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कोरोना का नया हॉट स्पाट बना ‘ज़ी न्यूज़’, 28 कर्मचारी पॉजिटिव, भयंकर लापरवाही के आरोप

कोरोना का नया हॉट स्पाट बना ‘ज़ी न्यूज़’, 28 कर्मचारी पॉजिटिव, भयंकर लापरवाही के आरोप

‘ज़ी न्यूज़’ के 28 कर्मचारी कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। इस मामले में चैनल के प्रबंधन के ख़िलाफ़ भयंकर लापरवाही बरतने के आरोप हैं। 

जो ‘ज़ी न्यूज़’ चैनल कुछ दिन पहले तक देश में कोरोना वायरस फैलने के लिये तब्लीग़ी जमात की छीछालेदार कर रहा था, अब वह खुद इस वायरस की चपेट में आ गया है। उसके ऊपर ये आरोप लग रहा है कि इस मामले में उसे जो सावधानी बरतनी चाहिये थी, वह नहीं बरती गई। 

‘ज़ी न्यूज़’ में 28 लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। इस ख़बर के सामने आने के बाद से ही इस चैनल और बाक़ी न्यूज़ चैनलों के कर्मचारियों में दहशत का माहौल है। 

‘ज़ी न्यूज़’ में कोरोना संक्रमण का मामला मई के दूसरे सप्ताह में सामने आया। प्रोड्यूसर भारत (बदला हुआ नाम) ने 11-12 मई के आसपास हल्के बुखार, बदन दर्द और कमजोरी की शिकायत की। भारत नाइट शिफ्ट में काम कर रहा था। ‘ज़ी न्यूज़’ के उसके सीनियर्स और एडिटर-इन-चीफ़ सुधीर चौधरी समेत किसी ने भी उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद भारत अपने एक दोस्त की मदद से चेक अप कराने राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचा। 

जब भारत को बेचैनी और सांस लेने में हल्की-फुल्की शिकायत हुई तो उसने फिर अपने दोस्त से संपर्क किया और 14 मई को राम मनोहर लोहिया में एडमिट हो गया। 15 मई की सुबह उसके टेस्ट का रिज़ल्ट आ आया जिसमें वह कोविड-19 पॉज़िटिव पाया गया!

इसके बाद ज़ी न्यूज़ में हड़कंप मचा और भारत के संपर्क में आने वाले नाइट शिफ्ट और मॉर्निंग शिफ्ट के हर कर्मचारी की जांच कराई गई! 39 साल के भारत के संपर्क में आए चैनल के 51 लोगों का कोरोना टेस्ट कराया गया जिसमें 28 लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। 

चौधरी, चंद्रा पर हो कार्रवाई

ये बात धीरे-धीरे पूरे मीडिया सर्किल में फैल गयी।  कुछ लोगों ने बिना नाम लिए ट्विटर पर इस सूचना को यह कहते हुए शेयर किया कि कोरोना फैलाने के मामले में जिस तरह से तब्लीग़ी जमात के लोगों के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए गए, वैसी ही कार्रवाई चैनल के संपादक सुधीर चौधरी और चैनल के मालिक सुभाष चंद्रा के ख़िलाफ़ भी होनी चाहिए। 

बात सोशल मीडिया में फैलने के बाद सुधीर चौधरी ने नोएडा प्रशासन और तमाम दूसरी एजेंसियों को सूचित किया। इसके बाद ज़ी के ऑफिस को डिसइन्फेक्ट कर सील कर दिया गया और ऑफिस को नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया। 

गौतम बुद्ध नगर प्रशासन ने अपने कोरोना बुलेटिन अपडेट में भारत का नाम लिए बिना इस मामले का ज़िक्र किया। इसके बाद ये ख़बर जंगल में आग की तरह फैल गयी। चैनल के संपादक सुधीर चौधरी ने ट्विटर पर ज़ी के आधिकारिक बयान के साथ इस सूचना को साझा किया और कहा कि ज़ी का प्रबंधन और संपादकीय विभाग पॉज़िटिव पाए गए लोगों का पूरी तरह से ख्याल रख रहा है। हालाँकि सत्य हिन्दी की पड़ताल में यह बात पूरी तरह से सच नहीं पाई गई। 

 - Satya Hindi

ज़ी में काम करने वाले लोगों ने बताया कि पॉजिटिव पाए गए लोगों के परिजनों की टेस्टिंग अभी तक नहीं हुई है। जिनके कोरोना संक्रमित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरी बात, न ही परिजनों की किसी तरह की कोई काउंसलिंग की गई है। कुछ लोगों से एचआर विभाग ने बात ज़रूर की है लेकिन ज़्यादातर लोग बेहद असंतुष्ट और डरे हुए हैं। 

ख़बर लिखे जाने तक सिर्फ एक आदमी को छोड़कर किसी को भी डॉक्टरी सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है। ज्यादातर लोग होम क्वारंटीन में हैं। 

सत्य हिन्दी से बातचीत में ज़ी के कर्मचारियों ने बताया कि जब कोरोना का मामला सामने आया था तो न्यूज़ रूम में एक मीटिंग हुई थी जिसमें चौधरी ने चेतावनी दी कि अगर किसी ने खांसी-जुकाम की शिकायत की तो उसकी खैर नहीं। जानकारी के मुताबिक़, अब तक सुधीर चौधरी ने उन सभी लोगों से बात तक नहीं की है, जो पॉजिटिव पाए गए हैं।

केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी 18 मई को ज़ी न्यूज़ के डीएनए नामक शो में मेहमान थीं। ये शो सुधीर चौधरी खुद करते हैं। ईरानी ने चौधरी से करीने से पूछा कि उन्होंने संक्रमित लोगों के परिजनों का टेस्ट क्यों नहीं कराया जब चौधरी ने सफ़ाई दी कि कोई भी कोरोना से संक्रमित हो सकता है तो ईरानी ने कहा कि आरोग्य सेतु एप क्यों नहीं डाउनलोड करवाया गया संपादक महोदय इन सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये। 

“न्यूज़ लॉन्ड्री” पोर्टल ने विस्तार से यह मामला कवर किया है। पोर्टल के एग्जीक्यूटिव एडिटर अतुल चौरसिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, ज़ी प्रबंधन और सुधीर चौधरी की तरफ से एक और लापरवाही की बात सामने आई है। गौरतलब है कि 3 मई के बाद जब तीसरे चरण का लॉकडाउन शुरू हुआ तब सरकार की तरफ से दफ्तरों में कामकाज की छूट दी गई थी। इसके तहत कंपनियों को अपनी कुल क्षमता के 33 प्रतिशत कर्मचारियों को दफ्तर बुलाने की इजाजत दी गयी थी। 

“न्यूज़ लॉन्ड्री” के मुताबिक़, सुधीर चौधरी ने एक आदेश जारी किया कि 1 मई से सारे कर्मचारी और पत्रकार नोएडा दफ्तर पहुँचेंगे और इसके बाद सभी लोगों का दफ्तर से काम करना अनिवार्य कर दिया गया।

कार्रवाई करेगा यूपी प्रशासन

यह अपने आप में चिंताजनक है कि जब ज्यादातर मीडिया संस्थान वर्क फ्रॉम होम और अन्य वैकल्पिक तरीकों से काम कर रहे हैं तब सुधीर चौधरी ने 33 प्रतिशत का नियम तोड़ते हुए शत-प्रतिशत कर्मचारियों को दफ्तर आने का फरमान क्यों जारी किया और वहां दफ़्तर में कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम भी नहीं किए गए। इस बात की पुष्टि ज़ी न्यूज़ के कई पत्रकारों ने हमसे की है। अब सवाल ये उठता है कि क्या इन लापरवाहियों को यूपी प्रशासन नज़रअंदाज़ कर देगा या जाँच कर कोई कार्रवाई भी करेगा 

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