जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में 2G इंटरनेट सेवाएं शुरू, सोशल साइट्स पर रोक जारी
अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही लगातार प्रतिबंधों का सामना कर रहे जम्मू-कश्मीर के लोगों को अब धीरे-धीरे राहत मिल रही है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट को चालू करने की अनुमति दी थी। इसके बाद प्रशासन ने शनिवार से पोस्टपेड और प्रीपेड सेवाएं इस्तेमाल करने वाले मोबाइल धारकों के लिए 2G इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया है। लेकिन इसमें शर्त यह लगाई गई है कि वे सरकार के द्वारा अधिकृत की गईं 301 सुरक्षित वेबसाइट्स को ही एक्सेस कर पायेंगे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक़, इन सेवाओं को 25 जनवरी से चालू कर दिया गया है। इसे गणतंत्र दिवस के मौक़े पर राज्य के लोगों के लिए तोहफा माना जा रहा है।
लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोग अभी भी सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे। इंडिया टुडे के मुताबिक़, एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘यह एक बड़ी राहत साबित होगी। इंटरनेट के जमाने में कश्मीर दुनिया से कट गया था और सरकार के द्वारा लगाये गये कियोस्क तक पहुंचना बेहद कठिन था।’ उन्होंने कहा कि कम से कम वह ऑफ़िस की ई-मेल चेक कर पायेंगे।
कुछ दिन पहले जारी किये गये आदेश में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने होटलों में, परिवहन से संबंधित व्यवसाय में ब्राडबैंड इंटरनेट के इस्तेमाल की अनुमति दी थी और कश्मीर में 400 अतिरिक्त इंटरनेट कियोस्क लगाये जाने की बात कही थी। इसके अलावा इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों से अस्पताल, बैंकों और सरकारी ऑफ़िसों में भी ब्राडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के लिये कहा था।
इससे पहले 2G मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को जम्मू के सभी 10 जिलों और कश्मीर के दो जिलों कुपवाड़ा और बांदीपोरा में बहाल किया गया था। इसके अलावा प्रीपेड मोबाइल फ़ोन में कॉलिंग और एसएमएस भेजने की सुविधा को भी चालू कर दिया गया था।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग का यह फ़ैसला तब आया है जब कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने घाटी में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि व्यापार और ई-बैंकिंग सेवाओं के लिए इंटरनेट को शुरू किया जाए।
कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहद अहम अंग है। कोर्ट ने कहा था कि इंटरनेट इस्तेमाल करने की आज़ादी लोगों का मूलभूत अधिकार है और बिना वजह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती। अदालत ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता और केंद्र सरकार से कश्मीर में लगाये गये प्रतिबंधों से जुड़े सभी आदेशों की एक हफ़्ते में समीक्षा करने के लिए कहा था।
जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से ही कई पाबंदियां लागू हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को नज़रबंद रखा गया है। भारत सरकार का कहना था कि घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित घुसपैठ और आंतकवादी गतिविधियों की जाँच के लिए इंटरनेट को रोका जाना ज़रूरी था। दिल्ली स्थित फ़्रीडम लॉ सेंटर के मुताबिक़, दुनिया भर में किसी और देश के मुक़ाबले भारत में सबसे ज़्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया है। 2019 में देश में 106 बार जबकि जम्मू-कश्मीर में 55 बार इंटरनेट को बैन किया गया है।