आर्थिक बदहाली : 5 कोर सेक्टर में विकास दर शून्य से कम
आर्थिक मोर्चे पर घिरी केंद्र सरकार को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़, अगस्त महीने में 8 कोर सेक्टर की विकास दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि 5 कोर सेक्टर में निगेटिव ग्रोथ हुआ है, यानी विकास शून्य से भी कम हुआ है। ये क्षेत्र हैं बिजली, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और सीमेंट। यह बड़ी चिंता की बात इसलिए है कि इससे यह साफ़ है कि अर्थव्यवस्था अब मंदी के चरण में प्रवेश कर चुकी है।
ताजा आँकड़ों के मुताबिक़, अगस्त में इस विकास दर में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अगर इसकी तुलना पिछले साल से करें तो अगस्त 2018 में 8 कोर सेक्टर की विकास दर 4.7 फ़ीसदी थी।
केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक़, बिजली और सीमेंट सहित 5 क्षेत्रों में विकास की दर शून्य से भी कम है, यानी निगेटिव ग्रोथ हुआ है। आँकड़ों के मुताबिक़, कोयले के उत्पादन में (-8.6%), कच्चा तेल (-5.4%), प्राकृतिक गैस (-3.9%), सीमेंट (-4.9%) और बिजली में (-2.9%) की गिरावट दर्ज की गई है और इसे एक बड़ी मंदी का संकेत कहा जा सकता है। जबकि रिफ़ाइनरी उत्पादों (2.6%), उर्वरकों (2.9%) और स्टील (5%) के उत्पादन में वृद्धि हुई है। जानकारों के मुताबिक़, सीमेंट उत्पादन और स्टील में गिरावट दर्ज होना विनिर्माण क्षेत्र के लिए ख़राब संकेत हैं।
कोर सेक्टर के इन 8 उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, रिफ़ानइरी उत्पाद, प्राकृतिक गैस, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिक सेक्टर शामिल हैं। इनकी देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग 40 फ़ीसदी की हिस्सेदारी होती है।
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर हालात सुधर नहीं रहे हैं। कोर सेक्टर में गिरावट की यह ख़बर ऐसे समय में आई है जब सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में वृद्धि की दर पिछले छह साल के न्यूतम स्तर 5 प्रतिशत पर पहुँच गई है। इसके अलावा ऑटो सेक्टर से लगातार निराशा भरी ख़बरें आ रही हैं और लगातार दसवें महीने कारों की बिक्री में गिरावट रही है। आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले एक साल में कारों की बिक्री में 30.9 फ़ीसदी की गिरावट आई है।
जुलाई में आठ कोर सेक्टर की विकास दर 2.1 फ़ीसदी थी, जिससे एक उम्मीद जगी थी कि आगे सुधार देखने को मिलेगा। लेकिन इन आँकड़ों के सामने आने के बाद निराशा हुई है।
ऑटो सेक्टर से गई नौकरियाँ
हाल ही में फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने कहा था कि साल भर में डीलरों से जुड़े 2 लाख लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं। सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफ़ैक्चरर्स (एसआईएएम) का कहना है कि ऑटो सेक्टर में कुल मिला कर लगभग 3.50 लाख लोगों की नौकरी गई है। यदि इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया और स्थिति यही रही तो इस सेक्टर में 10 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है।
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष कर उगाही राजस्व में 17.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी और कुल 13.35 लाख करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा था लेकिन अप्रैल से 15 सितंबर तक सिर्फ़ 4.40 लाख करोड़ रुपये की कर उगाही हो सकी।
अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक से अंतरिम लाभांश के रूप में 30 हज़ार करोड़ रुपये माँगे हैं। अभी कुछ ही दिन पहले रिज़र्व बैंक ने सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये दिए थे। इसके अलावा रिज़र्व बैंक ने मार्च 2019 में भी 28 हज़ार करोड़ रुपये का लाभांश दिया था।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने हाल ही में कहा था कि कई क्षेत्रों में गिरावट का दौर शुरू हो चुका है और जल्द ख़त्म नहीं होगा। मैन्युफ़ैक्चरिंग, होटल, ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, दूरसंचार, कंस्ट्र्क्शन और कृषि, ये ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें मंदी अभी रहने की संभावना है।
भारतीय व्यवसाय मांग में कमी और पैसे की कमी से जूझ रहे हैं और यही कारण है कि इस बार जून की तिमाही में आर्थिक विकास दर 5% तक पहुंच गई। जबकि निजी खपत व्यय की दर 18 तिमाही के निचले स्तर 3.1% तक गिर गई। हालांकि, कॉर्पोरेट टैक्स दर में कटौती के सरकार के फ़ैसले से कुछ उम्मीद जगी है लेकिन बाज़ार के जानकारों का मानना है कि इससे बहुत ज़्यादा सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती।