गोहत्या आरोपियों पर लगी रासुका, कांग्रेस का ‘गो-प्रेम’ सुर्खियों में
सरकार बनी तो मध्य प्रदेश में गोशालाएँ खोली जाएँगी। गो-संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रशिक्षित गो-सेवकों की सेवाएँ ली जाएँगी और गो-संरक्षण अधिनियम लागू किया जाएगा। इसके अलावा गायों को चराने के लिए गोचर भूमि की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह के दर्ज़नों वादे करने वाली मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का ‘गो-प्रेम’ इन दिनों ख़ासा सुर्खियों में है।
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दरअसल, खंडवा में गोहत्या के एक मामले में तीन आरोपियों पर मध्य प्रदेश पुलिस ने सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगा दिया है। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की माँस मंडियों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली गो-वंश की तस्करी के तार मध्य प्रदेश से जुड़े होने की शिकायतें आम रही हैं।
बीजेपी की सरकार में गोवध और गोवंश की तस्करी पर आरएसएस, विहिप और बजरंग दल की ‘सीधी कार्रवाइयों’ और बीजेपी सरकार के ‘एक्शन’ पर भड़क पड़ने वाली कांग्रेस का सूबे की सत्ता में आने के बाद सुर पूरी तरह से बदला हुआ नज़र आ रहा है।
काफ़ी ‘बदल’ चुकी है कांग्रेस
धर्म-कर्म और गाय भारतीय राजनीति का अहम हिस्सा हैं। इन मुद्दों पर राजनीति से दूर रहने वाली कांग्रेस ने पिछले काफ़ी समय से ख़ुद को ‘बदला’ है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार मंदिरों में मत्था टेक रहे हैं। उन्होंने अपना गोत्र भी सार्वजनिक किया है। राज्यों की कांग्रेस कमेटियाँ भी सॉफ़्ट हिंदुत्व से गुरेज-परहेज नहीं कर रही हैं।
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सॉफ़्ट हिंदुत्व पर चल रही कमलनाथ सरकार
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अपने चुनावी वचन पत्र में कांग्रेस ने इस बात की झलक साफ़ तौर पर दी थी। सरकार बनने और कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद वचन पत्र में दिखलाई गई ‘दृष्टि’ और सॉफ़्ट हिंदुत्व के वचनों को निभाने में कमलनाथ सरकार साफ़ तौर पर जुटी हुई नज़र आ रही है। पुजारियों के मानदेय में वृद्धि से लेकर मंदिरों में इनकी नियुक्ति के लिए जारी किए गए नियमों तक में कमलनाथ सरकार की ‘नरमी’ झलकी है।
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‘गो-प्रेम’ पर हो रही चर्चा
नाथ सरकार का ‘गो-प्रेम’ खंडवा में बेहद सख़्त रासुका की कार्रवाई के बाद देश के राजनीतिक पटल पर सुर्खियां बना है। असल में खंडवा के मोघट थाना क्षेत्र में खरकली गाँव निवासी किसान आज़म ख़ान और पेशे से कसाई नदीम उर्फ़ राजू पुत्र नत्थू तथा शकील पिता नत्थू को गोहत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। पिछले दो दिनों में खंडवा पुलिस ने इन आरोपियों को गिरफ़्तार किया। तीनों के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई की गई है। दरअसल, पहले भी नदीम को 2017 और 2018 में गोवंश की तस्करी के आरोप में पकड़ा जा चुका है।
मध्य प्रदेश में गोहत्या और गोवंश की तस्करी के किसी आरोपी पर रासुका लगाए जाने का कमलनाथ सरकार में यह पहला मामला है।
गोवंश की है जबरदस्त माँग
मध्य प्रदेश गो-संवर्धन बोर्ड के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, प्रदेश की धरती से हर दिन लगभग 10 हज़ार गोवंश बाहर जाता है। गोवंश की सर्वाधिक माँग महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के रास्तों से भी यह गोवंश अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में खपाया जाता है। बांग्लादेश में गोवंश की जबरदस्त खपत होती है। डिब्बा बंद कर गोवंश का माँस खाड़ी देशों में स्मगल किया जाता है।
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शाहीवाल, गिर नस्ल की तस्करी
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में शाहीवाल और गिर नस्ल की गायों की जबरदस्त माँग है। यह नस्ल सबसे ज़्यादा राजस्थान में पायी जाती है। मध्य प्रदेश के रास्ते से इसकी जमकर तस्करी होती है। सूत्रों ने बताया भारत में 146 किस्म की गायों की नस्लें थीं, इनमें 81 नस्लें पूरी तरह से लुप्त हो चुकी हैं। महज 65 नस्लें ही अब बची हुई हैं।
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1200 की गाय देती है 55 हज़ार
सूत्रों ने बताया कि किसान अथवा पशुपालक जिस गाय को अनुपयोगी बताकर 1200-1500 रुपये में बेचते हैं, तस्कर उससे 55 हजार रुपये तक बनाते हैं। सूत्रों का दावा है कि वध के बाद इसका माँस और खाल आदि से तस्कर पैसा बनाते हैं। पश्चिम बंगाल के रास्ते से गोवंश बांग्लादेश भेजा जाता है।
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गो-तस्करों के ख़िलाफ़ मंद पड़ी कार्रवाई
सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश गो-संवर्धन बोर्ड ने 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई एक रिपोर्ट में बांग्लादेश की गो-तस्करी से जुड़े तथ्यों का पूर्ण ब्यौरा दिया था। बोर्ड की रिपोर्ट पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छापेमारी करते हुए कई तस्कर गिरोहों को पकड़ने में कामयाबी भी हासिल की थी। समय के साथ कार्रवाई मंद होती चली गई और फिलहाल बंद प्राय: है।
देश में इस समय कुल 10 करोड़ के लगभग गोवंश हैं और इसमें तीन करोड़ के लगभग गोवंश मध्य प्रदेश में है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, मेघालय, सिक्किम समेत दक्षिण और उत्तर-पूर्व के कई सूबे ऐसे हैं, जहाँ गोवंश क़रीब-क़रीब समाप्त हो चुका है।
बीजेपी सरकार पर बरसे तिवारी
विश्व हिन्दू परिषद के गोरक्षा विभाग के पश्चिमी क्षेत्र के पूर्व संयोजक बी.एल. तिवारी गोवंश तस्करी को लेकर सवाल किए जाने पर पूर्व की बीजेपी सरकार पर जमकर बरसे। साल 2007 से 2016 तक पदाधिकारी रहे तिवारी ने ‘सत्य हिंदी’ से कहा, ‘गोवंश तस्करी और क़त्ल को रोकने के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश के साथ उन सूबों की भी खाक़ छानी है जहां गो-वंश को खपाया जाता है।’
तिवारी बताते हैं, ‘मध्य प्रदेश का मालवा-निमाड़, महाकौशल, ग्वालियर-चंबल और विंध्य का काफ़ी बड़ा इलाक़ा गो-वंश तस्करों का स्वर्गलोक है। पुलिस और प्रशासन के साथ राजनीतिक गठजोड़ के जरिये बड़े पैमाने पर गो-वंश की तस्करी होती है।’
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शिवराज सरकार में फले-फूले तस्कर
बी.एल. तिवारी ने कहा, ‘उन्होंने अपने कार्यकाल में गो-वंश तस्करों और इनका क़त्ल करने वालों के ख़िलाफ़ छह हज़ार से ज़्यादा एफ.आई.आर. दर्ज़ कराईं, प्रमाण दिए, लेकिन अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई।’ उन्होंने कहा, ‘डीजीपी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सप्रमाण शिकायतों के बावजूद तस्कर फलते-फूलते रहे।’
विहिप के नेता बी.एल. तिवारी ने कमलनाथ सरकार द्वारा गोवंश के हत्यारों के ख़िलाफ़ लगाई गई रासुका का स्वागत करते हुए कहा कि रासुका भर से बात नहीं बन पाएगी। सरकार को तस्करों के गठजोड़ को ध्वस्त करना होगा।
सख़्त कार्रवाई से ही लगेगी रोक
मध्य प्रदेश गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने स्वीकार किया कि मध्य प्रदेश गोवंश की तस्करी का ‘सैफ़ पैसेज’ है। उन्होंने ‘सत्य हिंदी’ से कहा कि मध्य प्रदेश में गोवंश प्रतिषेध अधिनियम 2012 लागू है। कमलनाथ की सरकार बनने के बाद पद से इस्तीफ़ा देने वाले गिरि ने कहा कि गोवंश तस्करी और इनका क़त्ल करने वालों के ख़िलाफ़ बेहद सख़्त कार्रवाई के प्रावधान इस अधिनियम में हैं। क़ानून का पालन पूरी सख़्ती के साथ नहीं होने के कारण कठोर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
गोवंश के हत्या के आरोपियों के ख़िलाफ़ रासुका को स्वागतयोग्य कदम बताते हुए गिरि ने कहा कि मध्य प्रदेश से लगे राज्यों की सीमाओं को पशुधन के आवागमन के लिए पूर्णत: प्रतिबंधित किए बगैर गोवंश की तस्करी को रोक पाना मुमकिन नहीं है।
बीजेपी, आरएसएस का प्रेम सिर्फ़ दिखावा
इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता पी.सी.शर्मा ने कहा, ‘बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का गोवंश प्रेम महज दिखावा है। कांग्रेस और उसकी सरकार वास्तव में गोवंश को लेकर चिंतित है। गोवंश के पालन और संवर्धन को लेकर सरकार में आने के पहले अनेक वायदे मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किए थे और सरकार प्रत्येक वचन का पालन सरकार करने के लिए कटिबद्ध है।’
शर्मा ने कहा, ‘गोशालाएँ खोलने की तैयारियाँ उसी वचन का अंग है। गोवंश तस्करी और इसकी हत्या करने वालों को ना बख़्शे जाने के संकल्प का हिस्सा खंडवा की सख़्त कार्रवाई है। गोवंश तस्करों और इनके गठजोड़ को हमारी सरकार नहीं छोड़ेगी।’