टीवी चैनलों को हर दिन 30 मिनट तक दिखाने होंगे राष्ट्रहित के कार्यक्रम
केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत में टीवी चैनलों को हर दिन 30 मिनट तक राष्ट्रीय और सार्वजनिक हित में कार्यक्रम दिखाने होंगे। ऐसा करना सभी चैनलों के लिए जरूरी होगा विशेषकर एंटरटेनमेंट चैनलों के लिए। भारत में अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग टेलीविजन चैनलों के लिए गाइडलाइन जारी की गई थी जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह गाइडलाइन 9 नवंबर से प्रभावी हो गई है।
हालांकि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि चैनलों को राष्ट्रहित में दिखाए जाने वाले इस तरह के कंटेंट को तय करने के लिए समय दिया जाएगा।
गाइडलाइन में कहा गया है कि 30 मिनट का यह कार्यक्रम दिखाने के लिए सरकार समय-समय पर चैनलों को एडवाइजरी जारी करती रहेगी और चैनलों को इसका पालन करना होगा। गाइडलाइन में कहा गया है कि इस बारे में पहली बार साल 2005 में गाइडलाइंस जारी की गई थी और 2011 में इनमें संशोधन किया गया था। अब इसमें एक बार फिर संशोधन किया गया है।
इस कदम से भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के टेलीविजन चैनलों को सिंगापुर के बजाय भारत से अपलिंक करने की अनुमति मिल सकती है।
चैनलों को दी 8 थीम
गाइडलाइंस के मुताबिक, टीवी चैनलों को हर दिन कम से कम 30 मिनट तक राष्ट्रहित और जनहित से संबंधित कंटेंट को दिखाना होगा। इस कंटेंट को दिखाने के लिए चैनलों को 8 थीम दी गई हैं। इन थीम में शिक्षा और साक्षरता का प्रसार, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और तकनीकी, महिलाओं का कल्याण, समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकीकरण को शामिल किया गया है।
सरकार के मुताबिक, इस कदम के पीछे तर्क यह है कि एयरवेव सार्वजनिक संपत्ति है और समाज की बेहतरी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
जारी की जाएगी एडवाइजरी
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्वा चंद्रा ने कहा कि प्रसारणकर्ताओं और अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत के बाद इस बारे में एडवाइजरी जारी की जाएगी जिसमें 30 मिनट के प्रसारण के लिए टाइम स्लॉट, कंटेंट को कब से दिखाया जाना है, इस बारे में जानकारी शामिल होगी। मंत्रालय ने कहा है कि एक बार इसके लागू होने के बाद मंत्रालय लगातार चैनलों में संबंधित कंटेंट पर नजर रखेगा और अगर कोई राष्ट्रहित या जनहित के कार्यक्रम को नहीं दिखाता है तो उससे इसे लेकर सफाई मांगी जाएगी।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि यह शर्त सभी चैनलों पर लागू होगी। लेकिन वाइल्ड लाइफ और फॉरेन चैनलों के अलावा स्पोर्ट्स का कंटेंट दिखाने वाले चैनलों को लाइव टेलीकास्ट के अलावा इससे छूट मिल सकती है।
संशोधित गाइडलाइन में कहा गया है कि कोई कंपनी डिजिटल सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग (डीएसएनजी) के अलावा समाचार जुटाने वाले उपकरणों जैसे ऑप्टिक फाइबर, बैक पैक, मोबाइल का उपयोग कर सकती है और इसके लिए अलग से अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा स्टैंडर्ड डेफिनिशन (एसडी) से हाई डेफिनिशन (एचडी) या भाषा बदलने या ट्रांसमिशन मोड को बदलने के लिए पहले अनुमति लेना जरूरी नहीं होगा।