्स तक आते-आते औंधे मुंह गिर पड़ती है।
कहानी एक आम महिला के दुखद, पीड़ादायक अतीत, उसके साथ हुए जघन्य अपराध, अन्याय और अपराधियों के छुट्टा घूमते रहने पर पैदा हुए ग़ुस्से की है। आम आदमी के प्रतिरोध और प्रतिशोध का यह संक्षिप्त सा प्लॉट अमिताभ बच्चन समेत तमाम नायकों की मसाला फ़िल्मों में दशकों से अलग-अलग पैकेजिंग में दिखता रहा है। ए थर्सडे में प्रधानमंत्री बनी डिंपल कपाड़िया भी ज़ख़्मी औरत में बलात्कार के विषय पर प्रतिशोध लेने वाली महिला की केंद्रीय भूमिका निभा चुकी हैं।
केंद्रीय भूमिका में यामी गौतम का काम काबिलेतारीफ है। यामी ने अपनी अब तक की अभिनय यात्रा में अपनी प्रतिभा के बूते पर जो ख्याति और प्रशंसा हासिल की है, ए थर्सडे उसमें इज़ाफा ही करती है।
एक प्लेस्कूल में नन्हें मासूम बच्चों की ख़ुशमिज़ाज टीचर और बाद में उन्हें बंधक बना लेने वाली ख़तरनाक अपहर्ता नैना जायसवाल की जटिल भूमिका में अपनी अभिव्यक्तियों से कई जगह चौंकाती हैं। लेकिन एक बेहद संवेदनशील विषय पर बनी फ़िल्म की पटकथा के झोलझाल की वजह से उनकी सीमाएँ भी उजागर होती हैं। अतुल कुलकर्णी समर्थ अभिनेता हैं और इंस्पेक्टर जावेद खान की अपनी भूमिका के साथ उन्होंने न्याय किया है। नेहा धूपिया, डिंपल कपाड़िया सामान्य हैं।
(अमिताभ की फे़सबक वाल से साभार)