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2023 में हेट स्पीच की 668 घटनाएं दर्ज, 75 प्रतिशत घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई

2023 में हेट स्पीच की 668 घटनाएं दर्ज, 75 प्रतिशत घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई

भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरती भाषणों का दस्तावेजीकरण कर रहे एक अमेरिकी ग्रुप जिसका नाम इंडिया हेट लैब है ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में, भारत ने मुसलमानों को लक्षित कर नफरत फैलाने वाले भाषणों या हेट स्पीच की 668 घटनाएं दर्ज की गई हैं। 

भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरती भाषणों का दस्तावेजीकरण कर रहे एक अमेरिकी ग्रुप जिसका नाम इंडिया हेट लैब है ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में, भारत ने मुसलमानों को लक्षित कर नफरत फैलाने वाले भाषणों या हेट स्पीच की 668 घटनाएं दर्ज की गई हैं। 

द हिंदू अखबार की एक खबर कहती है कि, हेट स्पीच इवेंट्स इन इंडिया, नाम से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 की पहली छमाही में हेट स्पीच की 255 घटनाएं हुईं, वहीं "वर्ष की दूसरी छमाही में यह संख्या बढ़कर 413 हो गई, यानी 62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों की लगभग 75 प्रतिशत घटनाएं (498) भाजपा शासित राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों (भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित) और दिल्ली (पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था केंद्र सरकार के दायरे में आती हैं) में हुईं।

इन नफरती भाषणों में से 36 प्रतिशत (239) घटनाओं में "मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का प्रत्यक्ष आह्वान किया गया था।  63 प्रतिशत (420) घटनाओं में लव जिहाद, भूमि जिहाद, हलाल जिहाद और जनसंख्या जिहाद शामिल थे जैसी एक काल्पनिक थ्योरी देकर नफरती भाषण दिए गए थे। लगभग 25 प्रतिशत (169) भाषणों में मुस्लिम पूजा स्थलों को निशाना बनाने का आह्वान किया गया था।

पैटर्न और रुझानों का विवरण देते हुए, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नफरत भरे भाषण की घटनाएं अगस्त से नवंबर की अवधि में चरम पर थीं। यह वह समय था जब राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। महाराष्ट्र (118), उत्तर प्रदेश (104), मध्य प्रदेश (65), राजस्थान (64), हरियाणा (48), उत्तराखंड (41), कर्नाटक (40), गुजरात (31), छत्तीसगढ़ (21), और बिहार ( 18) घृणा भाषण की सबसे अधिक घटनाओं के लिए शीर्ष 10 राज्यों में थे।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा शासित राज्यों और गैर-भाजपा शासित राज्यों के बीच हेट स्पीच के मामलों में जहां महत्वपूर्ण मात्रात्मक अंतर था वहीं इनके बीच नफरत फैलाने वाले भाषणों की भाषा के अंतर पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि भाजपा शासित राज्यों में दिए गए नफरत फैलाने वाले भाषण अपने कंटेंट और भाषा के स्तर पर भी अधिक खतरनाक थे। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि "हिंसा के सीधे आह्वान से जुड़ी सभी घटनाओं में से 78 प्रतिशत घटनाएं भाजपा प्रशासित राज्यों और क्षेत्रों में हुईं। इसके अलावा, पूजा स्थलों को निशाना बनाने वाली सभी नफरत भरी भाषण घटनाओं में से 78 प्रतिशत भाजपा शासित राज्यों में दर्ज की गईं। 

द हिंदू की खबर कहती है कि, इस रिपोर्ट में कहा गया है, दिलचस्प बात यह है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में नफरत फैलाने वाले भाषणों की घटनाओं में भाजपा नेताओं के शामिल होने की संभावना अधिक थी।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा शासित राज्यों में केवल 10.6 प्रतिशत घटनाओं में भाजपा नेता शामिल थे, जबकि गैर-भाजपा शासित राज्यों में यह आंकड़ा बढ़कर 27.6 प्रतिशत हो गया। इससे लगता है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में अपना जमीनी आधार बनाने का प्रयास करते समय भाजपा द्वारा नफरत भरे भाषण में भाग लेने की अधिक संभावना रहती है। 

जहां तक ​​इस तरह के नफरत भरे भाषण वाले आयोजनों के पीछे संगठनों का सवाल है तो दर्ज की गई कुल घटनाओं में से  32 प्रतिशत (126) आयोजन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल द्वारा आयोजित किए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है, चुनावी रैलियों के संदर्भ में, लगभग 50 नफरत भरे भाषण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भाजपा खुद जिम्मेदार थी।

 22 प्रतिशत घटनाओं के लिए केवल पांच वक्ता जिम्मेदार 

कुल मिलाकर, संघ परिवार से जुड़े संगठन 307 घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार थे, जो 2023 में सभी घृणा भाषण घटनाओं का लगभग 46 प्रतिशत था। रिपोर्ट में गौ रक्षा दल जैसे स्पष्ट रूप से गौ रक्षा के लिए समर्पित संगठनों, जो नियमित रूप से घृणास्पद भाषण में संलग्न हैं की एक हालिया प्रवृत्ति को भी चिह्नित किया गया है।इस रिपोर्ट में कहा गया है, हेट स्पीच की 146  घटनाओं या  22 प्रतिशत घटनाओं के लिए केवल पांच वक्ता जिम्मेदार थे। 

भाजपा विधायक टी राजा सिंह और नितेश राणे, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (एएचपी) के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया, धुर दक्षिणपंथी और समाज में अपना प्रभाव रखने वाली काजल शिंगला, सुदर्शन न्यूज के मालिक सुरेश चव्हाणके, हिंदू धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद, कालीचरण महाराज, साध्वी सरस्वती मिश्रा ऐसे शीर्ष आठ वक्ताओं में हैं जो अधिकांश नफरत भरे भाषणों के लिए जिम्मेदार हैं।  

रिपोर्ट में मुस्लिम विरोधी नफरत फैलाने के लिए इज़राइल-गाजा युद्ध के इस्तेमाल पर भी प्रकाश डाला गया है। 7 अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच हुई हेट स्पीच की 193 घटनाओं में से 41 (21 प्रतिशत) में युद्ध का इस्तेमाल "भारतीय मुसलमानों के प्रति भय और शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए" किया गया, साथ ही कई नेताओं ने जोर देकर कहा कि मुसलमान स्वाभाविक रूप से हिंसक हैं और इसलिए वह हिंदुओं के कि लिए खतरा हैं। 

रिपोर्ट में केस स्टडीज के माध्यम से "घृणास्पद भाषण और हिंसा के बीच सहजीवी संबंध" का भी दस्तावेजीकरण किया गया है, विशेष रूप से जुलाई 2023 में हरियाणा के नूंह में और जून 2023 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुई हिंसा को लेकर बात की गई है। 

रिपोर्ट कहती है कि सार्वजनिक जीवन में धुव्रीकरण बढ़ा है और नफरत फैलाने वाले नए-नए लोग उभर रे हैं। ये पहले नफरत फैलाने वाले संगठनों को सहयोग दे रहे हैं और अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। हेट स्पीच के मामले में ऐसे लोग एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। 

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