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मोदी सरकार के 8 साल पूरे, जानिए कुछ अहम बातें 

मोदी सरकार के 8 साल पूरे, जानिए कुछ अहम बातें 

मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में किन फैसलों को लेकर विवाद रहा और सरकार ने कौन सी योजनाएं लांच की?

26 मई को बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने केंद्र की सत्ता में 8 साल पूरे कर लिए। इस दौरान सरकार के कई फैसलों को लेकर देश में बड़े आंदोलन हुए और राजनीतिक माहौल अच्छा-खासा गर्म रहा। केंद्र सरकार ने खुद को जनता के लिए समर्पित बताया तो विपक्ष सरकार को तमाम मोर्चों पर फेल बता कर उसे घेरने की कोशिश करता रहा। 

यहां पर हम बात करेंगे कि मोदी सरकार ने पिछले 8 साल में कौन सी बड़ी सरकारी योजनाएं लांच की और उसके किन फैसलों को लेकर विवाद रहा। पहले बात करेंगे सरकारी योजनाओं की। 

उज्जवला योजना 

साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जवला योजना लांच की और इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को गैस सिलेंडर दिए गए। लेकिन गैस की बढ़ती कीमतों के कारण विपक्ष ने सरकार को निशाने पर रखा और कहा कि महंगी गैस की वजह से लोग सिलेंडर नहीं भरवा सके और यह योजना फेल हो गई है। 

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आयुष्मान भारत योजना

केंद्र सरकार सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत योजना लेकर आई और इसके तहत उसने दावा किया कि हर साल लगभग 11 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर दिया गया।

सरकार ने दिसंबर, 2018 में किसान सम्मान निधि की घोषणा की और इसके तहत किसानों के खाते में 6000 रुपए हर साल देने का वादा किया। जिसमें किसानों को 2000 रुपए तीन किस्तों में दिए गए और यह पैसा उनके खाते में सीधे ट्रांसफर किया गया। हालांकि इस योजना का पात्र होने के लिए सरकार ने कुछ शर्तें भी रखी थी। 

जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना को लांच किया गया। इसके तहत सरकार ने कहा कि साल 2022 तक वह ऐसे लोगों को घर देगी जिनके पास कच्चे मकान हैं। 2022 में अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना के तहत 80 लाख घर बनाए जाने को लेकर 48,000 करोड़ का बजट जारी किया।

इसके अलावा प्रधानमंत्री जन धन योजना, मुद्रा योजना, स्वच्छ भारत मिशन जैसे कई कार्यक्रम भी सरकार ने चलाए।

अब बात करते हैं सरकार के उन फैसलों की जिन्हें लेकर बीते सालों में अच्छा-खासा विवाद रहा। 

नोटबंदी 

साल 2016 के नवंबर महीने में मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला किया। इसके तहत सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए। नोटबंदी के दौरान कई लोग अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए बैंकों के बाहर लाइनों में लगे रहे और कई लोगों की मौत भी हुई। सरकार ने कहा कि उसके फैसले का मकसद आतंकवाद में इस्तेमाल होने वाले काले धन पर रोक लगाना और डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना है। लेकिन विपक्ष ने कहा कि नोटबंदी अपने उद्देश्य में पूरी तरह फेल रही है। 

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केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी कानून को लेकर भी कई जगह व्यापारियों ने विरोध जताया। विपक्ष और व्यापारियों के विरोध के बाद सरकार को इसमें संशोधन भी करना पड़ा।

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में तीन तलाक क़ानून बनाया। मुस्लिम समुदाय में कई जगहों पर इसका विरोध हुआ लेकिन इसे समर्थन भी मिला।

केंद्र सरकार के पहले कार्यकाल में फ्रांस से किए गए रफाल सौदे में बदलाव को लेकर भी विवाद हुआ। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रफाल सौदे में कथित गड़बड़ी को मुद्दा बनाया और चौकीदार चोर है का नारा भी दिया।

धारा 370 को हटाना 

केंद्र सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया और जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर इसे दो हिस्सों में बांट दिया। जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाना बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र में हमेशा से रहा था। इसको लेकर जम्मू कश्मीर के कई राजनीतिक दलों ने लगातार विरोध किया और अभी भी उनका विरोध जारी है।

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सीएए 

सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लेकर आई जिसका मुस्लिम समुदाय ने जोरदार विरोध किया। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जानी थी। विपक्ष और मुस्लिम समुदाय ने मुसलमानों को इससे बाहर रखने पर नाराजगी जताई और इसे लेकर लंबा विरोध चला।

सर्जिकल स्ट्राइक

बीते सालों के दौरान देश में सेना के द्वारा पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी काफी सियासत हुई। 2016 और 2019 में दो बार सर्जिकल स्ट्राइक की गई और पुलवामा हमले के बाद यानी फरवरी 2019 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को मोदी सरकार ने चुनाव में भुनाया। बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका सियासी फायदा भी मिला।

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कृषि क़ानून 

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कृषि कानूनों का जबरदस्त विरोध हुआ और बड़ी संख्या में किसान 1 साल तक दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे रहे। किसानों के जबरदस्त विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा और उसने कृषि कानून वापस ले लिए। 

2024 लोकसभा चुनाव

2024 के लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ 2 साल का वक्त बाकी है और बीजेपी मोदी सरकार के कामकाज को लोगों के बीच ले जाने के लिए तैयार है। दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को मिल रही लगातार हार के कारण विपक्ष बहुत ताक़तवर नहीं दिखाई देता। हालांकि ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर, स्टालिन जैसे नेता विपक्ष की आवाज़ बनकर उभर रहे हैं।  

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