40 श्रमिक ट्रेनें रास्ता भटकीं! एक तो 9 दिन में पहुँची; कई मज़दूरों की मौत
क्या ट्रेनें भी बसों और कारों की तरह रास्ते से भटक सकती हैं इस सवाल से चौंक गए न आप! दरअसल, कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अपने रास्ते से भटकने की ख़बरें हैं। एक श्रमिक ट्रेन महाराष्ट्र के वसई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए चली थी और पहुँच गई ओडिशा के राउरकेला। ट्रेनों के रास्ते भटकने के सवाल किए गए तो रेलवे ने अजीबोगरीब जवाव दिए कि लाइनें व्यस्त होने के कारण उनका रूट बदला गया था। अब यदि दो दिन में पहुँचने वाली ट्रेन 9 दिन में अपने गंतव्य तक पहुँचे तो उसे क्या कहेंगे, रूट बदलना या रास्ते से भटकना और इस बीच ट्रेनों में कई लोगों की मौत की ख़बरें आने लगे तो क्या कहा जाएगा!
ट्रेनें एक या दो नहीं भटकी हैं। कम से कम 40 ऐसी ट्रेनों के भटकने की ख़बर है। 'पत्रिका' ने इस पर ख़बर छापी। इस ख़बर में दावा किया गया कि बेंगलुरु से क़रीब 1450 यात्रियों को लेकर चली ट्रेन यूपी के बस्ती जा रही थी लेकिन गाज़ियाबाद पहुँच गई। मुंबई के कुर्ला से 21 मई को पटना के लिए चली ट्रेन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में पहुँच गई। दरभंगा के लिए चली एक ट्रेन राउरकेला पहुँच गई। इस ख़बर को ट्वीट करते हुए कांग्रेस नेता और पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधे रेलवे मंत्री पीयूष गोयल पर निशाना साधा। उन्होंने तो गोयल को शर्म करने की बात कह दी।
कितना और मज़ाक़ बनाएँगे त्रासदी का
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 25, 2020
अब ये मत कहना की ये भी ‘ड्रामेबाज़ी’ है।
शर्म करो पीयूष गोयल जी! pic.twitter.com/DzWqWX8Q39
'एचडब्ल्यू न्यूज़' की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने सफ़ाई में कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ़ ट्रेनों की अधिक संख्या रहती है, ऐसे में इन मार्गों पर भीड़ अधिक होती है। इसी वजह से हमने कुछ ट्रेनों को दूसरे रूट से ले जाने का फ़ैसला किया है और यह अक्सर होता रहता है। रिपोर्ट के अनुसार, विनोद कुमार यादव ने बताया कि इस नेटवर्क पर ट्रैफिक जाम हो जाता है, तो उस पर खड़े रहने से अच्छा होता है कि थोड़ा लंबा रूट लेकर तेजी से पहुँच जाएँ। यह हमारा एक प्रोटोकॉल होता है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन महाराष्ट्र के वसई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए चली थी और ओडिशा के राउरकेला पहुँचने पर रेलवे ने ट्वीट में सफ़ाई दी कि रूट डायवर्ट किया गया था।
1. Vasai Rd-Gorakhpur Shramik Special wch departed on 21 May,2020 was to run on Kalyan Bhusaval-Itarsi-Jabalpur - Manikpur route but this train will go to Gorakhpur by diverted route ie via Bilaspur, Jharsuguda,Rourkela,Asansol due to heavy traffic congestion on existing routes
— Western Railway (@WesternRly) May 23, 2020
एक ऐसी ही ट्रेन के बारे में 'दैनिक भास्कर' ने ख़बर दी कि गुजरात के सूरत से 17 मई को चली जिस ट्रेन को 2 दिन में बिहार के सीवान पहुँचना था, लेकिन वह 9 दिन में 25 मई को सीवान पहुँची। ट्रेन को गोरखपुर के रास्ते सीवान आना था, लेकिन छपरा होकर आई। अख़बार ने ख़बर दी है कि सूरत से ही सीवान के लिए निकली दो ट्रेनें ओडिशा के राउरकेला और बेंगलुरु पहुँच गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेनों के भटकने का सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं होता, बल्कि जयपुर-पटना-भागलपुर 04875 श्रमिक स्पेशल ट्रेन रविवार की रात पटना की बजाय गया जंक्शन पहुँच गई।
आधिकारिक रेलवे के स्पोक्सपर्सन ने ट्वीट कर दैनिक भास्कर की ख़बर को खारिज किया था।
The report is filled with errors and half-truths.
— Spokesperson Railways (@SpokespersonIR) May 26, 2020
The 2 trains from Surat reached Siwan on 25th in two days time instead as reported 9 days. The Child was ill & returning from Delhi after treatment. The cause of death can’t be determined without post mortem. https://t.co/YhfM7Cvlxx
'दैनिक भास्कर' ने लिखा है, 'रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक ट्वीट में इसे आधा सच क़रार दिया, लेकिन सीवान के उप विकास आयुक्त सुनील कुमार ने भास्कर से बातचीत में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सूरत से चली ट्रेनें भटक गई थीं और देरी से सीवान पहुँची थीं।'
अब यदि ट्रेनें भटकेंगी और 9 दिनों में ट्रेनें पहुँचेंगी तो ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों की भूख और प्यास से क्या हालत होगी भले ही सरकार की ओर से दावा किया जा रहा हो कि उनके खाने-पीने की व्यवस्था दुरुस्त रखी गई है लेकिन ट्रेनों में ही भूख और प्यास से मौत की ख़बरें आ रही हैं।
ट्रेन में कई लोगों की मौत
'टेलिग्राफ़' ने ख़बर दी है कि शनिवार को 46 वर्षीय एक प्रवासी मज़दूर की ट्रेन पर ही मौत हो गई। साथ में यात्रा कर रहे उनके भतीजे ने आरोप लगाया है कि 60 घंटे से उन्हें न तो खाना मिला था और न ही पीने के लिए पानी। रवीश यादव ने आरोप लगाया कि रेलवे के नियमों के ख़िलाफ़ न तो खाना और न ही पानी दिया गया। रवीश ने कहा कि वह और उनके चाचा जोखन यादव मुंबई से ट्रेन से आ रहे थे और उत्तर प्रदेश के जौनपुर के मछलीशहर में जाना था। रिपोर्ट के अनुसार रवीश ने कहा कि ट्रेन 20 मई को शाम सात बजे मुंबई से चली थी लेकिन 23 मई को सुबह साढ़े सात बजे तक वाराणसी ही पहुँची थी और वहीं पर भूख से उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा, 'हमने सुना था कि ट्रेन में रेलवे खाना और पानी की बोतल दे रहा था इसलिए हमने कुछ नहीं लिया था। ट्रेन में दूसरे लोगों ने भी कुछ नहीं लिया था और इसलिए वे भी मदद नहीं कर सके।'
'दैनिक भास्कर' की रिपोर्ट के अनुसार, कई और लोगों की मौतें हुई हैं। पश्चिम चंपारण के मोहम्मद पिंटू शनिवार को दिल्ली से पटना के लिए चले। सोमवार सुबह दानापुर से मुजफ्फरपुर जंक्शन पहुँचे। मुजफ्फरपुर में बेतिया की ट्रेन में चढ़ने के दौरान 4 साल के इरशाद की मौत हो गई। पिंटू ने बताया कि उमस भरी गर्मी और पेट में अन्न का दाना नहीं होने के कारण उन लोगों ने अपने लाड़ले को खो दिया। महाराष्ट्र से लौट रहे एक मज़दूर को आरा में ट्रेन में मृत पाया गया। सूरत से लौट रही महिला ने अपनी पति की गोद में दम तोड़ दिया। तब वे बिहार के सासाराम पहुँचे थे। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के बांद्रा टर्मिनल से 21 मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर लौट रहे कटिहार के 55 साल के मोहम्मद अनवर की सोमवार शाम बरौनी जंक्शन पर मौत हो गई। ऐसे ही कई और लोगों की जान जाने की ख़बरें हैं।