कर्नाटक में हिजाब को चुनौती देने वाली 3 छात्राओं को प्रेक्टिकल एग्जाम से रोका गया
हिजाब को चुनौती देने वाली कर्नाटक की 6 में से 3 छात्राओं को उड्डुपी के कॉलेज में आज प्रेक्टिकल एग्जाम देने से रोक दिया गया। सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। तीनों छात्राएं उडुपी के सरकारी महिला पीयू कॉलेज की हैं। इनकी प्रेक्टिकल परीक्षा आज हो रही है। सभी छात्राएं 12वीं क्लास में साइंस स्ट्रीम में पढ़ रही हैं। जिन छात्राओं को आज एंट्री देने से रोका गया, उनमें से एक ने मीडिया को बताया कि मैं अपनी प्रेक्टिकल बुक जमा करने और फिजिक्स की प्रेक्टिकल परीक्षा में हिस्सा लेने कॉलेज गई थी, लेकिन वहां लेक्चरर ने मुझसे कहा कि वह मेरी प्रेक्टिकल कॉपी तभी स्वीकार करेंगी जब मैं हिजाब हटा दूंगी। फिर लेक्चरर ने मुझे प्रिंसिपल के दफ्तर में भेज दिया। जहां प्रिंसिपल ने मुझे पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी।
छात्रा ने बताया कि यह एग्जाम 30 मार्क्स का है और लिखित परीक्षा 70 मार्क्स की होगी। अगर हम प्रेक्टिकल एग्जाम में शामिल नहीं होंगे, तो इसका मतलब है कि हम लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए भी अयोग्य करार दे दिए जाएंगे।एक अन्य छात्रा अल्मास ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। उसके बाद लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर कर्नाटक सरकार के खिलाफ फूट पड़ा है।
Today was our final practical exam!
— Almas (@Ah_Almas12) February 28, 2022
We had completed our record books and went in great hopes to attend the practical exam.
It was so disheartening when our principal threatened us saying, "You have 5 mins to leave, if you don't leave, I'll file a police complaint"
लोगों ने लिखा है कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देने वाली छात्राओं के भविष्य से खेल रही है। कुछ लोगों ने लिखा है कि अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स को शिक्षा हासिल करने से रोकने की यह साजिश है। कुछ लोगों ने लिखा है कि बीजेपी रोजाना भारत में नफरत फैलाने और देश को बांटने के कुकृत्य में जुट जाती है। लेकिन ये साजिशें भारत की जनता नाकाम कर देगी। बहरहाल, कर्नाटक हाईकोर्ट उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेजों में छात्राओं के हिजाब पहनने पर पाबंदी को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार के अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि सरकार हिजाब के खिलाफ नहीं है। इस संबंध में जो सरकारी आदेश जारी हुआ था, उसकी ड्राफ्टिंग को और बेहतर ढंग से लिखा जाना चाहिए था। लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार चाहती है कि कॉलेजों में वर्दी सिस्टम लागू हो। सरकार ने वर्दी व्यवस्था लागू करने या न करने की जिम्मेदारी कॉलेजों पर डाल दी थी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कर्नाटक की शिक्षण संस्थाओं में किसी भी लेक्चरर पर हिजाब पहनने की पाबंदी हमने नहीं लगाई है।
इस घटनाक्रम के बाद राजधानी दिल्ली में एमसीडी ने अपने स्कूलों में हिजाब या किसी भी तरह के धार्मिक पोशाक पर रोक लगा दी थी। अगले चंद महीनों में एमसीडी के चुनाव होने वाले हैं। हिजाब पर रोक लगाने के फैसले को उस चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। बीजेपी इसे दिल्ली नगर निगम के चुनावों में मुद्दा बनाना चाहती है।